किसी कांग्रेसी को नहीं है निगम के कामों में क्वालिटी की परवाह

Edited By Sunita sarangal,Updated: 20 Feb, 2020 09:43 AM

no congressman cares about quality in the affairs of the corporation

ठेकेदार इतने हावी हुए कि कोई पूछने वाला ही नहीं

जालंधर(खुराना): नगर निगम जालंधर की बात करें तो इसका अपना बजट 600 करोड़ रुपए के आसपास है जिसमें से 200 करोड़ रुपए की तनख्वाहें निगम के कर्मचारी व अधिकारी अपने घरों में ले जाते हैं। नगर निगम हर साल शहर के विकास कार्यों पर करोड़ों रुपए खर्च करता है। इन विकास कार्यों की क्वालिटी पर ध्यान देने के लिए नगर निगम के जे.ई. स्तर के अधिकारियों से लेकर ज्वाइंट कमिश्नर और कमिश्नर लैवल के अधिकारी तक जिम्मेदार होते हैं। हर काम के बाकायदा टैंडर निकाले जाते हैं और नियमों के तहत ठेकेदार को काम अलाट होते हैं। हर टैंडर में विकास कार्यों की पैमाइश व क्वालिटी बारे हर छोटी-बड़ी चीज दर्ज होती है परंतु अक्सर ठेकेदार पैसे बचाने के चक्कर में घटिया क्वालिटी का इस्तेमाल कर जाते हैं।

पिछली अकाली-भाजपा सरकार ने ठेकेदारों की कार्यप्रणाली पर रोक लगाने के लिए थर्ड पार्टी इंस्पैक्शन का काम शुरू किया था, जिसके चलते ठेकेदारों में कुछ डर पैदा हुआ था परंतु जब से पंजाब तथा नगर निगम में कांग्रेस की सरकार आई है तब से ठेकेदार इतने बेखौफ हो गए हैं कि जैसे उन्हें किसी का डर ही न रहा हो। शहर में तमाम बड़े ओहदों पर कांग्रेसी विराजमान हैं और नगर निगम में भी कांग्रेसियों का ही बोलबाला है परंतु इसके बावजूद किसी कांग्रेसी का ध्यान नगर निगम के विकास कार्यों की क्वालिटी की ओर नहीं है। विधायक सुशील रिंकू ने कुछ सप्ताह पूर्व घई अस्पताल के सामने घटिया तरीके से बनाए जा रहे डिवाइडरों का स्कैंडल पकड़ा था परंतु उस मामले में भी लीपापोती कर दी गई और ठेकेदार या किसी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

टैगोर अस्पताल के सामने पार्क में लग रही पुरानी ईंट
नगर निगम ने वार्ड नं. 67 के अंतर्गत आते 3 पार्कों (पार्षद गुल्लू के घर के सामने, टैगोर अस्पताल के सामने और गोपाल नगर) में 9 लाख रुपए का एक टैंडर निकाला था, जिसका काम टैगोर अस्पताल के सामने पड़ते पार्क से शुरू हो चुका है। काम इतने घटिया तरीके से हो रहा है कि हर कोई हैरान है। वहां ठेकेदार द्वारा पुरानी ईंटें लगा कर ही चारदीवारी बनाई जा रही है और सीमैंट व रेत के नाम पर भी सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। नगर निगम का कोई अधिकारी वहां चैकिंग के लिए नहीं जाता।

इस मामले में जब निगमाधिकारियों से पूछा गया तो उनका जवाब था कि ठेकेदार द्वारा लगाई जा रही पुरानी ईंटों को एडजस्टमैंट में ले लिया जाएगा पर सवाल यह है कि एक बार काम पूरा होने के बाद सारी गेम निगमाधिकारियों के हाथ में आ जाएगी और अगर ठेकेदार यूं ही पुरानी ईंटों तथा घटिया तरीके से काम करते रहे तो निगम को आने वाले समय में कौन बचा सकेगा।

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घटिया तरीके से बनी नॉर्थ की नागरा रोड
नॉर्थ विधानसभा क्षेत्र के तहत आती नागरा रोड को कुछ समय पहले नए सिरे से बनाया गया परंतु अब नई बनी सड़क जगह-जगह से उखड़ रही है। नागरा रोड मकसूदां के दुकानदारों व मोहल्ला निवासियों ने घटिया तरीके से बनी इस सड़क के विरोध में रोष प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि ठेकेदार ने पैसे बचाने के चक्कर में न केवल लुक-बजरी का मैटीरियल कम डाला बल्कि कई रोड गलियों को भी मिट्टी डाल कर बंद कर दिया गया। आने वाले समय में बरसाती पानी और घटिया मैटीरियल के कारण यह सड़क पूरी तरह टूट जाएगी इसलिए ठेकेदार को हुई पेमैंट की जांच करवाई जाए ताकि सारा स्कैंडल सामने आ सके। इस दौरान प्रदर्शनकारी दुकानदारों ने कहा कि सत्तापक्ष यानी कांग्रेस के नेता विकास कार्यों की क्वालिटी की ओर आंखें मूंदे हुए हैं।

