Edited By Sonia Goswami,Updated: 22 Sep, 2018 08:43 AM
सरकारी अस्पताल कौहरियां, जो करीब 6 दशक पहले बना था और जिस पर करीब 85 गांव निर्भर करते हैं, आज अपने को बरकरार रखने के लिए किसी रखवाले का इन्तजार कर रहा है। पंजाब में सेहत और रक्षा का नारा लगाने वाली अनेक ही सरकारें बदल गईं परन्तु इस अस्पताल की किसी...
कौहिरयां(स.ह.): सरकारी अस्पताल कौहरियां, जो करीब 6 दशक पहले बना था और जिस पर करीब 85 गांव निर्भर करते हैं, आज अपने को बरकरार रखने के लिए किसी रखवाले का इन्तजार कर रहा है। पंजाब में सेहत और रक्षा का नारा लगाने वाली अनेक ही सरकारें बदल गईं परन्तु इस अस्पताल की किसी भी सरकार ने सार नहीं ली।
इस अस्पताल का मुद्दा पिछले विधानसभा सैशन में हलका दिड़बा से एम.एल.ए. (विरोधी पक्ष के नेता) हरपाल सिंह चीमा ने पूरे जोरो-खरोश से उठाया था, जिस पर सरकार ने यहां से रिपोर्टें भी मंगवाई थीं जिसमें विभाग की तरफ से बेकार बिल्डिंग, स्टाफ की कमी व बाकी कमियां बारे पूरी रपोर्ट बना कर भेजी गई परन्तु सरकार ने दोराहा और घनौर के अस्पताल की बिल्डिंग नई बनाने के निर्देश तो जारी कर दिए परन्तु कौहरियां अस्पताल को अपनी किस्मत पर आंसू बहाने के लिए छोड़ दिया।
डाक्टरों की कमी: अस्पताल में डाक्टरों और स्टाफ की बहुत कमी है, जो डाक्टर यहां पोस्टिड हैं, उनको भी यहां से आर्जी तौर पर बदल कर अन्य स्टेशनों पर लगा दिया गया है, जिस कारण एमरजैंसी सेवाएं बंद होने के कगार पर हैं और खटारा किस्म की एंबुलैंस भी ईश्वर आसरे ही चलती है।
यही हाल रहा तो अस्पताल की एमरजैंसी सेवाएं बंद करनी पड़ेंगी : एस.एम.ओ.
जब एस.एम.ओ. डा. तेजिंद्र सिंह के साथ बात की तो उन्होंने कहा कि यहां मैडीकल अफ सरों की 8 पोस्टें हैं, जिनमें से एक तो इस्तीफ ा ही दे गए। एक लम्बी छुट्टी पर चल रहे हैं। एक डैंटल डाक्टर हैं। बाकी 4 में से 3 को आरजी तौर पर अन्य पी.एच.सी. में लगाया गया है। वह तो सिर्फ एक डाक्टर के साथ ही काम चला रहा है। यदि यही हाल रहा तो उन्हें मजबूर होकर अस्पताल की एमरजैंसी सेवाएं बंद करनी पड़ेंगी।