Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Nov, 2017 05:42 PM
पाकिस्तान स्थित हिन्दुओं के प्रसिद्ध तीर्थ स्थान श्री कटासराज की यात्रा के लिए 150 हिन्दुओं का जत्था कल 1 दिसम्बर को वाघा बार्डर से रवाना होगा।
जालंधर(धवन): पाकिस्तान स्थित हिन्दुओं के प्रसिद्ध तीर्थ स्थान श्री कटासराज की यात्रा के लिए 150 हिन्दुओं का जत्था कल 1 दिसम्बर को वाघा बार्डर से रवाना होगा।
केन्द्रीय सनातन धर्म सभा उत्तरी भारत के अध्यक्ष शिव प्रताप बजाज ने आज बताया कि जत्थे में शामिल तीर्थयात्री 3 दिसम्बर को श्री कटासराज में स्थित श्री अमरकुंड में पवित्र स्नान करेंगे। उस दिन शाम को मंदिर में दीपमाला की जाएगी। श्री कटासराज की यात्रा पर जा रहे तीर्थ यात्रियों ने आज यहां श्री विजय चोपड़ा से मुलाकात की तथा केन्द्रीय सनातन धर्म सभा ने इस अवसर पर श्री चोपड़ा को दोशाला भेंट करके उनका सम्मान किया जिन्होंने यात्रा में हमेशा जत्थे को सहयोग दिया।
शिव प्रताप बजाज ने बताया कि जत्थे में शामिल तीर्थ यात्री उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश व राजस्थान से संबंध रखते हैं। उन्होंने कहा कि कल रात ही दिल्ली स्थित पाकिस्तान दूतावास से हिन्दू तीर्थ यात्रियों को वीजा प्राप्त हुए हैं।
इस बार पाक दूतावास ने वीजा देने में देरी की। आनन फानन में सभी प्रबंध करने पड़े। उन्होंने कहा कि 1 दिसम्बर को वाघा बार्डर पार करके जत्था रात को लाहौर ठहरेगा तथा 2 दिसम्बर को लाहौर से 300 कि.मी. दूर स्थित श्री कटास राज तीर्थ के लिए रवाना हो जाएगा। 3 दिसम्बर को श्री अमर कुंड में पूॢणमा स्नान करने तथा हवन यज्ञ करने के बाद 4 दिसम्बर को जत्था लाहौर आएगा। 5 व 6 दिसम्बर को लाहौर में श्री कृष्णा मंदिर तथा महाराज लव की समाधि पर कार्यक्रम होंगे। 7 दिसम्बर को जत्था स्वदेश लौट आएगा।
उन्होंने कहा कि हर वर्ष श्री कटासराज की यात्रा के लिए दो बार जत्था पाकिस्तान जाता है। शिवरात्रि के पावन अवसर पर हिन्दू तीर्थ यात्री पवित्र सरोवर में स्नान करते हैं तथा उसके बाद नवम्बर दिसम्बर महीने में पूर्णिमा वाले दिन पवित्र सरोवर में तीर्थयात्री स्नान करते हैं। 4 दिसम्बर को श्री कटास राज में होने वाले धार्मिक कार्यक्रम में पाकिस्तानी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सादिक उल फारूक, डिप्टी सैक्रेटरी जनरल सैयद फराज खान तथा चकवाल जिला प्रशासन के पदाधिकारी शामिल होंगे।
बजाज ने कहा कि श्री कटासराज को धरती का दूसरा नेत्र माना जाता है। पहला नेत्र राजस्थान स्थित पुष्कर राज को कहा गया है। उन्होंने कहा कि मान्यता है कि जब पांडवों को अज्ञातवास हुआ था तो उन्होंने अज्ञातवास के अंतिम दिन श्री कटासराज के आसपास गुजारे थे। इसी तरह से श्री कटासराज स्थित अमर कुंड के पास ऋषि यक्ष तथा महाराज युधिष्ठिर के बीच ऐतिहासिक संवाद हुआ था। जत्थे में शामिल श्री सनातन धर्म सभा के अन्य पदाधिकारी प्रेम नाथ नारंग, त्रिलोक चंद, धनेश मेहता, रोशन लाल, जसवंत सिंह, संजीव शर्मा, दर्शन कुमार त्रिखा व अन्य भी उपस्थित थे।