कोरोना वायरस का डरः पोल्ट्री फार्म उद्योग को महीने में 1,750 करोड़ रुपए का नुक्सान

Edited By Sunita sarangal,Updated: 12 Mar, 2020 03:01 PM

1 750 crore rupees a month to the poultry farm industry

नॉनवैज के शौकीनों ने की चिकन से तौबा

जालंधर(सोमनाथ): केंद्र में मोदी सरकार 2024 तक किसानों की आय दोगुना करने के दावे कर रही है। वर्तमान में भारत में पोल्ट्री फार्म इंडस्ट्री 1,05,000 करोड़ रुपए की है। रिसर्च एंड मार्कीट संगठन के अनुसार 16.2 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहे इस उद्योग के 2024 तक 4,34,000 करोड़ रुपए तक बढ़ने की आशा जताई जा रही थी लेकिन इन दिनों कोरोना वायरस को लेकर लोगों में काफी खौफ है। इसके वायरस से संक्रमित न हो जाएं इसके चलते लोग तरह-तरह के बचाव कर रहे हैं। इसका सबसे ज्यादा असर चिकन के कारोबार पर पड़ा है। 

आल इंडिया पोल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन के अनुसार पोल्ट्री फार्म उद्योग से जुड़े कारोबारियों को एक महीने में 1,750 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुक्सान उठाना पड़ा है। आलम यह है बायलर मुर्गा खरीदने वाले ग्राहक ही नहीं मिल रहे हैं। उसके दाम में भारी कमी आई है। होली के सीजन के दौरान बायलर मुर्गा प्रतिकिलो 90 से 100 रुपए तक की दर से बिकता है जो वर्तमान में 25 रुपए किलो बिक रहा है मगर इसके बाद भी ग्राहक नहीं हैं। एसोसिएशन ने सरकार से तुरंत राहत पैकेजे देने की मांग की है। 

30 प्रतिशत तक बढ़ गए फीड के दाम
अमृतसर से पोल्ट्री कारोबार से जुड़े जी.एस. बेदी ने बताया कि पोल्ट्री फार्म उद्योग को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। फीड के दाम 30 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं, जबकि ग्राहक नहीं मिलने के कारण अमृतसर में ही 25 प्रतिशत तक उद्योग तबाह हो गया है।

पोल्ट्री फार्म उद्योग में किस राज्य की कितनी हिस्सेदारी

राज्य हिस्सेदारी(%)
आंध्र प्रदेश 30
तमिलनाडु 15
कर्नाटक 08
पंजाब और हरियाणा 14

कोरोना वायरस को स्वाइन फ्लू से जोड़ रहे लोग
पोल्ट्री फार्म के तबाह होने का एक कारण यह भी है कि लोग कोरोना वायरस को स्वाइन फ्लू के साथ जोड़ रहे हैं, जिस कारण मुर्गा खाने से परहेज कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि स्वाइन फ्लू के लक्षण सबसे पहले मुर्गे में पाए गए थे और स्वाइन फ्लू के कारण बहुत सारे लोगों की मौत हो गई थी। इस कारण लाख अपीलों के बावजूद लोगों के मन से डर दूर नहीं जा रहा है। 

45 दिन तक मुर्गा बेचना जरूरी
पोल्ट्री कारोबार से जुड़े एक कारोबारी ने बताया कि खरीदने के 30 दिन बाद मुर्गा बेच दिया जाता है। 30 दिन के बाद मुर्गा फीड ज्यादा लेनी शुरू कर देता है। 45 दिन का होने तक मुर्गे के पंख झड़ने शुरू हो जाते हैं और उसे बेचना मुश्किल हो जाता है। फीड ज्यादा खाने के कारण फायदे की बजाय कारोबारी को नुक्सान ज्यादा उठाना पड़ता है। 

डर के आगे अपील बेअसर
चिकन खाने से कोरोना वायरस नहीं फैलता, केंद्र सरकार और फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफ.एस.एस.ए.आई.) की इस अपील के बावजूद लोग चिकन खाने से तौबा करने लगे हैं। लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर अंडे और पोल्ट्री प्रोडक्ट्स को लेकर फैलाई जा रही भ्रांतियों के कारण जहां नॉनवैज के शौकीनों ने चिकन से तौबा की है वहीं अंडा के भाव भी 3.75-3.30 रुपए प्रति अंडा से गिरकर 2.60-2.80 रुपए तक आ गए हैं। पोल्ट्री प्रोडक्ट्स की डिमांड 50 प्रतिशत तक गिर गई है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक में ब्रॉयलर के दाम काफी गिर गए हैं। पंजाब के जिला लुधियाना, संगरूर, बरनाला, अमृतसर और जालंधर में 90 रुपए किलो बिकने वाला मुर्गा (जिंदा) 25-40 रुपए किलो बिकने लगा है। इसकी कीमतों में 43 से 64 प्रतिशत की गिरावट आंकी गई है। 

पंजाब पोल्ट्री फार्मर्स एसोसिएशन के प्रधान राजेश गर्ग जिनका संगरूर में अपना पोल्ट्री फार्म है, के मुताबिक कोरोना वायरस के कारण पोल्ट्री फार्म उद्योग को काफी धक्का लगा है। उनके मुताबिक चिकन और अंडे का कारोबार काफी प्रभावित हुआ है। उत्तर प्रदेश और बिहार में गत वर्ष बाढ़ के कारण पोल्ट्री फार्म उद्योग तबाह हो गया था और पंजाब से भारी मात्रा में चिकन और अंडे की सप्लाई उत्तर प्रदेश और बिहार को होती थी लेकिन कोरोना वायरस के काफी नुक्सान उठाना पड़ा रहा है।

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