Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Aug, 2017 10:24 AM
आम आदमी पार्टी के जालंधर शहरी प्रधान बब्बू नीलकंठ की प्रधानगी को लेकर आने वाले दिनों में ‘आप’ में बड़ी अंतर्कलह सामने आने के
जालंधर (बुलंद): आम आदमी पार्टी के जालंधर शहरी प्रधान बब्बू नीलकंठ की प्रधानगी को लेकर आने वाले दिनों में ‘आप’ में बड़ी अंतर्कलह सामने आने के आसार बढ़ते जा रहे हैं। एक ओर नीलकंठ गुट विरोधियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की बातें कह रहा है, वहीं दूसरी ओर पार्टी के दोआबा प्रधान सहित अन्य नेताओं ने इस मामले बारे पार्टी हाईकमान के समक्ष विरोध का झंडा बुलंद कर दिया है और एक सप्ताह में बब्बू की प्रधानगी रद्द करने का आदेश न आने पर इस विरोध को जनता व मीडिया के समक्ष ले जाने का मन बना लिया है।
मामले बारे पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि गत दिवस बब्बू नीलकंठ के स्वागत में जालंधर जोनल आफिस में रखे कार्यक्रम में पंजाब लैवल का कोई नेता नहीं पहुंचा। यहां तक कि दोआबा जोन के ‘आप’ प्रधान परमजीत सिंह सचदेवा को इस कार्यक्रम के लिए निमंत्रण भेजा गया था पर वह भी इसमें शामिल नहीं हुए और न ही देहाती प्रधान स्वर्ण सिंह हेयर इसमें पहुंचे। डा. संजीव गुट का तो कोई भी नेता नीलकंठ के स्वागती कार्यक्रम में शामिल नहीं हुआ। उधर पार्टी सूत्रों से मिली खबरों की मानें तो इस सारे मामले बारे पार्टी के नाराज नेताओं ने संजय सिंह तथा दुर्गेश पाठक के जालंधर शहरी प्रधान पद में हुए हस्तक्षेप का कड़ा विरोध करते हुए केजरीवाल को खत लिखा है और कहा है कि अगर एक सप्ताह में इस फैसले को वापस नहीं लिया गया तो मजबूरन उन्हें अपना विरोध सार्वजनिक करना होगा। मामले बारे पार्टी के एक सीनियर नेता ने कहा कि पार्टी हाईकमान ने पंजाब में ‘आप’ की इकाइयां गठित करने का कार्यभार पंजाब के उपप्रधान अमन अरोड़ा को सौंपा था पर अरोड़ा गत रात्रि अमरीका चले गए हैं ताकि जब तक वह वापस आएं यह विरोध ठंडा पड़ चुका हो।
पार्टी नेता ने कहा कि अरोड़ा की गैर-हाजिरी में इस मामले में भगवंत मान को भी मिला जाएगा और अगर किसी ने इस मामले में कोई सुनवाई न की तो फिर मीडिया के समक्ष सारे काले चिट्ठे खोले जाएंगे, जिससे पता चल जाएगा कि कौन प्रधानगी के लायक था और किसे प्रधानगी दी गई। सबसे हैरानी की बात तो यह है कि पार्टी के पूर्व कन्वीनर रहे गुरप्रीत घुग्गी ने अपने इस्तीफे के समय साफ कहा था कि पंजाब में ‘आप’ नेताओं की एक नहीं चल रही, सारे फैसले दिल्ली वाले जानबूझ कर पंजाब इकाई पर थोप रहे हैं परंतु इस विरोध का पार्टी पर कोई असर दिखाई नहीं दे रहा। गत दिनों विधानसभा में विरोधी दल के नेता पद से इस्तीफा देने वाले एच.एस. फूलका ने चाहे अपने लीगल केसों की व्यस्तता के चलते अपने पद से इस्तीफा दिया था पर अंदरखाते यही सब सुनने को मिला था कि वह भी दिल्ली वालों की मनमॢजयों से परेशान थे और इसीलिए उन्होंने पार्टी में अपने कदम पीछे खींचे हैं। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में नीलकंठ की प्रधानगी से खफा नेता अपने विरोध को हाईकमान तक पहुंचाने में सफल होते हैं या फिर सारा गुस्सा ठंडे बस्ते में जाता है क्योंकि वैसे ही पार्टी नेताओं द्वारा मीडिया के समक्ष खुलकर कुछ न कहने का प्रण पार्टी नेताओं के विरोध का दम निकाल रहा है।