पहले स्मार्ट सिटी और अब सिटी स्कैप से परेशान हुए विधायक
कांग्रेस का राज आने के बाद जहां पंजाब सरकार आर्थिक एमरजैंसी के कगार पर है वहीं जालंधर नगर निगम के हालात भी ज्यादा अच्छे नहीं हैं। पैसों की कमी के कारण काफी देर से विकास कार्य रुके रहे। अब नगर निगम अपने ज्यादातर प्रोजैक्ट स्मार्ट सिटी के पैसों से करवाने के प्लान बना चुका है परंतु इससे पहले स्मार्ट सिटी के करोड़ों रुपए के जो प्रोजैक्ट बने, उन्हें लेकर विधायकों में काफी नाराजगी पाई जा रही है क्योंकि कई प्रोजैक्ट फिजूल में बना दिए गए।

इसी तरह नगर निगम ने अब अपने फंड में से सिटी स्कैप प्रोजैक्ट शुरू कर रखा है जिसके तहत अब तक नगर निगम 12 करोड़ रुपए से ज्यादा के काम करवा चुका है परंतु ज्यादातर कामों बारे शहर के विधायकों तथा मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर को भी कोई जानकारी नहीं है। सिटी स्कैप प्रोजैक्ट के तहत नगर निगम के अधिकारी अपने स्तर पर ही जिस तरह काम करवाए जा रहे हैं उससे विधायकों व अन्य कांग्रेसी नेताओं में नाराजगी पनप रही है परंतु शहर के हित में सभी जिम्मेदार कांग्रेसी नेताओं को मुंह खोलना होगा वरना निगम में लूट मच जाएगी।

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रोड-गलियों के चैम्बरों में लग रही पुरानी ईंटें
किसी भी सड़क का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा किनारे पर बनी रोड-गलियां होती हैं, जिनके चैम्बर से बरसाती पानी की निकासी होती है जो सड़क को टूटने से बचाती है। इन रोड गलियों का पक्का होना बहुत जरूरी होता है क्योंकि घटिया तरीके से बने चैम्बर यदि बैठ जाए तो रोड-गली बंद होकर सड़क टूटने का कारण बनती हैं। 

इन दिनों कमल पैलेस के सामने मास्टर तारा सिंह नगर को जाती मेन रोड को बनाने का काम शुरू किया गया है जिसके पहले चरण में रोड-गलियों का निर्माण किया जा रहा है, जिस भी ठेकेदार ने यह काम लाखों रुपए में लिया है, उसने अब से ही पैसे बचाने के चक्कर में घटिया रोड-गलियां बनानी शुरू कर दी हैं, जिनमें पुरानी तथा गली-सड़ी ईंटें लगाई जा रही हैं। सीमैंट का प्रयोग भी नाममात्र हो रहा है। हैरानी की बात यह है कि यह सड़क विधायक राजिन्द्र बेरी के क्षेत्र तथा उनकी पत्नी पार्षद उमा बेरी के वार्ड में पड़ती है जो नगर निगम कार्यालय से आधा किलोमीटर भी नहीं है परंतु इसके बावजूद घटिया तरीके से सड़क निर्माण का कार्य शुरू हो चुका है। किसी निगमाधिकारी को फुर्सत नहीं कि वह चंद कदम दूर जाकर विकास कार्यों की क्वालिटी को चैक करें। अगर ठेकेदार रोड-गलियां बनाने में इतनी बचत और कंजूसी कर सकता है तो सड़क बनाते समय यही ठेकेदार क्या-क्या करेगा, इसका अंदाजा आसानी से ही लगाया जा सकता है।

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कितने दिन चलेंगी निगम द्वारा लगाई गई 34 लाख की 2 स्क्रीनें
फिजूलखर्ची का प्रदर्शन करते हुए नगर निगम ने हाल ही में श्री राम चौक तथा मॉडल टाऊन लाइटों के पास दो बड़ी स्क्रीनें लगवाई हैं जिन पर 34 लाख रुपए खर्च किया गया है। शहर को इन स्क्रीनों का कोई लाभ नहीं है क्योंकि इनमें कोरोना वायरस से बचाव, दिल्ली तक दूरी और फिजूल स्कीमों का प्रचार किया जा रहा है। अब सवाल यह खड़ा होता है कि इन स्क्रीनों को तूफान, बारिश, धूप और आंधी जैसी आपदा से कौन बचाएगा। नगर निगम ने कम्पनी बाग में एक करोड़ रुपया खर्च करके म्यूजिकल फाऊंटेन लगवाया था, जिसने कुछ देर लोगों को गाने सुनाए परंतु कुछ महीने बाद ही यह फाऊंटेन कबाड़ में बदल गया। अब सवाल यह भी है कि जो जालंधर निगम अपने एक करोड़ के फव्वारे को कुछ महीने भी चला नहीं पाया वह 34 लाख वाली स्क्रीनों को कैसे संभाल पाएगा। लोगों के टैक्स के पैसों की बर्बादी का इससे बड़ा उदाहरण शायद ही कहीं और मिले।

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