Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Sep, 2017 10:11 AM
प्रदेश के बिजली व सिंचाई मंत्री राणा गुरजीत सिंह से जुड़ी सभी रेत खदानों को बोली को सरकार रद्द कर सकती है।
जालंधर (रविंदर शर्मा): प्रदेश के बिजली व सिंचाई मंत्री राणा गुरजीत सिंह से जुड़ी सभी रेत खदानों को बोली को सरकार रद्द कर सकती है। पूरे मामले की जांच कर रहे जस्टिस जे.एस. नारंग ने इस मामले में राणा गुरजीत सिंह के नाम से जुड़ी सभी रेत खदानों की बोली रद्द करने की सिफारिश की है। जस्टिस ने जहां पूरे मामले में राणा गुरजीत सिंह को क्लीन चिट दी है, वहीं रेत खदानों की बोली रद्द करने की सिफारिश कर मामले को पेचिदा बना दिया है। हालांकि इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि जब घोटाला हुआ ही नहीं तो जनता की अदालत में सरकार इन रेत खदानों की बोली को रद्द कर अपनी खोई हुई साख को दोबारा हासिल कर सकती है और इससे राणा गुरजीत सिंह की छवि भी निखर कर आएगी और विपक्ष के हाथ से इस मामले को लेकर मुद्दा भी छिटक सकता है।
गौर हो कि राज्य में नवनिर्मित सरकार को कार्य करते हुए हाल ही में मात्र 6 महीने पूरे हुए हैं। सरकार बनने के 2 महीने के बाद ही रेत खदानों से संबंधित बहुत बड़ा घोटाला सामने आया था। कैप्टन सरकार में बिजली व सिंचाई मंत्री तथा कै. अमरेंद्र के करीबी माने जाने वाले राणा गुरजीत सिंह का नाम इस घोटाले से जुड़ा था। विपक्ष ने राणा गुरजीत सिंह पर आरोप लगाया था कि राणा गुरजीत सिंह ने अपने रसोइए व ड्राइवर के नाम पर रेत खदानों की बोली में अपनी पहुंच का इस्तेमाल कर माइङ्क्षनग हथिया ली थी। हालांकि विपक्ष के पूरे हो हल्ले के बाद भी कैप्टन ने अपने मंत्री से इस्तीफा नहीं लिया था और पूरे मामले की सच्चाई जानने के लिए रिटायर्ड जज माननीय जे.एस. नारंग की अगुवाई में जांच कमेटी बिठा दी थी। जस्टिस नारंग (सेवानिवृत्त) ने अपनी जांच रिपोर्ट में राणा से संबंधित सभी माइनों की बोली को रद्द करने की सिफारिश की है और दोबारा से बोली आयोजित करवाने की भी सिफारिश की है।
मंत्री राणा गुरजीत को माननीय जस्टिस नारंग ने क्लीन चिट देते हुए कहा कि राणा गुरजीत सिंह का उक्त रेत खदानों की बोली में कोई संबंध सामने नहीं आया है तथा उनकी पहले हो चुकी बोली रद्द करवा कर दोबारा करवाई जानी चाहिए। जस्टिस नारंग ने जहां एक ओर मंत्री राणा को क्लीन चिट दी है वहीं आरोपों में शामिल रेत खदानों की दोबारा बोली करवाने की सिफारिश की है जिससे मामला अभी भी उलझा हुआ मालूम दिख रहा है। जस्टिस नारंग ने अपनी रिपोर्ट में यहां तक साफ किया है कि विभागीय कर्मचारियों व अधिकारियों के बैंक खाते तक जांचे जा चुके हैं जिनमें पैसों का किसी प्रकार का लेन-देन सामने नहीं आया है और साथ ही विभाग के पास बोली से संबंधित किसी प्रकार की डिटेल मौजूद नहीं है। उल्लेखनीय है कि विवादित खदानों में सैदपुर, मेहदीपुर, नवांशहर की खदाने शामिल हैं जिन्हें अमित बहादुर नाम के शख्स ने बोली में खरीदा था। अब जस्टिस नारंग की रिपोर्ट को मानते हुए सरकार इन रेत खदानों की बोली को रद्द कर सकती है।