Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Apr, 2018 12:14 PM
कहते हैं कि 12 साल बाद ईश्वर कूड़े के ढेर की सुन लेता है तथा उसको एक खाद का रूप मिल जाता है एवं वह अच्छी कृषि के लिए प्रयोग की जाती है, परन्तु पंजाब की छोटी बच्चियां, जो पिछले कई वर्षों से अपनी आवाज समय-समय की सरकारों के कानों में अपने लिए इंसाफ की...
बंगा (चमन लाल, राकेश अरोड़ा): कहते हैं कि 12 साल बाद ईश्वर कूड़े के ढेर की सुन लेता है तथा उसको एक खाद का रूप मिल जाता है एवं वह अच्छी कृषि के लिए प्रयोग की जाती है, परन्तु पंजाब की छोटी बच्चियां, जो पिछले कई वर्षों से अपनी आवाज समय-समय की सरकारों के कानों में अपने लिए इंसाफ की मांग कर अपने साथ हुए जुल्मों के प्रति उनके गुनाहगारों के लिए सिर्फ और सिर्फ फांसी की मांग कर रही हैं, क्यों नहीं पूरी हो रही? क्या उनका कसूर इतना है कि वे लड़कियां हैं, क्या वे अपना फर्ज अपने देश के लिए पूरा नहीं करतीं या उनके द्वारा अपनी मांगों के लिए आवाज उठाना गलत है या फिर समय की सरकारें उनकी आवाज को अंग्रेजी साम्राज्य की तरह अनदेखा कर क्या साबित करना चाहती हैं? यह सवाल है समय की सरकारों से उन बच्चियों की ओर से जिनको कुछ हवस के भूखे लोग अपनी हवस की आग को पूरा करने के लिए उनको अपना शिकार बनाते हैं।
इसमें कोई शक नहीं है कि हवस के भूखे लोगों का कोई दीन धर्म नहीं होता, इसलिए सरकार को जल्द से जल्द फांसी की सजा या सरेआम चौराहे में गोली मारने का कानून पास करके इन नन्ही बच्चियों की मांग को पूरा करना चाहिए। -सुदेश ठाकुर
आज की महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश की उन्नति तथा समाज में बनता अपना योगदान डाल रही हैं। उनके मान-सम्मान को ठेस पहुंचाने व गलत हरकत करने वालों को चौराहे में सरेआम गोली या फांसी की सजा देना समय की जरूरत है। -बावा दास
पंजाबियों ने हमेशा ही देश की तरक्की और विकास के लिए अहम रोल अदा किया है परन्तु यदि पंजाब में इस तरह की सोच वाले व्यक्ति या दरिन्दे हों तो उनके प्रति रहम करना कौम के साथ-साथ पंजाब का नाम खराब करना है और सरकार को इस तरह के व्यक्ति को पहल के आधार पर फांसी लगानी चाहिए। -शिखा सूरी