संकट में पंजाब के भावी मुख्यमंत्री सुनील जाखड़ का राजनीतिक करियर

Edited By Vatika,Updated: 28 May, 2019 11:48 AM

political career of future chief minister of punjab sunil jakhar in crisis

पंजाब के भावी मुख्यमंत्री सुनील जाखड़ का राजनीतिक करियर गुरदासपुर के आम लोकसभा चुनाव हारने के बाद एक बार फिर से संकट में फंस गया है और इस हार ने जाखड़ की काबलियत पर भी बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है क्योंकि आम चुनावों में जाखड़ की यह लगातार तीसरी...

जालंधर(चोपड़ा): पंजाब के भावी मुख्यमंत्री सुनील जाखड़ का राजनीतिक करियर गुरदासपुर के आम लोकसभा चुनाव हारने के बाद एक बार फिर से संकट में फंस गया है और इस हार ने जाखड़ की काबलियत पर भी बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है क्योंकि आम चुनावों में जाखड़ की यह लगातार तीसरी हार है। इसके बाद जाखड़ के प्रदेश कांग्रेस के प्रधान पद पर भी तलवार लटक गई है।
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भाजपा प्रत्याशी व फिल्म अभिनेता सन्नी देओल के हाथों हारने के बाद जाखड़ ने प्रदेश प्रधानगी से अपना इस्तीफा राष्ट्रीय प्रधान राहुल गांधी को भेज दिया है और उनके इस्तीफे पर अंतिम फैसला राहुल गांधी को ही लेना है परंतु राजनीतिक हलकों में कयास लगाए जा रहे हैं कि उनके करीब 2 सालों के प्रधानगी के कार्यकाल में उनकी नकारात्मक कार्यशैली के कारण जाखड़ का इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाएगा। पूर्व लोकसभा स्पीकर व कांग्रेस के दिग्गज नेता स्व. बलराम जाखड़ के बेटे सुनील जाखड़ का सियासत में चेहरा चाहे बड़ा है परंतु उन्हें लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने सुनील जाखड़ को फिरोजपुर से चुनाव मैदान में उतारा, वह अकाली प्रत्याशी शेर सिंह घुबाया के हाथों करीब 31 हजार वोटों से हार गए।
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2017 के चुनावों में अबोहर जद्दी हलका होने के बावजूद जाखड़ भाजपा प्रत्याशी अरुण नारंग से हार गए। इस हार ने कांग्रेस गलियारों को पूरी तरह से हत्प्रभ कर दिया क्योंकि जाखड़ विधायक पद के दौरान पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता पद पर थे और 2017 में पंजाब में कांग्रेस की पूरी लहर चली थी और पार्टी को 117 विधानसभा हलकों में से 77 सीटों का ऐतिहासिक स्कोर मिला था।  हैरानीजनक था कि जाखड़ को हराने वाले अरुण नारंग भाजपा का कोई बड़ा चेहरा भी नहीं थे।इसके बावजूद मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र ने जाखड़ को पहले प्रदेश कांग्रेस का प्रधान बनवाया फिर वर्ष 2017 में गुरदासपुर लोकसभा हलका से सांसद व सिने-अभिनेता विनोद खन्ना के निधन के बाद जाखड़ को उपचुनाव लड़वाने का फैसला करके उनके थम चुके राजनीतिक करियर को नए आयाम दिलाए। जाखड़ ने गुरदासपुर उपचुनाव को 1 लाख 93 हजार वोटों के बड़े मार्जिन से जीता और प्रदेश सहित राष्ट्रीय राजनीति में जोरदार कदम रखा परंतु जाखड़ व कैप्टन के मध्य खाई उस समय भी बढ़ गई जब बगैर कै. अमरेन्द्र को बताए जाखड़ पंजाब के कुछ विधायकों के साथ राहुल गांधी से मिलने जा पहुंचे। 2019 के लोकसभा चुनावों में पंजाब में टिकटों के बंटवारे के दौरान भी कै. अमरेन्द्र व जाखड़ में खासे मतभेद देखने को मिले।|
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जाखड़ को 2017 के चुनावों में गुरदासपुर से जीत आसान लग रही था परंतु यह तब तक आसान रही जब तक भाजपा ने सन्नी देओल को चुनाव मैदान में नहीं उतारा था। सन्नी के आने पर जाखड़ की चुनौती बढ़ गई और सन्नी देओल अपनी स्टारडम की लहर के चलते जाखड़ को पटखनी देने में कामयाब हो गए। जाखड़ पर आरोप लगते रहे हैं कि उनका जमीनी स्तर पर कार्यकत्र्ताओं के साथ कोई सम्पर्क नहीं है। अपने प्रधानगी के कार्यकाल में जाखड़ न तो प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारिणी का पुनर्गठन कर पाए और न ही उन्होंने कभी प्रदेश पदाधिकारियों की कोई बैठक की। इसके अतिरिक्त जाखड़ ने जिला स्तर पर कांग्रेस के कार्यकत्र्ताओं के साथ कभी मीटिंग नहीं की और उनसे लगातार दूरी बनाए रखी परंतु अब गुरदासपुर चुनावों में हार के उपरांत जाखड़ की नकारात्मक कार्यशैली पर भी पार्टी में सवाल उठने शुरू हो गए हैं।

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