Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Nov, 2017 10:13 AM
भारतीय जनता पार्टी के अधिकतर आला नेता इन दिनों गुजरात विधानसभा चुानवों के लिए जोर-आजमाइश कर रहे हैं। इस सूची में अध्यक्ष अमित शाह का नाम भी है। दूसरी तरफ वे अपनी व्यस्त दिनचर्या में से समय निकालकर तमिल और बंगाली जैसी भाषाएं भी सीख रहे हैं।
जालंधर (पाहवा) : भारतीय जनता पार्टी के अधिकतर आला नेता इन दिनों गुजरात विधानसभा चुानवों के लिए जोर-आजमाइश कर रहे हैं। इस सूची में अध्यक्ष अमित शाह का नाम भी है। दूसरी तरफ वे अपनी व्यस्त दिनचर्या में से समय निकालकर तमिल और बंगाली जैसी भाषाएं भी सीख रहे हैं।
यह खबर शाह के नजदीकी सूत्रों ने दी है। सूत्र बताते हैं कि शाह सिर्फ बंगाली-तमिल ही नहीं बल्कि असमिया और मणिपुरी जैसी पूर्वोत्तर की भाषाएं भी सीख रहे हैं।बीते एक साल में उन्होंने ऐसे कई राज्यों की भाषाएं सीखी हैं जहां उन्हें लगता है कि पार्टी का जनाधार बढ़ाया जा सकता है। तमिल और बंगाली जैसी भाषाओं में तो वे थोड़ा-बहुत संवाद भी करने लगे हैं। हालांकि अभी इन भाषाओं को धाराप्रवाह नहीं बोल पाते लेकिन इसकी तरफ उनकी कोशिश लगातार जारी है। शाह ऐसे नेता हैं जो एक लक्ष्य पूरा होने से पहले ही दूसरा तय कर लेते हैं। वे खुद तो सक्रिय रहते ही हैं साथ में पार्टी कार्यकत्र्ताओं को भी लगातार सक्रिय रखते हैं। यही उनकी रणनीति है। क्षेत्रीय भाषाओं को सीखकर वे इस रणनीति को और बेहतर तरीके से कार्यान्वित कर सकते हैं और यही वह कर रहे हैं।
उन्होंने इन भाषाओं को सीखने के लिए बाकायदा पेशेवर शिक्षक रखे हुए हैं और इनके साथ बैठने के लिए वे वक्त भी निकालते हैं। वैसे भाषाओं के प्रति शाह का प्रेम कोई नया नहीं है। बताया जाता है कि जब वह 2 साल तक जेल में थे तो उन्होंने वहां भी ‘शिष्ट हिंदी’ सीखने का सिलसिला शुरू किया था और उसी ‘सीख’ का असर है कि वह आज गुजराती असर से मुक्त साफ-सुथरी हिंदी बोल पाते हैं। इतना ही नहीं भाषाओं के अलावा उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत और योगा में भी रुचि है। संगीत के तो वे छात्र भी रह चुके हैं। यह भाजपा तथा अमित साह की उस रणनीति का ही एक हिस्सा है जिसके तहत देश में कांग्रेस मुक्त भारत अभियान चलाया जा रहा है। सूत्र तो यह भी बता रहे हैं कि भाजपा के कुछ अन्य आला नेताओं को भी इसके लिए कहा कि उन्हें उन राज्यों में शाह के साथ स्टार प्रचारक के तौर पर मैदान में उतारा जा सके जहां पर भाजपा के लिए कुछ नई संभावनाएं पैदा हो रही हैं।