समारोह में एक साथ दिखे अमरेन्द्र-जाखड़,नहीं दिखी पहले जैसी ट्यूनिंग

Edited By Sonia Goswami,Updated: 16 Apr, 2018 09:02 AM

amarinder vs jakhar congress losing perception battle

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह व पंजाब प्रदेश कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ के मध्य 4 दिनों तक चली तल्खी भरे माहौल के बाद दोनों नेता शनिवार को जालंधर में डा. भीमराव अंबेदकर की जयंती को समॢपत राज्य स्तरीय समारोह में एक मंच पर दिखे

जालन्धर (चोपड़ा): मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह व पंजाब प्रदेश कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ के मध्य 4 दिनों तक चली तल्खी भरे माहौल के बाद दोनों नेता शनिवार को जालंधर में डा. भीमराव अंबेदकर की जयंती को समॢपत राज्य स्तरीय समारोह में एक मंच पर दिखे परंतु इसके बावजूद दोनों नेताओं में पहले जैसी ट्यूनिंग का खासा अभाव दिखाई दिया जोकि राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। सवाल उठता है कि क्या कै. अमरेन्द्र-जाखड़ एपीसोड की बिगनिंग हुई है या एंडिंग। 


कै. अमरेन्द्र सिंह जैसे ही मंच पर पहुंचे तो उन्होंने कार्यक्रम की शुरूआत बाबा साहिब को श्रद्धासुमन अॢपत करके की। मुख्यमंत्री कार्यक्रम में पहले से पहुंच चुके अपने साथी मंत्रियों साधु सिंह धर्मसोत, चरणजीत चन्नी, अरुणा चौधरी, डा. राजकुमार वेरका व अन्य नेताओं के साथ मंच के दूसरे छोर पर लगे डा. अंबेदकर के कटआऊट के पास चले गए परंतु इस दौरान कै. अमरेन्द्र ने जाखड़ की मौजूदगी को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया और उन्हें अपने साथ नहीं रखा। जाखड़ कुछ दूरी पर पीछे ही खड़े रहे। इस दौरान न तो जाखड़ को कै. अमरेन्द्र ने साथ आने को कहा और न ही जाखड़ ने ऐसी कोई चेष्टा की। मीडिया के फोटो सैशन के दौरान जब छायाकारों ने कै. अमरेन्द्र और अन्य नेताओं को फोटो के लिए थोड़ा खुल कर खड़े होने की गुजारिश की तो इस दौरान घेरा खुला होने पर जाखड़ भी एक साइड में साथ खड़े हो गए। इसके उपरांत मुख्यमंत्री जब मंच पर विराजमान हुए तो उनके बिल्कुल साथ की कुर्सी जाखड़ के लिए लगी हुई थी। पहले दोनों नेताओं ने न तो एक-दूसरे से कोई बात की और न ही नजरें मिलाईं और दोनों में तल्खी साफ तौर पर दिखी। जब कुछ स्थानीय नेताओं ने मुख्यमंत्री व जाखड़ से मिलना शुरू किया तो इन दोनों में कुछ बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ। 


जिक्रयोग्य है कि चंडीगढ़ स्थित सिविल सचिवालय में पिछले बुधवार को जाखड़ कुछ विधायकों के साथ जब कैप्टन अमरेन्द्र से मिलने पहुंचे तो सी.एम. सिक्योरिटी में तैनात सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें मुख्यमंत्री के कमरे में जाने से रोक दिया, यहां तक कि उन्हें मोबाइल भी अंदर ले जाने से मना कर दिया गया जिस पर गुस्साए जाखड़ प्रमुख सचिव के कमरे में बैठ गए परंतु 10 मिनट तक जब कोई रिस्पांस न मिला तो वह वापस लौट गए। उससे अगले दिन संगरूर में किसान कर्जा माफी कार्यक्रम में कै. अमरेन्द्र को शामिल होना था, लेकिन ऐन वक्त पर चौपर खराब होने की वजह से कैप्टन वहां नहीं पहुंचे जबकि जाखड़ कयासों के बावजूद कार्यक्रम में शामिल हुए। कैप्टन की गैरमौजूदगी में जाखड़ ने मुख्यमंत्री की राजसी कार्यशैली व कैप्टन सरकार पर जमकर राजनीतिक प्रहार किए थे। 


जाखड़ को मनाने के लिए मुख्यमंत्री ने कैबिनेट मंत्री तृप्तराजिन्द्र सिंह बाजवा और अपने राजनीतिक सलाहकार कैप्टन संदीप संधू की ड्यूटी लगाई थी। दोनों ने जाखड़ को मनाने के लगातार प्रयास किए जिसमें कैप्टन सफल रहे और दोनों जालंधर में एक मंच पर दिखाई दिए। 


जाखड़ ने अपने संबोधन में संगरूर की भांति मुख्यमंत्री व कैप्टन सरकार पर कोई राजनीतिक प्रहार तो नहीं किया परंतु उन्होंने केवल एक बार ही कै. अमरेन्द्र का नाम लिया और उनका समूचा भाषण अन्य मुद्दों पर केंद्रित रहा। जबकि अन्य मंत्रियों ने अपने भाषण में कै. अमरेन्द्र की जमकर कसीदे पढ़े। कार्यक्रम के समापन पर पत्रकारों द्वारा जाखड़ से पूछने पर उन्होंने बताया कि कैप्टन साहिब से कोई नाराजगी नहीं है। पूरे कार्यक्रम में कैप्टन-जाखड़ इकट्ठे तो थे परंतु हालात कुछ और ही दास्तां बयां कर रहे थे। इससे बड़ा सवाल उठता है कि क्या दोनों नेताओं के एकजुटता दिखाने के प्रयासों के पीछे कोई सियासी मजबूरी होगी या सच में दोनों में पनपे विवाद का अंत हो चुका है?

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