सांझा मोर्चा ने कच्चे कर्मचारियों को रैगुलर न करने के रोषस्वरूप मनाई काली दीवाली

Edited By Vatika,Updated: 07 Nov, 2018 10:06 AM

black diwali

सांझा मोर्चा के अध्यापक स्थानीय माता नयना देवी के मन्दिर के पार्क में इकट्ठे हुए और उसके बाद संगरूर के बाजारों में अध्यापकों को रैगुलर न करने के विरोध के तौर पर रोष भरपूर प्रदर्शन करते हुए काली दीवाली मनाई। इस मौके सांझा मोर्चा के नेता देवी दयाल ने...

संगरूर (बेदी, हरजिन्दर): सांझा मोर्चा के अध्यापक स्थानीय माता नयना देवी के मन्दिर के पार्क में इकट्ठे हुए और उसके बाद संगरूर के बाजारों में अध्यापकों को रैगुलर न करने के विरोध के तौर पर रोष भरपूर प्रदर्शन करते हुए काली दीवाली मनाई। इस मौके सांझा मोर्चा के नेता देवी दयाल ने बताया कि नियुक्ति पत्र और इश्तिहार की शर्तों अनुसार 5178 अध्यापकों को नवम्बर से पूरे वेतन पर रैगुलर करना बनता था परन्तु सरकार की बुरी नीतियों के कारण एक साल निकलने पर भी रैगुलर नही किया गया इसलिए 2011 का सबसे पहला यह अध्यापक योग्यता टैस्ट पास अध्यापक लगातार आठवीं काली दीवाली मनाने के लिए मजबूर है। 

इस मौके करमजीत सिंह नदामपुर ने बताया कि शिक्षा मंत्री पंजाब के बयान अनुसार सरकार अब 5178 अध्यापकों को अप्रैल 2019 से रैगुलर करके उनका 17 महीनों का वेतन दबाकर अपने मंत्रियों का पेट भरना चाहती है परन्तु अध्यापकों ने कहा कि वह इस तरह कभी नही होने देंगे।  वह अपने बनते हक अनुसार नवम्बर 2017 से ही पूरे वेतन पर रैगुलर होंगे। इस मौके कश्मीर सिंह संगरूर ने कहा कि इन अध्यापकों का वेतन सिर्फ 7000 रुपए है, जिससे किसी भी घर का गुजारा नही चलाया जा सकता। इस कारण बहुत सारे अध्यापकों ने कर्जे ले रखे हैं और कर्जे वापस न कर सकने के कारण मानसिक व आर्थिक समस्याओं का शिकार हो रहे हैं।

यह न हो कहीं ये निराश अध्यापक किसानों की तरह आत्महत्या का राह अपनाएं इसलिए सरकार को तुरंत 5178 अध्यापकों को नवम्बर 2017 से बनते हक अनुसार पूरे वेतन पर रैगुलर करना चाहिए। इसके अलावा 8886 अध्यापकों को वेतन में कटौती करके 15,300 पर जबरन रैगुलर करने का भी विरोध किया गया और सभी अध्यापकों को रैगुलर करने की मांग की गई। बहुत से अध्यापकों को अपनी ड्यूटी के बाद भट्ठों, सब्जी की दुकानों व अन्य ऐसे काम करने पड़ रहे हैं जिससे पूरा समाज शर्मसार हो रहा है इसलिए सरकार को शर्म आनी चाहिए क्योंकि वह कौम के निर्माता को आर्थिक अंधेरे की तरफ धकेल रही है। इतिहास गवाह है जिस कौम ने अपनी शिक्षा और शिक्षा देने वालों को खत्म किया है, समय ने भी उस कौम का नामो-निशान नही छोड़ा। इस मौके अमृतपाल सिद्धू ने बताया कि शिक्षा विभाग की तरफ से अध्यापकों के जबरन संस्पैंशनें, बदलियां व विक्टेमाइजेशनों की निंदा की गई और सरकार से मांग की गई कि सभी विक्टेमाइजेशनों सहित संस्पैंशनों और बदलियों को तुरंत रद्द किया जाए। 

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