विजीलैंस ने शुरू की ओ.डी. व पुराने फैंसी नंबरों की जांच

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Jan, 2018 10:21 AM

vigilance department

विजीलैंस विभाग द्वारा लगातार ट्रांसपोर्ट विभाग में हुई गड़बडिय़ों के पेच खोले जा रहे हैं। इसी मामले में रोजाना लगातार विजीलैंस द्वारा कोई न कोई रिकार्ड तलब किया जा रहा है। आज भी ट्रांसपोर्ट विभाग के एक क्लर्कको डी.एस.पी. विजीलैंस ने अपने आफिस में...

जालंधर (बुलंद): विजीलैंस विभाग द्वारा लगातार ट्रांसपोर्ट विभाग में हुई गड़बडिय़ों के पेच खोले जा रहे हैं। इसी मामले में रोजाना लगातार विजीलैंस द्वारा कोई न कोई रिकार्ड तलब किया जा रहा है। आज भी ट्रांसपोर्ट विभाग के एक क्लर्कको डी.एस.पी. विजीलैंस ने अपने आफिस में ओ.डी. नंबरों व पुराने नंबरों के रिकार्ड सहित तलब किया जिसके बाद विभाग का क्लर्कअपने सहयोगियों सहित कई रजिस्टर लेकर विजीलैंस आफिस पहुंचा।मामले बारे विजीलैंस विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार डी.टी.ओ. व आर.टी.ए. दफ्तरों में गत सप्ताह विजीलैंस की छापेमारी के दौरान कई कम्प्यूटर और फाइलें जब्त की गई थीं जिनमें से कई ऐसे अंश सामने आए हैं कि ओ.डी. नंबरों और पुराने नंबरों के नाम पर भारी गोलमाल किया गया है। 

ओ.डी. नंबरों का गोलमाल
जानकारों की मानें तो इन कम्प्यूटरों से विजीलैंस ने सारा डाटा माहिर इंजीनियरों से निकलवाया है और ऐसी बातें सामने आई हैं कि फर्जी इंश्योरैंसों और फर्जी एफ.आई.आर. के आधार पर अनेकों डुप्लीकेट आर.सीज बनाई गई हैं और अनेकों आर.सीज ट्रांसफर करने का गोरखधंधा कई वर्षों से चल रहा है और यह सारा कारोबार सरकारी कर्मचारियों और उनके करिंदों की देख-रेख में ही होता रहा है। सूत्रों की मानें तो इस प्रकार की आर.सीज की अगर गहनता से जांच की जाए तो इनमें से महज 10 प्रतिशत आम जनता की होंगी और 90 प्रतिशत आर.सीज बड़े एजैंटों द्वारा बनाई गई निकलेंगी। विभागीय सूत्रों की मानें तो इसी प्रकार की आर.सीज से ही कई एजैंट इतने अमीर बन चुके हैं कि करोड़ों की बेनामी संपत्तियां उनके खाते में बोलती हैं।

पी.ए.एक्स. सीरीज के गायब हुए 9 पेजों पर भी विजीलैंस की नजर
जानकारों की मानें तो ट्रांसपोर्ट विभाग में कुछ कर्मचारियों ने नंबर रिटेन करने के साथ-साथ सरकारी रिकार्ड में भी भारी गड़बड़ी की है। यहां तक कि पी.ए.एक्स. सीरीज के तो 001 से 009 नंबर तक के पेज ही रजिस्टर से गायब कर दिए गए हैं।विभागीय जानकारों की मानें तो पुरानी सीरीज के नंबर लगाने के लिए पहले एस.टी.सी. दफ्तर से इजाजत लेनी पड़ती थी और फिर वहां से अनुमति लैटर आने के बाद ही फाइल क्लीयर हो पाती थी, पर यहां तो भ्रष्टाचार की हदें पार करते हुए कई कर्मचारियों ने बिना किसी क्लीयरैंस और सीनियर अधिकारियों की इजाजत के ही पुराने फैंसी नंबरों को मुंह मांगे दामों पर बेचा और खूब कमाई की। जानकारों के अनुसार नंबर रिटेन करने की सरकारी फीस तो 700 रुपए के करीब है पर इस पर कुछ कर्मचारियों ने 50 हजार रुपए तक रिश्वत ली और आगे पार्टी को नंबर डेढ़ से ढाई लाख रुपए तक बेचे। सूत्रों की मानें तो विजीलैंस के सीनियर अधिकारी ट्रांसपोर्ट विभाग के कर्मचारियों से इस बात की पूछताछ कर सकते हैं कि आखिर किस नोटीफिकेशन के तहत आज तक पुराने फैंसी नंबरों को धड़ल्ले से बेचा जाता रहा है और इनसे बटोरी गई रकम किस खाते में गई है। सूत्रों की मानें तो इस सारे केस में विजीलैंस पर भारी दबाव है कि किसी भी प्रकार से फैंसी पुराने नंबरों और ओ.डी. नंबरों के मामले को छेड़ा ही न जाए क्योंकि यह सारे नंबर शहर के अमीर घरानों की गाडिय़ों पर ही लगे हैं और अगर इस सारे केस पर से पर्दा उठता है तो कई अमीरजादों की गाडिय़ां जब्त हो सकती हैं। ट्रांसपोर्ट विभाग के प्राइवेट करिंदों की मानें तो इस सारे गोरखधंधे से जिन्होंने करोड़ों रुपए कमाए हैं वह इन केसों को किसी हाल में खुलने नहीं देंगे। वहीं विजीलैंस विभाग के एस.एस.पी. दलजिंद्र सिंह ढिल्लों ने साफ किया था कि किसी भी हाल में भ्रष्टाचार को सहन नहीं किया जाएगा। अब देखना होगा कि पुराने फैंसी नंबरों और ओ.डी. नंबरों के गोरखधंधे पर विजीलैंस क्या कार्रवाई करती है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!