पुराने जनरल हाऊस में ही बैठेंगे नगर निगम के नए कौंसलर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Feb, 2018 11:09 AM

municipal elections

नगर निगम चुनावों के बाद पार्षदों की संख्या पहले के मुकाबले 75 से बढ़कर 95 हो जाएगी, लेकिन संख्या बढऩे के बावजूद नगर निगम प्रशासन ने नए बनने वाले पार्षदों के लिए कोई वैकल्पिक प्रबंध नहीं किए हैं। जिस कारण नए पार्षदों को पुराने जनरल हाऊस में ही बैठना...

लुधियाना (हितेश): नगर निगम चुनावों के बाद पार्षदों की संख्या पहले के मुकाबले 75 से बढ़कर 95 हो जाएगी, लेकिन संख्या बढऩे के बावजूद नगर निगम प्रशासन ने नए बनने वाले पार्षदों के लिए कोई वैकल्पिक प्रबंध नहीं किए हैं। जिस कारण नए पार्षदों को पुराने जनरल हाऊस में ही बैठना पड़ेगा। हालांकि नगर निगम प्रशासन ने पुराने मीटिंग हाल में बैठने की व्यवस्था को बदल दिया है, जिसके लिए काफी हद तक जालंधर व अमृतसर का पैटर्न अपनाया गया है।

ये किए गए बदलाव
-कुर्सियों की जगह सोफे पर बैठेंगे विधायक व सीनियर अफसर।
-5 नए ए.सी. व एलीवेटिड रोड की तरफ पर्दे लगवाए गए।
-रिकार्डिंग वाला साऊंड सिस्टम व नए स्पीकर लगाए।
-मीडिया व अफसरों के बैठने की होगी अलग व्यवस्था।
-राऊंड टेबल की जगह पार्षदों के लिए लगे 24 टेबल।   

संख्या बढऩे के बावजूद महिलाओं के लिए नहीं अलग व्यवस्था
पहले महिला पार्षदों के लिए राऊंड टेबल के बीच खाली पड़ी जगह में कुर्सियों लगी हुई थीं, लेकिन अब 50 फीसदी रिजर्वेशन के चलते महिला पार्षदों की संख्या बढ़ गई है और उनको भी नंबर के हिसाब से पुरुष पार्षदों के साथ बैठना होगा। अगर किसी ने ऐतराज जताया तो नए टेबलों की 2 लाइनों में से एक को महिलाओं के लिए रिजर्व किया जा सकता है।

सिरे नहीं चढ़ी विजीटरों के लिए स्क्रीन लगाने की योजना
नगर निगम के जनरल हाऊस की मीटिंग के दौरान जो पार्षदों के रिश्तेदारों के मौजूद रहने की रिवायत शुरू हुई है, उसका विरोध होने पर उन्हें विजीटर पास देकर एंट्री करवाने का फार्मूला अपनाया गया था। जिसके बाद एक्ट के उन्हीं प्रावधानों का हवाला देते हुए जनरल पब्लिक ने भी बतौर विजीटर एंट्री मांगी। हालांकि कुछेक लोगोंं को पास दिए भी गए हैं, लेकिन कई बार पार्षदों के रिश्तेदारों द्वारा सदन की कार्रवाई में हिस्सा लेने के लिए आगे आने पर हंगामे के हालात पैदा हो गए। इस पर योजना बनाई गई, लेकिन जनरल हाऊस में कैमरे लगाकर उनका ङ्क्षलक एक जगह स्क्रीन लगाकर दे दिया जाए, जहां बैठकर पार्षदों के रिश्तेदार या जनरल पब्लिक को हाऊस की कार्रवाई देखने की सुविधा मिलेगी। जिसके तहत लगाए गए टैंडरों को मेयर की मंजूरी मिलने के बावजूद पूर्व कमिश्नर द्वारा ऐतराज लगाने के कारण वह योजना सिरे नहीं चढ़ी और अब विजीटरों के बैठने के लिए अलग से कोई प्रबंध नहीं किए गए हैं।

