Action:डिपार्टमैंटल इंक्वायरी में लापरवाही सामने आने पर SHO की 2 साल की नौकरी और 1 इंक्रीमैंट कटी

Edited By Anjna,Updated: 08 Feb, 2019 08:04 AM

2 years job of sho and 1 incriminating cut

जलालाबाद के एक आर.टी.आई. एक्टीविस्ट ने लाखों रुपए खर्च कर उसके 6500 रुपए के मोबाइल के चोरी होने की एफ.आई.आर. दर्ज न करने वाले थाना जलालाबाद के तत्कालीन एस.एच.ओ., ए.एस.आई. (जांच अधिकारी) और हैड कांस्टेबल (मुंशी) के खिलाफ अदालत के माध्यम से 3...

लुधियाना(ऋषि): जलालाबाद के एक आर.टी.आई. एक्टीविस्ट ने लाखों रुपए खर्च कर उसके 6500 रुपए के मोबाइल के चोरी होने की एफ.आई.आर. दर्ज न करने वाले थाना जलालाबाद के तत्कालीन एस.एच.ओ., ए.एस.आई. (जांच अधिकारी) और हैड कांस्टेबल (मुंशी) के खिलाफ अदालत के माध्यम से 3 वर्षों बाद लड़ाई जीती है। 

पुलिस विभाग द्वारा की गई डिपार्टमैंटल इंक्वायरी में  एस.एच.ओ. की लापरवाही सामने आने पर 2 साल की नौकरी कम करने के साथ-साथ 1 इंक्रीमैंट भी काटी गई है। पुलिस ने ज्यूडीशियल मैजिस्ट्रेट को भी एक बार गुमराह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और मोबाइल के चोरी होने की बजाय गुम होने की रिपोर्ट भेजकर फाइल बंद कर दी। एक्टीविस्ट की मांग है कि तत्कालीन ए.एस.आई. और हैड कांस्टेबल पर भी कार्रवाई करते हुए एफ.आई.आर. दर्ज कर उसे इंसाफ दिया जाना चाहिए।  एक्टीविस्ट हरप्रीत मेहमी (50) ने बताया कि अक्तूबर 2015 में उसका मोबाइल फोन ऑफिस से चोरी हो गया था जिसकी थाना जलालाबाद में डाक के माध्यम से शिकायत दी थी लेकिन एस.एच.ओ. इंस्पैक्टर जसवंत सिंह, ए.एस.आई. कश्मीर सिंह व हैड कांस्टेबल भजन सिंह ने चोरी के मामले में एफ.आई.आर. दर्ज कर जांच नहीं की। पुलिस के व्यवहार से तंग आकर और इंसाफ के लिए ज्यूडीशियल मैजिस्ट्रेट के.डी. सिंगला के पास शिकायत की जिन्होंने थाना जलालाबाद की पुलिस को मामले की जांच करने के आदेश दिए। तब तक मोबाइल चोरी होने को 11 महीने का समय गुजर चुका था। पुलिस ने शिकायत तो दर्ज कर ली लेकिन फोन को ढूंढने में नाकाम रही।

पुलिस ने यह कहकर की थी फाइल बंद
पुलिस ने यह कहकर फाइल बंद कर दी कि शिकायतकर्ता का मोबाइल फोन चोरी नहीं बल्कि गुम हुआ है लेकिन उसने हार नहीं मानी और पंजाब व हरियाणा हाइकोर्ट का वर्ष 2016 में दरवाजा खटखटाया जिसके बाद अदालत ने पुलिस को मामले की फिर से जांच करने को कहा। तब एक्टीविस्ट का केस ब्यूरो ऑफ  इंवैस्टीगेशन के पास पहुंचा जहां पर ए.आई.जी. क्राइम बठिंडा को जांच सौंपी गई जिसमें इंस्पैक्टर की लापरवाही सामने आने पर डिपार्टमैंटल एक्शन लेने को कहा गया। इसी दौरान इंस्पैक्टर जसवंत सिंह की जिला मोगा में तबादला हो गया जिस कारण मामला वहां के एस.एस.पी. के पास चला गया। उनकी तरफ से आर.टी.आई. के माध्यम से जवाब मांगा गया लेकिन पुलिस ने जवाब देने से इंकार कर दिया जिसके बाद वह स्टेट इंफॉर्मेशन कमिश्नर के पास पहुंचा जहां पर उसे पुलिस विभाग द्वारा लिए गए उक्त एक्शन की जानकारी मिली। वह अन्य दोषी पुलिसकर्मियों पर भी केस दर्ज करवाने के लिए लड़ाई जारी रखेगा।

अढ़ाई वर्ष बाद मिल गया फोन, पुलिस देने लगी केस वापस लेने की धमकी
एक्टीविस्ट के अनुसार चोरी होने के लगभग अढ़ाई वर्ष बाद फाजिल्का पुलिस ने मोबाइल फोन ढूंढ निकाला था जिसे सिविल अस्पताल जलालाबाद का एक कर्मी चला रहा था। पुलिस द्वारा उसे समय-समय पर शिकायत वापस न लेने पर झूठे केस में फंसाए जाने की धमकियां दी जा रही थीं लेकिन उसने डरने की बजाय जंग जारी रखी और अंत में सच्चाई की जीत हुई।

 

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