Edited By Urmila,Updated: 20 Nov, 2021 10:53 AM

कृषि कानूनों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के पीछे कई कारणों में से एक बड़ा कारण था हाल ही में इंगलैंड में हुआ खालिस्तानी रैफ्रैंडम, जिसे भारत के विरोध के बाद भी नहीं रोका गया।
अमृतसर/जालंधर (पंजाब केसरी टीम): कृषि कानूनों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के पीछे कई कारणों में से एक बड़ा कारण था हाल ही में इंगलैंड में हुआ खालिस्तानी रेफ्रैंडम, जिसे भारत के विरोध के बाद भी नहीं रोका गया। वहां की सरकार ने इस रेफ्रैंडम पर किसी तरह की रोक लगाने से इनकार कर दिया। इसके बाद इस कार्यक्रम का सफल आयोजन भी हुआ। केंद्र सरकार को इस रेफ्रैंडम के बाद जो खुफिया रिपोर्ट मिली है, उसमें यह बात सामने आई है कि इंगलैंड में बड़ी संख्या में पंजाब से संबंधित लोग हैं और उनमें भारत की सरकार के खिलाफ रोष पनप रहा है। इस रोष का एक बड़ा कारण किसान कानून थे, जिसके चलते सरकार को इन कानूनों के मामले में बड़ा फैसला लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
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एक तीर से दो निशाने
केंद्र सरकार ने बेशक इस मामले में किसानों से माफी मांगी है लेकिन उसने इस एक तीर से विपक्ष को साधने में भी कुछ हद तक सफलता हासिल कर ली है। दरअसल अगले लोकसभा सेशन के दौरान विपक्षी दल कई अहम मुद्दों को उठाकर केंद्र को घेरने की तैयारी में थे। इसमें पैगासस जासूसी मामला तथा जांच एजैंसियों के अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के मामले जैसे मुद्दों को हवा देने के लिए विपक्ष ने कुछ तैयारी की है। सेशन में इन मुद्दों पर सरकार के लिए जवाब देना मुश्किल हो सकता था, जिसके चलते चाहे माफी मांग कर ही, लेकिन फिर भी केंद्र ने अपनी जान छुड़ाने की कोशिश की है। सरकार कानून रद्द करने की आड़ में कुछ अन्य बिल भी पारित कर सकती है। विपक्ष चाहकर भी किसानों के मुद्दों पर सेशन में अड़ंगा नहीं डाल सकता।
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किसान बिलों की आड़ में
सिंधू बार्डर पर करीब डेढ़ साल से धरने पर बैठे किसानों के मुद्दों की आड़ में कुछ लोग अपने मुद्दे हल करवाने की भी योजना पर काम कर रहे थे, जिसको लेकर केंद्र को भनक लग गई। असलियत में किसान आंदोलन में भाग ले रहे लोगों में करीब 4 दर्जन किसान संगठनों के प्रधान हैं, जो अलग क्षेत्र, अलग राज्य, अलग भाषा से संबंधित हैं। इनमें से कइयों के अपने कुछ स्थानीय मसले हैं, जिन्हें अब कृषि कानून के कानूनों के मसले में लपेटकर हल करवाने की योजना पर काम चल रहा था लेकिन अब किसान कानून रद्द हो जाएंगे और प्रधानमंत्री ने इस बात का लोगों को वायदा ने किया है तो वाजिब है कि स्थानीय स्तर के मुद्दे भी अब खत्म हो जाएंगे या उन्हें किसी बड़े मुद्दे की आड़ नहीं मिल पाएगी।
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