कब पूरा होगा नए जनरल हाऊस व कौंसलर क्लब का सपना
नगर निगम के 1991 में बने पहले सैशन से लेकर अब तक जोन-ए ऑफिस माता रानी चौंक स्थित मीटिंग हाल में जनरल हाऊस का आयोजन होता आ रहा है, जिसके लिए जगह की कमी तो 2002 में ही महसूस होने लगी थी। नए जनरल हाऊस व कौंसलर क्लब बनाने का प्रस्ताव पास किया और जोन-डी ऑफिस सराभा नगर के साथ लगती जगह का चयन भी हो गया, लेकिन उससे आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब पिछले सैशन में भी इस बारे चर्चा होने पर मौजूदा व पूर्व पार्षदों के लिए क्लब बनाने पर विचार हुआ, लेकिन वह सब कागजों का हिस्सा बनकर रह गया है। 

अभी से शुरू हो गई मेयरों के नाम की चर्चा
नगर निगम के चुनाव भले ही 24 फरवरी को होने हैं और नतीजे उससे 2 दिन बाद यानी कि 27 फरवरी को आएंगे, लेकिन उससे काफी पहले ही सम्भावित मेयरों के नाम को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। जहां तक कांग्रेसियों का सवाल है उनमें बाकी शहरों के नगर निगम चुनावों में मिली जीत की तर्ज पर लुधियाना में भी बहुमत मिलने की आस देखने को मिल रही है। यही वजह है कि वार्ड वाइज पार्षदों के जीतने के अलावा लोगों में मेयर के अलावा सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर बनने वाले चेहरों को लेकर भी विचार हो रहा है।

 

इनके नहीं होंगे दर्शन
नगर निगम चुनावों में वैसे तो काफी मौजूदा पार्षद या उनके रिश्तेदार चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन कई पार्षद इस कैटागिरी में शामिल नहीं है। 
क्योंकि नई वार्डबंदी के तहत पुराना वार्ड लेडीज या एस.सी. कैटागिरी के लिए रिजर्व होने के कारण उन मौजूदा पार्षद या उनके रिश्तेदारों के चुनाव लडऩे का कोई विकल्प नहीं बचा है। इसी तरह कई पार्षदों को उनकी पार्टी से टिकट नहीं मिली है और वे पार्टी बदलने के अलावा 
आजाद भी खड़े नहीं हुए हैं, जिनके नए जनरल हाऊस में दर्शन नहीं होंगे।

 

पार्षदों व फोटोग्राफरों की पहुंच से बाहर हुआ मेयर का आसन
अब से पहले जब भी जनरल हाऊस की मीटिंग में हंगामे के हालात कायम होते हैं तो पार्षदों द्वारा मेयर के आसन के आगे जमा होकर विरोध जताया जाता है, जिसकी कवरेज के लिए फोटोग्राफरों को मेयर के आसन के साथ लगती खाली जगह पर चढ़ते देखा जाता है। यहां तक कि कई बार पार्षद भी उस प्लेटफार्म पर पहुंच जाते हैं। जिसके मद्देनजर मेयर-कमिश्नर के आसन के लिए बनाए गए प्लेटफार्म की खाली जगह को कवर करने के लिए टेबल का साइज बड़ा कर दिया गया है।

 

आमने-सामने नहीं हो पाएंगे सत्तापक्ष व विरोधी पार्टियों के पार्षद
नगर निगम के पुराने जनरल हाऊस में राऊंड टेबल जैसी व्यवस्था होने के कारण सत्तापक्ष व विरोधी पार्टियों के पार्षद आमने-सामने बैठते थे और कोई विवाद होने की सूरत में सीधा एक-दूसरे का विरोध करते थे, लेकिन अब शायद ऐसा नहीं हो पाएगा। नगर निगम ने जगह बचाने के लिए राऊंड टेबल को खत्म कर दिया है। इसकी जगह 4 लोगों के बैठने की कैपेस्टी वाले 24 टेबल बनाए गए हैं, जिनको 2 लाइनों में लगाया जाएगा और बीच में सर्विस के लिए स्पेस होगा। इन टेबल पर सबसे आगे पहले की तरह सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर ही बैठेंगे, जबकि बाकी पार्षदों को नंबर वाइज बैठना होगा।

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