700 करोड़ की बोगस बिलिंग धोखाधड़ी मामले में ‘आप’ नेता सहित 5 गिरफ्तार

Edited By Tania pathak,Updated: 14 Mar, 2021 09:59 AM

5 arrested including  aap  leader in bogus billing fraud case

पंजाब जी.एस.टी. विभाग ने 700 करोड़ की बोगस बिलिंग के नैटवर्क का पर्दाफाश करते हुए 122 करोड़ आई.टी.सी. (इनपुट टैक्स क्रैडिट) की धोखाधड़ी व कर चोरी के आरोप में 5 मुख्य आरोपियों को खन्ना से गिरफ्तार किया है।

लुधियाना/खन्ना (सेठी, कमल, सुखविंद्र कौर): पंजाब जी.एस.टी. विभाग ने 700 करोड़ की बोगस बिलिंग के नैटवर्क का पर्दाफाश करते हुए 122 करोड़ आई.टी.सी. (इनपुट टैक्स क्रैडिट) की धोखाधड़ी व कर चोरी के आरोप में 5 मुख्य आरोपियों को खन्ना से गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों में विनोद कुमार, मङ्क्षनद्र शर्मा, संदीप सिंह, अमरिंद्र सिंह व सनी मेहता निवासी खन्ना शामिल हैं जबकि 2 अन्य आरोपियों के पते फर्जी थे जिससे विभाग उन तक नहीं पहुंच पाया।  आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। मङ्क्षनद्र शर्मा आम आदमी पार्टी की टिकट पर विगत दिनों नगर कौंसिल खन्ना का चुनाव लड़ चुका है।

उक्त आरोपी पंजाब, दिल्ली और हरियाणा सहित विभिन्न राज्यों में एक फर्जी बिङ्क्षलग का नैटवर्क संचालित करते थे। स्टेट टैक्स कमिश्नर नीलकंठ एस. अवहद द्वारा धारा-132 (1) (ए), (बी) और (सी) के उल्लंघन के लिए जी.एस.टी. एक्ट की धारा-69 के तहत 7 व्यक्तियों की गिरफ्तारी के लिए एक प्राधिकरण जारी किया गया था। विभाग द्वारा खन्ना स्थित 10 परिसरों पर एक साथ दबिश दी गई और कई जगह तलाशी व जब्ती अभियान चलाए गए।

एडीशनल कमिश्नर (इन्फोर्समैंट) शौकत अहमद परे के निर्देशों पर ज्वाइंट डायरैक्टर (इन्वैस्टीगेशन) पटियाला दरबारा सिंह की अगुवाई में हुई इस कार्रवाई दौरान लुधियाना मोबाइल विंग, जालंधर, पटियाला, शम्भू, फतेहगढ़ साहिब व लुधियाना डिवीजन की टीमें भी मौजूद रहीं। इस दौरान आरोपियों के निवास स्थानों पर भी छापेमारी कर पंजाब और बाहरी राज्यों में बोगस फर्मों के साक्ष्य जुटाए गए।

पता चला है कि उक्त आरोपी तांबे की स्क्रैप और हौजरी की वस्तुओं की डीङ्क्षलग करते थे। फर्जी फर्मों के माध्यम से प्राप्त आई.टी.सी. का इस्तेमाल विभिन्न व्यापारियों के लोकल माल की मूवमैंट के लिए किया जाता था। 

एडीशनल कमिश्नर ने बताया कि पिछले वर्ष मोबाइल विंग जालंधर द्वारा तांबे की स्क्रैप वाले एक वाहन के पकड़े जाने के बाद विभाग को इस नैटवर्क के बारे में पता चला और जांच में सामने आया कि माल की खरीद का ब्यौरा लोकल फर्मों का दिया जाता था जबकि ई-वे और इनवॉयस अन्य फर्मों से जैनरेट किए जाते थे। जांच में सामने आए तथ्यों से पता चला कि 44 फर्मों का एक नैटवर्क कई राज्यों में है। सबूत मिलने के बाद मुख्य किंगपिन ने स्वीकार किया कि वह कुछ अन्य साथियों की मदद से नैटवर्क का संचालन कर रहा था जिनमें से कुछ को गिरफ्तार भी किया गया है। 

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