पी.एफ. घोटाला : क्लर्क जसप्रीत कौर सस्पैंड

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Dec, 2017 12:31 PM

pf scam

नगर निगम में 2-3 साल से वित्तीय हालात इतने खराब थे कि कर्मचारियों को वेतन भी नसीब नहीं हो रहा था, क्योंकि कुछ अधिकारी एवं कर्मचारी अपनी जेबें भरने में लगे हुए थे।

अमृतसर(रमन): नगर निगम में 2-3 साल से वित्तीय हालात इतने खराब थे कि कर्मचारियों को वेतन भी नसीब नहीं हो रहा था, क्योंकि कुछ अधिकारी एवं कर्मचारी अपनी जेबें भरने में लगे हुए थे।

निगम कर्मचारियों के अनुसार पिछले 2-3 साल से उनका पी.एफ.,टी.डी.एस. भी नहीं जमा हो रहा है, लेकिन निगम द्वारा उन्हें साल के अंत में रिटर्न भरने के लिए सेलरी स्लिप दी जाती है और उसमें असिस्टैंट कमिश्नर के हस्ताक्षर भी होते हैं कि कर्मचारी का पी.एफ., एवं टी.डी.एस. काटा गया है, लेकिन कर्मचारियों के खाते में न तो पी.एफ. जाता है और न ही टी.डी.एस. जाता है। निगम में पिछले दिनों पी.एफ. को लेकर एक शिकायत आई तो ‘पंजाब केसरी’ ने इस बात को प्रमुखता से उठाया था।

इस पर जांच कमेटी बैठाई गई और परत-दर-परत खुलती चली गई। आज यहां 63 लाख रुपए महिला क्लर्क जसप्रीत कौर ने निगम के अकाऊंट में जमा करवाए हैं, वहीं एक चैक की राशि और बताई जा रही है, जिसकी रकम 12 से 15 लाख के लगभग है। दूसरी तरफ जसप्रीत कौर ने ‘पंजाब केसरी’ आफिस में अपना पक्ष रखते हुए बताया कि वह तो केबल मोहरा थी, उसके पीछे चैक एवं वाऊचर पर हस्ताक्षर करने वाले 3 अधिकारी थे। 

जसप्रीत ने तीनों अधिकारियों का नाम लेते हुए कहा कि एस.ई. प्रद्युमन सिंह, डी.सी.एफ.ए. मनू शर्मा, डी.सी.एफ.ए. अश्विनी भगत ने ही उनके खातों में पैसे जमा करवाए व उसने पैसे ए.टी.एम. से निकाल कर उन्हें दे दिए। महिला क्लर्क ने सीधे तौर पर कहा कि उक्त एक अधिकारी के खाते में भी उन्होंने 50 हजार के लगभग की रकम ट्रांसफर की थी, जिसका रिकॉर्ड उनके पास है। उन्होंने कहा कि उन्हें पूरे विश्वास में लिया गया था कि उन्हें कुछ नहीं होने दिया जाएगा, पूरे पैसे जमा करवाकर उसे बचा लिया जाएगा, कोई पुलिस केस नहीं होगा, लेकिन पुलिस केस उनके ऊपर होता देख आखिरकार उन्हें बोलने पर मजबूर होना पड़ा। अगर निगम में स्थानीय निकाय विभाग द्वारा इसकी दोबारा से वर्ष 2010 से जांच करवाएं तो यह घोटाला 1 करोड़ रुपए से भी पार कर सकता है। 


मैं बेकसूर हूं मुझे माफ किया जाए : जसप्रीत
जसप्रीत ने बताया कि उनके पास कोई अपना पैसा नहीं था। उनके पास केवल उनका पुश्तैनी मकान था, जिसमें उनके बेटे का भी हिस्सा था जोकि 18 साल बाद ही अपना हिस्सा बेच सकता था, उसे भी इन अधिकारियों ने अपने नाम लिखवा लिया। 18 तारीख को सुविधा केन्द्र में हल्फिया बयान बनवाने ये अधिकारी ही उसे साथ लेकर गए थे। वहां इन अधिकारियों के कहने पर उन्होंने एक हल्फिया बयान और फोटो करवाई, जिस पर लिखा था कि बेटा जब 18 वर्ष का हो जाएगा तो वह खुद उसे यह मकान नाम कर देगा।

उन्हें नहीं पता था कि जब रजिस्ट्री के दस्तावेज हस्ताक्षर करवाए तो धोखे से इस अष्टाम पर भी हस्ताक्षर करवा लिया गया। उन्होंने बताया कि 2 अधिकारियों के किसी रिश्तेदार व जान-पहचान के आदमी ने ही उनका मकान अपने नाम करवाया है, जिसकी कीमत 40 लाख रूपए है एवं बाकी के जो पैसे उन्होंने बैंक में जमा करवाए हैं, वह उन्हें बैंक के बाहर इन्हीं अधिकारियों ने दिए हैं व बाकी भी देने के लिए कहा है। मेरे खाते में पैसे जमा हुए वह मेरी गलती है।

 अधिकारियों ने कहा था कि अगर कल को कोई बात हुई तो हम सारे पैसे जमा करवा देंगे। जब भी पेमैंट उनके खाते में आती थी तो वह उस रकम को ए.टी.एम. से निकलवा कर अधिकारियों को दे देती थी। तीनों अधिकारी उसके घर आए थे। उन्होंने कहा कि सारी रकम जमा करवा दी गई है। मेरी नौकरी भी खत्म होती नजर आ रही है, केस भी दर्ज हो रहा है, जिंदगी बर्बाद होती नजर आ रही है। पहले यही कहते थे कि कमिश्नर साहिब से बात कर कोई केस नहीं होने देंगे। जब मेरा झूठा हल्फिया बयान दिलवाया तो उसके बाद अब मेरा फोन नहीं उठा रहे हैं। अंत में कहा कि मैं बेकसूर हूं, मुझे माफ किया जाए, जो दोषी है उसे सजा मिले। सभी पाठकों को बता दिया जाए कि यह निगम की महिला क्लर्क  जसप्रीत कौर ने ‘पंजाब केसरी’ ऑफिस आकर अपना पक्ष रखा है। 

जांच कमेटी पर उठ रहे सवाल 
निगम में हर कर्मचारी के मुंह से एक ही बात सुनने को मिल रही है कि जब पी.एफ. को लेकर जांच चल रही थी, तब ये अधिकारी इस जांच कमेटी में शामिल थे। इससे कर्मचारियों ने अपना नाम न छापने पर बताया कि निगम में ‘दुध दी राखी ते बिल्लियां नू बैठा दित्ता होइया ऐ’, जिससे जांच कमेटी पर सवाल उठ रहे थे कि कार्रवाई नहीं हो रही है।

क्या टूटेगा निगम में मठाधीशों का तिलिस्म 
सालों से एक ही सीट पर एकाधिकार जमाए बैठे अधिकारियों व कर्मचारियों के तिलिस्म को तोडऩा बहुत जरूरी हो गया है। कई बार इन मठाधीशों को सीटों से बदलने का मामला उठ चुका है, परंतु अपने राजनीतिक आकाओं की शह पर इन्हें किसी की कोई परवाह नहीं है। यही वजह है कि निगम में इनकी मनमानियां चल रह हैं। उसका ही एक नतीजा है कि सालों से बैठे ये लोग भ्रष्टाचार को जन्म देते हैं, जिसकी किसी को भनक नहीं लग पाती। निगम की अकाऊंट ब्रांच में भी सालों से उसी सीट पर अधिकारी व कर्मचारी बैठे हुए हैं। 
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!