गांव लक्खेवाली में बने सरकारी अस्पताल को समय की सरकारों ने किया अनदेखा

Edited By bharti,Updated: 21 Oct, 2018 12:51 PM

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भले ही समय की सरकारें एक तरफ यह दावे करती हैं कि दूर-दूर के गांवों में रहने वाले लोगों को बढिय़ा और सस्ती सेहत ...

मुक्तसर साहिब (तनेजा): भले ही समय की सरकारें एक तरफ यह दावे करती हैं कि दूर-दूर के गांवों में रहने वाले लोगों को बढिय़ा और सस्ती सेहत सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं परन्तु यदि देखा जाए तो गांवों के लोग सरकारी सेहत सुविधाओं से वंचित ही पड़े हैं। ऐसी ही एक मिसाल गांव लक्खेवाली के सरकारी अस्पताल से मिलती है जहां अंग्रेजों के समय का बना हुआ इस क्षेत्र का एकमात्र यह अस्पताल समय की सरकारों ने पूरी तरह अनदेखा कर रखा है और अनेक कमियों और समस्याओं के साथ जूझ रहा है।  

अस्पताल की इमारत हो चुकी है कंडम 
उल्लेखनीय है कि उक्त अस्पताल की इमारत अंग्रेजों के शासन में ही बनाई थी। इस समय इस इमारत की हालत बेहद खस्ता और कंडम हो चुकी है, छतें गिर रही हैं। किसी समय भी कोई हादसा घट सकता है परंतु संबंधित विभाग और पंजाब सरकार या राजनीतिक नेताओं का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है। जब गांव लक्खेवाली में सरकारी अस्पताल बनाया गया था तो इस अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा थी, क्योंकि इस क्षेत्र के 3 दर्जन के करीब गांवों के लोग दवा लेने के लिए यहां आते थे। 

डाक्टरों के रहने वाले क्वार्टर बन चुके हैं खंडहर
उस समय डाक्टर रात समय अस्पताल में बनाए क्वार्टरों में रहते थे और लोगों को बहुत सुविधा थी परन्तु अब ये क्वार्टर भी खंडहर का रूप धार चुके हैं। ईंट-रोड़े गिरे पड़े हैं और सफाई पक्ष से भी अंदर का हाल बुरा है। 

2 दिन ही आता है डाक्टर
पंजाब सरकार और सेहत विभाग ने लक्खेवाली के इस अस्पताल को पिछले कई सालों से जिला परिषद के अधीन कर दिया था परन्तु जिला परिषद की ओरसे जिले अंदर जो 43 के करीब डिस्पैंसरियां चलाई जा रही हैं, उनमें डाक्टरों की बहुत कमी है और एक डाक्टर को तीन-तीन अस्पतालों का काम देखना पड़ता है। लक्खेवाली के अस्पताल में सिर्फ मंगलवार और शुक्रवार 2 दिन ही डाक्टर साहब बैठते हैं। 

ऑप्रेशन थिएटर भी पड़ा है बंद 
15 अप्रैल 1988 को लक्खेवाली में उस समय के सेहत सचिव पंजाब स्वर्ण सिंह बोपाराय ने ऑप्रेशन थिएटर का उद्घाटन किया था परन्तु स्टाफ और मशीनरी की कमी कारण इस ऑप्रेशन थिएटर वाले कमरे को ताला लगा हुआ है, वहीं उक्त अस्पताल के बिल्कुल साथ बड़ा छप्पड़ है जिसमें हर समय गंदा पानी भरा रहता है और जब बारिश आती है तो छप्पड़ का पानी ओवरफ्लो होकर अस्पताल के अंदर दाखिल हो जाता है। 

क्या कहना है सिविल सर्जन का
जब सिविल सर्जन डा. सुखपाल सिंह बराड़ के साथ ग्रामीण अस्पतालों की बुरी हालत बारे बातचीत की गई तो उन्होंने भी माना कि डाक्टरों की कमी अखर रही है और कई स्थानों पर इमारतों की भी कमी है और कंडम हुई पड़ी हैं। उन्होंने बताया कि पंजाब सरकार को इस संबंधी उन्होंने रिपोर्ट बना कर भेजी हुई है। 

लक्खेवाली में बनाया जाए बड़ा अस्पताल 
उल्लेखनीय है कि लक्खेवाली कई गांवों का सैंटर पड़ता है। यहां सब तहसील, पुलिस थाना, पावरकाम का दफ्तर, बिजली का ग्रिड, बड़ा रेलवे स्टेशन के अलावा लड़के और लड़कियोंके 2  सीनियर सैकेंडरी स्कूल हैं और प्राइवेट तौर पर इलाके का सबसे बड़ा सी.बी.एस.ई.पंजाब पब्लिक स्कूल चल रहा है परन्तु बड़ा सरकारी अस्पताल लोगों की मुख्य मांग और समय की जरूरत है। लक्खेवाली के निवासी जसकरन सिंह लक्खेवाली, लाल सिंह बराड़, जसवीर सिंह बराड़, सुखदेव सिंह बराड़, परमजीत सिंह बराड़, धनवंत सिंह बराड़, क्लब के प्रधान कुलदीप सिंह और बसपा नेता सुखदेव सिंह ने पंजाब सरकार और सेहत विभाग से मांग की है कि लोगों की सुविधा के लिए लक्खेवाली में बड़ा अस्पताल बनाया जाए और साथ ही अस्पताल की नई इमारत बनाने के लिए ग्रांट जारी की जाए।  

चक्क शेरेवाला क्षेत्र में ही है डाक्टरों की बड़ी कमी : डा. किरनदीप
लक्खेवाली गांव में चल रहे सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों की खाली पड़ीं असामियां, अन्य कमियां व समस्याओं बारे एस.एम.ओ. चक्क शेरेवाला डा. किरनदीप कौर के साथ बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि गांवों के सरकारी अस्पताल में डाक्टर कहां से होने हैं, डाक्टर तो चक्क शेरेवाला के बड़े अस्पताल में भी कोई नहीं हैं। उन्होंने कहा कि डाक्टरों की कमी बारे पंजाब सरकार और सेहत विभाग को उनकी तरफ से लिख कर भेजा हुआ है। 

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