Edited By Updated: 23 May, 2016 11:33 AM
भगवान को भी चैलेंज कर आसमान छूने का हौसला रखने वाले दिव्यांग यशवीर गोयल पर ये पंक्तियां बिल्कुल सटीक ..
भटिंडा(बलविंद्र): भगवान को भी चैलेंज कर आसमान छूने का हौसला रखने वाले दिव्यांग यशवीर गोयल पर ये पंक्तियां बिल्कुल सटीक बैठती हैं कि ‘कमजोर हैं वे जो रोना रोते हैं अक्षरों का, उगने वाले तो उग जाते हैं सीना फाड़ के पत्थरों का।’
दिव्यांग यशवीर गोयल ने पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की 12वीं कक्षा में 86 प्रतिशत अंक हासिल कर सबको हैरान कर दिया है। यशवीर ने पंजाब बोर्ड की 5वीं कक्षा में 91.3 फीसदी और 10वीं में भी 80 प्रतिशत नंबर प्राप्त कर टॉपरों में जगह बनाई थी, और इस बार भी उसने बेहतर प्रदर्शन किया है। यशवीर भले ही पंजाब इंफार्मेशन कमिश्नर चंद्र प्रकाश और नीतू गोयल का लाडला है पर इस मुकाम को पाने में उसने कड़ी मेहनत की है।
पंजाब इंफार्मेशन कमिश्नर चंद्र प्रकाश बताते हैं कि यशवीर का जन्म 5 अगस्त 1999 में हुआ जबकि उसमें शारीरिक तौर पर कई अन्य कमजोरियां भी थीं, जो उसकी मां की मेहनत से दूर हुई हैं। वे लोग यशवीर को दिव्यागों के स्कूल में नहीं पढ़ाना चाहते थे, इसलिए उसका दाखिला एम.एच.ओ. स्कूल भटिंडा में आम बच्चों के साथ करवाया गया, जहां उसकी जिम्मेदारी अध्यापक रजनीश भारद्वाज ने उठाई थी। यह यशवीर की हिम्मत है कि वह अनेकों परेशानियों के बावजूद भी न सिर्फ आम बच्चों में पढ़ रहा है, बल्कि अन्य बच्चों के लिए मिसाल भी बना हुआ है।
चंद्र प्रकाश ने बताया कि 3 मई 2009 को ऑल इंडिया डी.ए.वी. मैनेजमैंट ने देशभर से विशेष प्राप्तियों वाले 10 बच्चों को चुना, जिनमें यशवीर भी शामिल था, जिसे गोल्ड मैडल से सम्मानित किया गया। यशवीर सिर्फ पढ़ाई में ही नहीं देश-विदेश की टिकटें, सिक्के और करंसी नोट एकत्र करने का शौक रखता है तथा फोटोग्राफी भी अच्छी करता है, जबकि बैडमिंटन का भी अच्छा खिलाड़ी है। यशवीर दिव्यांग होने के बावजूद सामने वाले की लिप रीडिंग कर सभी बातों के सही जवाब समझा देता है। उसने बताया कि वह ग्रैजुएशन तक की पढ़ाई कर एल.एल.बी. करेगा। वह अपने पापा की तरह अफसर नहीं बनना चाहता, बल्कि बड़ा व्यापारी बनने का इच्छुक है। उसने कहा कि वह नौकरी मांगने वाला नहीं, बल्कि एक दिन नौकरियां बांटने वाला बनेगा।