Edited By bharti,Updated: 05 Dec, 2018 01:08 PM
भले ही समय की सरकारें ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए हमेशा ही बातें करती रहती हैं परन्तु वास्तव....
मुक्तसर साहिब (तनेजा): भले ही समय की सरकारें ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए हमेशा ही बातें करती रहती हैं परन्तु वास्तव में यदि देखा जाए तो दूर-दूर के गांवों के लोग आजादी के 71 साल बीतने के बावजूद अनेक समस्याओं का शिकार हैं और उन्हें प्राथमिक सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। ऐसी ही एक मिसाल मिलती है जिला श्री मुक्तसर साहिब के फाजिल्का जिले की हद पर पड़ते आखिरी गांव सम्मेवाली, जहां के लोग इंतजार कर रहे हैं कि पता नहीं कब सरकार की नजर इस गांव पर पड़ेगी और यहां के निवासियों को भी सभी आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी।
पंजाब केसरी’ की ओर से आज सुबह उक्त गांव के किए गए निरीक्षण दौरान पता लगा कि सबसे बड़ी दिक्कत पेयजल की है। पिछले 8 सालों से गांव का जलघर बंद पड़ा है और पानी वाली डिग्गियां बिल्कुल सूखी पड़ी हैं। दूषित पेयजल पीने से यहां लोग बीमार हो रहे हैं। जलघर की टूटियों का पानी न मिलने कारण गांव के लोग बेहद परेशान हो रहे हैं। वहीं इस बंद पड़े जलघर को फिर चालू करने के लिए न किसी पंचायत ने उद्यम किया है, न किसी राजनीतिक नुमाइंदे ने और न ही जिला प्रशासन के किसी अधिकारी ने इस तरफ ध्यान दिया है। इस तरह लगता है कि जैसे पंजाब सरकार की नजर अभी तक इस गांव पर पड़ी ही नहीं है। गांव में गरीब लोगों खासकर बावरिया सिखों की आबादी सबसे ज्यादा है।
डिप्टी स्पीकर पंजाब अजायब सिंह भट्टी दें ध्यान
उल्लेखनीय है कि गांव सम्मेवाली विधानसभा हलका मलोट रिजर्व में पड़ता है और यहां के विधायक अजायब सिंह भट्टी हैं, जो इस समय विधानसभा पंजाब के डिप्टी स्पीकर के पद पर हैं। गांव वासियों की मांग है कि डिप्टी स्पीकर पिछले लंबे समय से सरकारों की बेरुखी का शिकार हुए इस गांव की ओर ध्यान दें। ग्रामीणों का कहना है कि यहां रुके हुए विकास कार्यों को शुरू करवाया जाए जिससे लोगों को सुविधाएं मिल सकें और वह अच्छी जिंदगी जी सकें। ग्रामीणों ने उक्त समस्याओं को हल करने की मांग की है।
मजबूरी में खारा पानी पी रहे लोग
सुविधाओं से वंचित व समस्याओं के शिकार बने गांव की दास्तां सुनाते हुए नौजवान नेता बिक्रमजीत सिंह ने बताया कि लगभग 2300 वोटों वाले और करीब 4500 की आबादी वाले गांव सम्मेवाली का भू-जल खारा है जिससे यह पीने योग्य नहीं है। जब यहां के लोगों को जलघर का पानी मिलता ही नहीं तो वह खारा पानी पीने के लिए मजबूर हैं। इस पीने से लोगों को कई तरह की भयानक बीमारियां लग चुकी हैं। पानी में काला शोरा है, जिस कारण जहां लोगों के दांत काले हो रहे हैं, वहीं हड्डियों की बीमारियां भी बहुत ज्यादा हैं और कई लोगों के घुटने, एडिय़ां काम करने पर जवाब दे गए हैं व चला नहीं जाता। कैंसर और काला पीलिया की बीमारी के अलावा अन्र खतरनाक बीमारियों की चपेट में यहां के लोग आए हुए हैं।
और भी हैं गंभीर समस्याएं
गांव के कई सांझे स्थानों पर अवैध कब्जों की भरमार है। लोगों को पीने वाला पानी देने के लिए लगाए गए आर.ओ. सिस्टम को भी और सुधारने की जरूरत है। गांव की दाना मंडी में न पीने वाले पानी और न ही कोई छाया का प्रबंध है। गांव में जनरल वर्ग के लोगों ने रोड़ांवाली सड़क पर श्मशानघाट बनाया है और बावरिया सिखों की ओर से पाका को जाने वाली सड़क पर श्मशानघाट बनाया गया है। वहीं दोनों ही शमशानघाटों में मृतकों का संस्कार करने के लिए न का कोई प्रबंध है और न ही पीने वाले पानी का व न ही बैठने का कोई इंतजाम है।इसके अलावा अभी तक इस गांव में मनुष्य का इलाज करने के लिए सरकारी सेहत डिस्पैंसरी नहीं बनाई गई और न ही पशुओं का इलाज करने के लिए सरकारी पशु अस्पताल है। पैसों का लेन-देन करने के लिए कोई बैंक नहीं है और न ही नौजवानों के खेलने के लिए स्टेडियम है। यहां के बेघर गरीबों को मकान बनाने के लिए 5-5 मरलों के प्लाट भी किसी ने अभी तक नहीं दिए।
कभी भी गिर सकती है आंगनबाड़ी सैंटर की इमारत
गांव में चल रहे आंगनबाड़ी सैंटर की इमारत नकारा हो चुकी है और उसकी छत कभी भी गिर सकती है। आंगनबाड़ी वर्करों और हैल्परों की मांग है कि उनको सैंटर के लिए सरकारी इमारत बना कर दी जाए, जहां सब सुविधाएं हों। उन्होंने कहा कि अब यहां न पीने वाला पानी है और न ही शौचालय का कोई प्रबंध है। नहीं दिखाई दे रही स्वच्छ भारत मुहिम की लहरसम्मेवाली गांव में स्वच्छ भारत मुहिम की लहर भी कहीं दिखाई नहीं दे रही। गांव की फिरनी पर बनी नालियों में सीवरेज का गंदा पानी भरा पड़ा है। सड़कों के ऊपर ही गोबर के ढेर लगे पड़े हैं और लोगों ने सड़कों के ऊपर ही उपले रखे हुए हैं।
उक्त गांव में सरकारी प्राइमरी और सरकारी मिडल स्कूल ही चल रहे हैं, जबकि गांव के लोगों की मुख्य मांग है कि यहां कम से कम 10वीं क्लास तक सरकारी स्कूल बनवाया जाए। मिडल स्कूल में जहां बच्चों के बैठने के लिए इमारत की कमी है, वहीं बच्चों को पीने के लिए आर.ओ. वाला पानी भी नहीं मिल रहा। कई बच्चे 8वीं क्लास के बाद पढ़ाई करने से वंचित भी रह जाते हैं क्योंकि उन्हें पढऩे के लिए दूसरे गांवों के स्कूलों में जाना पड़ता है।