Edited By Kalash,Updated: 10 Nov, 2024 06:03 PM
पंजाब के बाकी हिस्सों की तरह मलोट में भी डेंगू का प्रकोप जोरों पर है। आधिकारिक तौर पर यह आंकड़ा कम दिखाया जा रहा है
मलोट : पंजाब के बाकी हिस्सों की तरह मलोट में भी डेंगू का प्रकोप जोरों पर है। आधिकारिक तौर पर यह आंकड़ा कम दिखाया जा रहा है लेकिन जानकारी के मुताबिक शहर के विभिन्न वार्डों में डेंगू बुरी तरह फैल रहा है और मलोट के विभिन्न निजी अस्पतालों में सैकड़ों मरीज इलाज करा रहे हैं जबकि जिले में यह आंकड़ा बड़ा है। वहीं 2 दिन पहले मलोट में डेंगू से हुई युवक की मौत की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है लेकिन डेंगू बीमारी के फैलने से सिविल सर्जन और स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गये हैं, जिनके नेतृत्व में विभाग डेंगू के खिलाफ अभियान की खबरों से खानापूर्ति कीती जा रही है। जानकारी के अनुसार मलोट शहर के विभिन्न वार्डों में सैकड़ों लोग डेंगू बीमारी का शिकार हो चुके हैं। लोग स्वयं जांच कराकर प्राइवेट इलाज करा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार अक्टूबर माह में करीब डेढ़ दर्जन मरीज आए थे जबकि नवम्बर माह के पहले सप्ताह तक 30 से अधिक मरीजों की डेंगू पॉजिटिव होने की पुष्टि हो चुकी है।मलोट के एक निजी अस्पताल में 27 वर्षीय आकाश सिडाना की मौत की स्वास्थ्य विभाग ने आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। विभाग के अनुसार उनके पास इस मरीज के पॉजिटिव होने या मरने की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। वहीं जिस निजी अस्पताल में डेंगू से मौत की बात सामने आ रही है, उसने सरकारी अस्पताल से मरीज के बारे में कोई जानकारी साझा नहीं की है।
सिविल सर्जन ने नहीं उठाया फोन
इस मामले पर जब सिविल सर्जन डॉ. जगदीप चावला से संपर्क करने की कोशिश की गई तो हमेशा की तरह दो बार फोन करने के बाद भी उन्होंने फोन नहीं उठाया। गौरतलब है कि प्रशासन ने सभी सरकारी कर्मचारियों को विशेष निर्देश दिया था कि छुट्टी के दिन भी किसी भी सरकारी कर्मचारी का फोन बंद नहीं होना चाहिए।
क्या कहना है एस.एम.ओ. का?
डा. सुनील बांसल ने कहा कि सरकारी अस्पताल में या मान्यता प्राप्त लैब में किया गया एलिसा टेस्ट प्रामाणिक माना जाता है, जबकि ज्यादातर कार्ड टेस्ट होते हैं, जिनकी रिपोर्ट को प्रामाणिक नहीं माना जाता। मलोट के निजी अस्पताल में हुई मौत की खबर पर उन्होंने कहा कि उनके पास डेंगू से मौत की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि क्या किसी लैब से किसी डेंगू मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है या किसी निजी अस्पताल में कोई केस आया है तो उन्हें सरकारी अस्पताल के ध्यान में लाना चाहिए। मलोट के जिस निजी अस्पताल में डेंगू से युवक की मौत की खबर है, उसने सरकारी अस्पताल से कोई जानकारी साझा नहीं की है जो ठीक नहीं।
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