प्रकाश सिंह बादल की शख्सियत व अकाली दल के कार्यों को वोट डालेगी जनता : नरेश गुजराल

Edited By Sunita sarangal,Updated: 07 May, 2023 01:30 PM

akali dal leader naresh gujral

नरेश गुजराल के मुताबिक जालंधर उपचुनावों में पहली बार ऐसा माहौल बना है कि हर पार्टी के लिए जीत जरूरी बन चुकी है।

जालंधर: पंजाब में विकास की लहर व खेती को प्रफुल्लित करने के लिए केवल शिरोमणि अकाली दल (शिअद) बादल ने कार्य किया है। ये बातें राज्यसभा के पूर्व मैम्बर व अकाली दल के सीनियर नेता नरेश गुजराल ने करते हुए दावा किया कि चुनावों में लोग अकाली दल का साथ देंगे। सत्तारूढ़ पार्टी पर सवाल उठाते हुए गुजराल ने अकाली-भाजपा के पुन: गठजोड़ जैसे मुद्दों पर अपना पक्ष रखा। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश :

जीत के लिए हर पार्टी कर रही है दावा

नरेश गुजराल के मुताबिक जालंधर उपचुनावों में पहली बार ऐसा माहौल बना है कि हर पार्टी के लिए जीत जरूरी बन चुकी है। यदि इस बार आम आदमी पार्टी हार जाती है तो आने वाले लोकसभा चुनावों में उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ेगा क्योंकि यह उनकी उपचुनावों में दूसरी हार होगी। कांग्रेस के लिए यह सीट विरासत से चली आ रही है। यदि कांग्रेस यहां से हार जाती है तो यह बात स्पष्ट हो जाएगी कि राहुल गांधी की पैदल यात्रा का पार्टी को कोई लाभ नहीं मिला व पार्टी का ग्राफ नीचे गिर रहा है।

उन्होंने कहा कि भाजपा दिखा रही है कि हम अपने खुद के आधार पर बड़े वोट बैंक के जरिए कामयाबी हासिल करेंगे। उनकी मुख्य लीडरशिप चुनावों के चलते यहां आई हुई है। इसके चलते चुनावों में उन्हें खुद को साबित करना बेहद लाजिमी हो जाता है। अकाली दल इन चुनावों में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के बिना चुनाव लड़ रहा है। इसके चलते यह सुखबीर बादल की लीडरशिप का सवाल है। जो लोग हमसे नाराज चल रहे थे उन्होंने हमें माफ किया है या नहीं यह पता चल जाएगा। यह चुनाव 2024 के आम चुनावों का नींव पत्थर होगा।

अकाली दल की स्थिति क्या है?

मिल रही फीडबैक के दौरान लोग पहली बार यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि हमने बादल परिवार के साथ बेइंसाफी की है। लोगों को अब पता चल रहा है कि बादल ने पंजाब में हिन्दू-सिख एकता के लिए कितनी कुर्बानियां दी थीं। राज्य का इंफ्रास्ट्रक्चर सुखबीर बादल ने खड़ा किया। पंजाब का रोड नैटवर्क देश में सबसे बढ़िया साबित हुआ है। जब 2007 में हमारी सरकार बनी थी तो उस समय 11-11 घंटे के बिजली कट लग रहे थे। इस उपरांत 10 साल के शासन के बाद जब हम सत्ता से विमुख हुए तो पंजाब बिजली सरप्लस राज्य बन चुका था। पंजाब में बने एयरपोर्ट अकाली दल की देन हैं। विशेष तौर पर गांवों में लोग अकाली दल को वोट देने के लिए तैयार बैठे हैं। केवल सिख ही नहीं बल्कि पूरा पंजाब बादल साहब को याद कर रहा है।

सरकार के विकास के दावे खोखले

सत्तारूढ़ सरकार की ओर से मोहल्ला क्लीनिकों में डाक्टरों को गांवों से लाकर बैठा दिया गया है। चुनाव के बाद ये डाक्टर वापस चले जाएंगे। स्कूल ऑफ एमिनेंस में केवल नाम की हेरफेर है। स्कूल तैयार हमने करवाए व इस सरकार ने नाम बदल कर स्कूल ऑफ एमिनेंस रख दिया। बिजली की हालत खराब हो चुकी है। दफ्तरों का समय बदलने के कारण लोग परेशानी झेल रहे हैं। 

पंजाब का कर्ज 3 लाख करोड़ पहुंचा

बिजली माफी से लोगों को लाभ पहुंचा हो सकता है लेकिन पंजाब का कर्ज आज 3 लाख करोड़ रुपए हो चुका है। ये लोग पंजाबियों को मुफ्तखोर बनाना चाहते हैं। रैवेन्यू के बारे में ध्यान नहीं दिया जा रहा। पंजाब को वित्तीय लाभ तब होगा जब इंडस्ट्री आएगी लेकिन आलम यह है कि इंडस्ट्री को नजरअंदाज करने के चलते युवा विदेश जा रहे हैं। पंजाब में युवाओं के लिए रोजगार नहीं हैं। नशा आऊट ऑफ कंट्रोल हो चुका है। इसका कारण यह है कि युवा निराश हैं और उनके लिए कोई योजना नहीं है।

भाजपा के साथ गठबंधन टूटने को कैसा देखते हैं?

उस समय हमारे पास कोई और विकल्प नहीं था। हमारी पार्टी किसानों की पार्टी है। केन्द्र ने किसानों के खिलाफ कानून पास कर दिए व इसके बारे हमारी पार्टी ने कई बार केन्द्र को कहा कि इन कानूनों पर विचार किया जाए। हमारी अपील व दलीलों के बावजूद केन्द्र कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था, जिस कारण हमारा गठबंधन टूटा। 

राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है। मान लिया जाए कि 13 मई को भाजपा कर्नाटक में चुनाव हार जाती है जिसके बाद भाजपा का मुख्य एजैंडा यही रहेगा कि भविष्य में चुनाव जीतने के लिए पुराने साथियों को साथ जोड़ लिया जाए। फिर भले ही वह शिवसेना हो या अकाली दल। इसलिए 13 मई को आने वाले नतीजे पंजाब व देश की सियासत के लिए महत्वपूर्ण हैं। 

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