Edited By Vishal Suryakant,Updated: 15 May, 2025 10:03 PM

जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया,वाडिया इंस्टीट्यूट देहरादून व सर्वे ऑफ़ इंडिया मिलकर उत्तराखंड व हिमाचल हरियाणा राजस्थान व गुजरात ग्लेशियर से लेकर रण ऑफ़ कच्छ तक सरस्वती के पैलियो चैनल
चंडीगढ (चन्द्र शेखर धरणी) : जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया,वाडिया इंस्टीट्यूट देहरादून व सर्वे ऑफ़ इंडिया मिलकर उत्तराखंड व हिमाचल हरियाणा राजस्थान व गुजरात ग्लेशियर से लेकर रण ऑफ़ कच्छ तक सरस्वती के पैलियो चैनल पर मिलकर काम करेंगे इसके लिए सरस्वती बोर्ड के उपाध्यक्ष के उपाध्यक्ष श्री धूमन सिंह किरमच की अध्यक्षता में एचएसएचडीबी कार्यालय, पंचकूला में एक बैठक आयोजित की गई।
जीएसआई, की ओर से डॉ संजीव कुमार , वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी) के प्रतिनिधि तथा सर्वे ऑफ़ इंडिया के निदेशक संजय कुमार व एचएसएचडीबी के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
सरस्वती बोर्ड के डिप्टी चेयरमैन धूमन सिंह किरमच ने बताया कि हरियाणा की नायब सैनी सरकार सभी नदियों पर काम करना तेज़ी से कर रही है जिसका उद्देश्य है हरियाणा के किसानों को ज़्यादा से ज़्यादा जल उपलब्ध कराना है इन एजेंसियों के माध्यम से जो उत्तराखंड ग्लेशियर को लेकर आदिबद्री तक का क्षेत्र रिसर्च से रह गया था उसके उप्पर बोर्ड इन सभी बड़ी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करेंगे ताकि ज़्यादा से ज़्यादा पानी सरस्वती नदी में 12 महीने पानी चलाया जा सके।
अभी सरस्वती नदी ,यमुना , मार्कण्डा , टँगरी व अन्य नदियों की तरह बरसाती नदी है इस नदी में 12 महीने पानी के लिए तो उत्तराखंड व हिमाचल की नदी चैनल पर रिसर्च बहुत ज़रूरी है इसको लेकर यह बैठक की गई सभी अधिकारियों ने काम जल्द पूरा करने की योजना पर कार्य किया।
संजीव कुमार, डीडीजी और आरएमएच-IV, जीएसआई, एनआर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित थे और जीएसआई टीम ने एक प्रस्तुति दी जिसमें 5 साल के अध्ययन के निष्कर्ष प्रस्तुत किए गए, जीएसआई टीम ने 150 किलोमीटर लंबे यमुनानगर-कुरुक्षेत्र शुत्राना पैलोचैनल और यमुना नदी से इसकी अपस्ट्रीम कनेक्टिविटी का भी भूभौतिकीय सर्वेक्षण के माध्यम से वर्णन किया।
उन्होंने बताया गया कि यमुना और सतलुज दोनों पैलियोचैनल ने सरस्वती नदी के निर्वहन में योगदान दिया। बैठक में विवरण के लिए जीएसआई के पांच साल के अध्ययन के निष्कर्षों की जांच करने का सुझाव दिया
एचएसएचडीबी के उपाध्यक्ष धूमन सिंह किरमच ने हरियाणा के कुछ हिस्सों में विस्तृत अध्ययन के लिए समझौता ज्ञापन की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी ली, जिसमें उत्तराखंड में बंदर पूँछ ग्लेशियर व उसके आगे का सरस्वती का मार्ग व उद्गम अनुमान के लिए तलछट की ड्रिलिंग और समस्थानिक विश्लेषण शामिल है।
सर्वे ऑफ़ इंडिया ने यह भी बताया कि उनके पास पिछले 150-200 वर्षों का जल स्तर का डेटा है।
धूमन सिंह ने यह भी बताया कि सरस्वती नदी पर शोध और जीएसआई के अन्य उपयोगों के लिए जल स्तर के आंकड़े बहुत उपयोग होंगे। उन्होंने हरियाणा सरकार, जल जीवन मिशन, ईजीडब्ल्यूबी और निजी कुओं द्वारा ड्रिल किए गए बोरवेल से लॉग का डेटा एकत्र करने की भी सलाह दी। यह डेटा सरस्वती नदी के पैलियोचैनल को चित्रित करने में बहुत उपयोगी होगा।