Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Jan, 2018 04:37 PM
चुनाव के एक माह बाद भी मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह के शहर को मेयर नहीं मिला, जिस कारण विकास के कार्य बड़े स्तर पर रुके पड़े हैं। मेयर कौन बनेगा, इसको लेकर चर्चाओं का बाजार तो पहले ही गर्म है परंतु मेयर बनाने में इतनी देरी क्यों की जा रही है? यह भी...
पटियाला(बलजिन्द्र): चुनाव के एक माह बाद भी मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह के शहर को मेयर नहीं मिला, जिस कारण विकास के कार्य बड़े स्तर पर रुके पड़े हैं। मेयर कौन बनेगा, इसको लेकर चर्चाओं का बाजार तो पहले ही गर्म है परंतु मेयर बनाने में इतनी देरी क्यों की जा रही है? यह भी एक बड़ा सवाल बनता जा रहा है।
नगर निगम चुनाव पिछले माह 17 दिसम्बर को हुए। इसके बाद डिवीजनल कमिश्नर की तरफ से 26 दिसम्बर को नोटीफिकेशन जारी कर दिया गया था। इस लिहाज से जहां निगम चुनाव को हुए भी एक माह बीत चुका है, वहीं नोटीफिकेशन को भी 21 दिन बीत चुके हैं। इसके बावजूद मेयर बनाने या फिर शपथ ग्रहण को लेकर किसी तरह की कोई कारगुजारी नजर नहीं आ रही। हैरान करने वाली बात यह है कि पिछले माह 25 दिसम्बर को मुख्यमंत्री पंजाब कै. अमरेंद्र सिंह ने शहर के समूचे पार्षदों के साथ चाय पर मीटिंग भी की थी परन्तु उसके बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
आखिर कहां फंसा है पेंच
मुख्यमंत्री के शहर का मेयर बनाने को लेकर आखिर पेंच कहां फंसा है, इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। कुछ चुङ्क्षनदा नाम सामने आ रहे हैं, जिन पर पार्टी की तरफ से विचार किया जा रहा है। इनमें मेयर की दौड़ में संजीव बिट्टू, के.के. मल्होत्रा की धर्म पत्नी कमलेश मल्होत्रा, हरविंदर निप्पी व योगिंदर योगी को बताया जा रहा है।
मुख्यमंत्री की तरफ से भेजे गए लिफाफे में किसकी किस्मत लिखी होगी यह तो उसी दिन पता चलेगा। यह जरूर माना जा रहा है कि मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर को लेकर फार्मूला जरूर तैयार किया जा रहा है, जिसमें सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया जा रहा है।
कांग्रेस के लिए यह भी मुश्किल बनी हुई है कि कौन से पद पटियाला शहरी के पार्षदों को देने हैं और कौन से पटियाला देहाती के, जिस तरह अकाली दल के समय मेयर अकाली दल का होता था और सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर भाजपा का होता था उसी तरह पटियाला शहरी से मेयर और पटियाला देहाती से सीनियर डिप्टी मेयर बनाया जा सकता है। डिप्टी मेयर का चुनाव भी किसी वर्ग को प्रतिनिधित्व देने के लिए किया जाएगा।
मेयर न बनने कारण विकास के बड़े प्रोजैक्ट अधर में लटके
मेयर न बनने कारण शाही शहर के बड़े प्रोजैक्ट अधर में लटके पड़े हैं। इनमें मुख्यमंत्री की तरफ से 1 हजार करोड़ रुपए के जो विकास के प्रोजैक्टों का ऐलान किया गया था वे भी मेयर न बनने कारण शुरू ही नहीं हो सके हालांकि सबसे बड़ा प्रोजैक्ट 782 करोड़ का केनाल बेस्ड ट्रीटमैंट प्लांट का है। इसके अलावा वाटर सप्लाई, सीवरेज, सड़कें और अन्य विकास के कार्यों के लिए करोड़ों का ऐलान किया गया है क्योंकि मेयर एक राजनीतिक ओहदा है और एक राजनीतिक व्यक्ति ही पैसों को सरकार द्वारा लिया सकता है। जब तक नया मेयर नहीं बनता तब तक विकास के समूचे काम शुरू होने तक कई तरह की मुश्किलें जरूर रहेंगी। पुराने हाऊस की अवधि सितम्बर में पूरी हो चुकी थी उसके बाद नगर निगम बिना हाऊस के ही चल रहा है, जिसका सीधे तौर पर प्रभाव विकास के कार्यों पर पड़ता है।