पी.पी.एस.सी. की कारगुजारी एक बार फिर सवालों के घेरे में

Edited By Anjna,Updated: 06 May, 2018 03:36 PM

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लोकतंत्र में देश के हर नागरिक को लोकविरोधी नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने तथा इस प्रति रोष प्रकट करने का अधिकार है लेकिन सरकारी तंत्र में लोगों की इस आवाज को दबाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। यह मामला है राज्य में 118 आयुर्वैदिक...

श्री मुक्तसर साहिब (तनेजा): लोकतंत्र में देश के हर नागरिक को लोकविरोधी नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने तथा इस प्रति रोष प्रकट करने का अधिकार है लेकिन सरकारी तंत्र में लोगों की इस आवाज को दबाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। यह मामला है राज्य में 118 आयुर्वैदिक मैडीकल ऑफिसरों की भर्ती का, जिसमें इन डाक्टरों की भर्ती करने वाले संस्थान ने ऐसा तुगलकी फरमान जारी किया है जो किसी भी पक्ष से लोकहित में नहीं है।

यह संस्था कोई और नहीं बल्कि पंजाब पब्लिक सॢवस कमीशन जैसी प्रसिद्ध संस्था है। राज्य में 118 आयुर्वैदिक मैडीकल अफसरों की भर्ती करने के लिए राज्य सरकार द्वारा टैस्ट व इंटरव्यू लेने की जिम्मेदारी इस संस्था को दी गई थी। टैस्ट लेने के बाद नतीजा घोषित करने के पहले टैस्ट में पूछे गए सवालों में किसी गलती की संभावना के लिए उम्मीदवारों से ऐतराज मांगे गए थे। यहां तक सब कुछ ठीक था लेकिन बात तब बिगड़ी जब पी.पी.एस.सी. ने यह नोटिस जारी कर दिया कि ऐतराज गलत पाए जाने पर उस उम्मीदवार के 3 नंबर काट लिए जाएंगे।

ऐसा फरमान सुनकर किसी ने ऐतराज तो नहीं जताया लेकिन कोर्ट में इस पर केस दायर कर दिया। अब कोर्ट ने भी पी.पी.एस.सी. को यह नोटिस वापस लेने की हिदायत कर दी है। इस संबंधी देश में आयुष डाक्टरों की संस्था आयुषमान इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा एन.आर.एच.एम. इम्प्लाइज यूनियन पंजाब के राज्य अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह राणा ने कहा कि पी.पी.एस.सी. पहले भी सवालों के घेेरे में रही है और अब इस संबंधी हुए कोर्ट केसों में उम्मीदवारों तथा सरकार का बहुत सारा समय व पैसा बर्बाद होगा। इस संबंधी और जानकारी देते राणा ने कहा कि अभी हाल ही कुछ माह पहले राज्य में होम्योपैथी मैडीकल अफसरों की 48 पोस्टों के लिए टैस्ट के बाद इंटरव्यू दौरान कुछ उम्मीदवारों ने पी.पी.एस.सी. पर इंटरव्यू में पक्षपात का आरोप लगाया था। उम्मीदवारों का कहना है कि राज्य में टैस्ट व इंटरव्यू की सारी प्रक्रिया सी.सी.टी.वी. कैमरे की निगरानी में होती है। यदि इस संबंधी सी.सी.टी.वी. कैमरे की रिकॉर्डिंग की जांच की जाए तो कुछ उम्मीदवारों से हो रहा पक्षपात साफ तौर पर देखा जा सकता है। 

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