ट्रांसपोर्ट विभाग के ऑनलाइन सिस्टम में फर्जीवाड़ा, सरकार को लग रहा लाखों का चूना

Edited By swetha,Updated: 13 Sep, 2018 10:28 AM

transport department

ऑनलाइन रजिस्ट्री सिस्टम की भांति ट्रांसपोर्ट विभाग की तरफ से वी.आई.पी. नंबरों (फैंसी नंबर) की ऑनलाइन नीलामी में भी कई बड़ी खामियां पाई जा रही हैं, जिससे सरकार को लाखों रुपए का चूना तो लग ही रहा है साथ ही वी.आई.पी. नंबर लेने वाले योग्य उम्मीदवारों को...

अमृतसर(नीरज): ऑनलाइन रजिस्ट्री सिस्टम की भांति ट्रांसपोर्ट विभाग की तरफ से वी.आई.पी. नंबरों (फैंसी नंबर) की ऑनलाइन नीलामी में भी कई बड़ी खामियां पाई जा रही हैं, जिससे सरकार को लाखों रुपए का चूना तो लग ही रहा है साथ ही वी.आई.पी. नंबर लेने वाले योग्य उम्मीदवारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध में कई बोलीकारों की तरफ से मिली शिकायतों के बाद सैक्रेटरी आर.टी.ए. अमृतसर रजनीश अरोड़ा की तरफ से स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर व अन्य अधिकारियों को लिखित रूप से कुछ सुझाव दिए गए हैं ताकि वी.आई.पी. नंबरों की ऑनलाइन बोली में कोई भी फर्जी बोलीकार व एजैंट शामिल न हो सके। 

बताते चलें कि वी.आई.पी. नंबरों की ऑनलाइन बोली से पहले डी.टी.ओ. दफ्तरों में मैनुअली बोली करवाई जाती थी, जिसमें सभी वी.आई.पी. नंबर जैसे 0001 से लेकर अन्य नंबरों की नीलामी सबके सामने की जाती थी। इसमें वी.आई.पी. नंबर लेने के इच्छुक भाग लेते थे और जो सबसे ज्यादा बोली देता था उसको वी.आई.पी. नंबर दे दिया जाता था, लेकिन मौजूदा समय में यह बोली ऑनलाइन हो चुकी है जिसमें किसी को यह पता नहीं चलता है कि बोली देने वाला व्यक्ति कौन है और कहां रहता है।

सैक्रेटरी आर.टी.ए. को शिकायत मिली है कि 4 सितम्बर 2018 को पीबी02डीएन सीरीज की बोली में फेक बोली हुई है जिसमें ऑनलाइन बोली देने वालों ने जरूरत से ज्यादा नंबरों की कीमत नीलाम की है, इसका कोई असल प्रार्थी भी नहीं होता है। मान लिया जाए कि किसी वी.आई.पी. नंबर की सही कीमत 1 लाख रुपए बनती है, लेकिन फर्जी बोलीकार या एजैंट इसकी बोली 2 लाख रुपए या इससे भी ज्यादा लगा देते हैं। इससे असलीयत में बोली देने वाले लोग इससे पीछे हट जाते हैं और ज्यादा बोली देने वाले फर्जी लोग बोली की राशि जमा नहीं करवाते हैं और एक सोची समझी साजिश के तहत रिजर्व प्राइस पर नंबर को नीलाम कर दिया जाता है। सैक्रेटरी आर.टी.ए. ने स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को सुझाव दिया है कि 25 सितम्बर 2018 को होने वाली बोली में जो नंबर रह गए हैं उनको फ्रीज कर दिया जाए।

आर.टी.ए. व एस.डी.एम्ज के पास होना चाहिए एडमिन लोगिन आई.डी.
स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को सुझाव दिया गया है कि बोली करवाने वाली अथॉरिटी सैक्रेटरी आर.टी.ए. व एस.डी.एमज के पास वी.आई.पी. नंबरों की एडमिन लोगिन आई.डी. होनी चाहिए, जिसमें वी.आई.पी. नंबरों की नीलामी के समय शामिल होने वाले सभी बोलीकारों का बायोडॉटा ऑनलाइन हो।

नंबरों की नीलामी के समय जमा होनी चाहिए सारी रिजर्व फीस
वी.आई.पी. नंबरों की नीलामी के समय ही वी.आई.पी. नंबरों की सारी रिजर्व फीस जमा होनी चाहिए और बोली के बाद नंबर न मिलने की सूरत में वी.आई.पी. नंबरों की एंट्री फीस (500 या 1000) काटकर बाकि की फीस वापसी योग्य होनी चाहिए ताकि कोई फर्जी व्यक्ति इस बोली में शामिल न हो सके और बोली में किसी प्रकार की बाधा न आ सके।

एक गाड़ी का मालिक दे एक ही गाड़ी की बोली
स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को यह भी सुझाव दिया गया है कि एक गाड़ी का मालिक एक ही गाड़ी की बोली लगा सके, जिसकी बोली गाड़ी के चैसी नंबर के जरिए हो ताकि कोई दूसरा फर्जी बोलीकार इसमें शामिल न हो सके।

कभी एक नंबर लेने के लिए चल जाती थी गोली
वी.आई.पी. नंबरों की ऑनलाइन बोली ने नंबरों की नीलामी का मजा भी खत्म कर दिया है। कभी वी.आई.पी. नंबरों की मैनुअल नीलामी के समय सत्ताधारी पार्टी व विपक्षी दलों के वह इच्छुक प्रार्थी वी.आई.पी. नंबर लेने के लिए जान की बाजी तक लगा देते थे और नंबर की नीलामी के समय गोली तक चलने की घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं। ऐसे हालात में एक नंबर जैसे स्टेटस सिंबल वाले नंबर के लिए 20 लाख रुपए या इससे भी ज्यादा कीमत की बोली लगने की घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं क्योंकि सभी प्रार्थी ऐसे नंबर को खरीदना अपनी शान समझते थे, लेकिन वी.आई.पी. नंबरों की ऑनलाइन बोली ने जहां सरकार के रैवेन्यू को भारी नुक्सान पहुंचाया है वहीं नीलामी का मजा भी किरकिरा कर दिया है।
 

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