Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Aug, 2017 03:50 AM
गुरमीत राम रहीम के आश्रम में पुरुषों को नपुंसक बनाए जाने के (कैस्ट्रैशन) मामले में चंडीगढ़ के एक सर्जन डाक्टर...
चंडीगढ़(अर्चना सेठी): गुरमीत राम रहीम के आश्रम में पुरुषों को नपुंसक बनाए जाने के (कैस्ट्रैशन) मामले में चंडीगढ़ के एक सर्जन डाक्टर का नाम सामने आया है। चंडीगढ़ के सर्जन ने दिल्ली के आल इंडिया इंस्टीच्यूट ऑफ मैडीकल साइंस (एम्स) से सर्जरी की पढ़ाई करने के बाद राम रहीम के आश्रम में बने अस्पताल में नौकरी की थी।
डा.पंकज गर्ग ने अपने एम्स के ही दूसरे साथी डा. एम.पी. सिंह के साथ मिलकर आश्रम में समर्थकों को नपुंसक बनाने के ऑप्रेशन किए थे। डेरे में नपुंसक बनाए गए हंसराज चौहान ने इस विषय में हाईकोर्ट में राम रहीम के खिलाफ केस दायर किया है। हंसराज ने बातचीत में कहा कि डेरे में पुरुषों को नपुंसक बनाए जाने का घिनौना काम करने वाले डाक्टर्स भी बराबर के दोषी हैं। डाक्टर्स के एथिक्स कहां गए थे, जब उन्होंने कैस्ट्रैशन के ऑप्रेशन किए? लोगों को धोखे में रखकर बेहोश कर दिया गया।
एक पुरुष को नपुंसक बनाने के लिए 3 दिन लगाए जाते थे। तीनों दिन व्यक्ति को समझ में नहीं आता था कि उसके साथ किया क्या जा रहा है? 3 दिन बाद जब व्यक्ति को होश आता था तब तक उसकी दुनिया बदल चुकी होती थी। एक पुरुष न रहकर वह राम रहीम के हाथ का सिर्फ खिलौना बनकर रह जाता था। वहीं हंसराज ने जिस डाक्टर पंकज गर्ग का नाम लिया है, जब उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि वह आश्रम में जाते जरूर थे लेकिन उन्होंने सिर्फ कैंप ही अटैंड किए हैं।
राम रहीम की कृपा बरसने का दिया जाता था लालच
राम रहीम के डेरे में रहने वाले पुरुषों को नपुंसक बनाने से पहले उनका पूरा विश्वास हासिल किया जाता था। वे समर्थक जिन्हें नपुंसक बनाया जाना होता था, उनको राम रहीम की कृपा बरसने का लालच दिया जाता था। राम रहीम की उतरन उन्हें पहनने को दी जाती थी और कहा जाता था कि उतरन पहनने वालों का नसीब ऊंचा हो जाता है।
कैस्ट्रैशन का शिकार हुए हंसराज का यह है दुख
17 साल पहले गुरमीत राम रहीम के डेरे पर नपुंसक बने हंसराज चौहान का दुख दिनों-दिन बढ़ रहा है। उनके चेहरे की दाढ़ी, मूंछ सब गायब हो चुकी है। वर्ष 2000 में वह राम रहीम को ईश्वर मानने लगे थे। हंसराज के ही शब्दों में कहें तो कुछ ही दिनों में वह राम रहीम के करीब हो गए थे। प्रमाण था राम रहीम की उतरन जींस, कमीज और घड़ी तक उसे पहनने को मिल रही थी। वह कहते हैं- मैं इसे ईश्वर की कृपा मान रहा था और खुद को ईश्वर के बहुत करीब देखने लगा था। उसी ईश्वर ने कहा- जीवन में बहुत कुछ पाना है तो एक माइनर ऑप्रेशन कराना होगा। मैं तैयार हो गया, इस बात से अनजान था कि मुझे नपुंसक बनाया जाने वाला है।
यह कैसे डाक्टर्स थे जिन्होंने पेशैंट्स को स्वस्थ करने की शपथ ली थी लेकिन स्वस्थ को ही ताउम्र के लिए पेशैंट बना दिया। उधर, लॉयर फॉर ह्यूमन राइट्स इंटरनैशनल के अध्यक्ष एडवोकेट नवकिरण ने कहा कि कैस्ट्रैशन के केस में सी.बी.आई. कोर्ट को एक सील्ड रिपोर्ट तो सौंप चुके हैं परंतु अभी भी मामले में जांच चल रही है। केस की सुनवाई 25 अक्तूबर को होनी है। उसके बाद ही बताया जा सकता है कि केस कहां तक पहुंचा है। हंसराज इस केस में मुख्य गवाह हैं।