शहीदों पर सियासत करने वाले भूल गए जलियांवाला बाग का ‘संविधान’

Edited By swetha,Updated: 02 Jul, 2019 03:40 PM

jallianwala bagh

शहीदों पर सियासत नहीं होनी चाहिए। यह दावा खुद  सियासत ही करती है और सियासत ही शहीदों पर राजनीति करती है।

अमृतसर (सफर): शहीदों पर सियासत नहीं होनी चाहिए। यह दावा खुद  सियासत ही करती है और सियासत ही शहीदों पर राजनीति करती है। देश के राजनेता किस कदर शहीदों पर सियासत करते रहे हैं इसका फैसला आप खुद यह खास खबर पढ़कर जरूर करें। आपको जलियांवाला बाग के शहीदों पर होने वाली सियासत पर लेकर चलते हैं जो मुद्दा इस समय शहर में गर्मा रहा है वह है जलियांवाला बाग का ‘खूनी कुआं’। 
यह वह कुआं है जिसमें 13 अप्रैल 1919 को जान बचाने के लिए लोगों ने छलागें लगाकर भारत माता की जय बोलकर अपनी शहादत दी थी। कुआं लाशों से भर गया था। इस शहीदी कुएं की मुरम्मत को लेकर मामला खूब गर्माया हुआ है। वहीं शहीदों पर सियासत करने वाले जलियांवाला बाग का ‘संविधान’ भूल गए। पेश है इसी पर यह खास स्टोरी।

बिजली कटने से अमिताभ बच्चन की आवाज नहीं देती सुनाई
अकाली-भाजपा की सरकार में जलियांवाला बाग मैमोरियल ट्रस्ट ने जब बिजली का बिल नहीं भरा तो लाइट काट दी गई। ऐसे में रोजाना होने वाले लाइट एंड साऊंड प्रोग्राम में अमिताभ बच्चन की आवाज में सुनाई जाने वाली 13 अप्रैल 1919 की कहानी ‘खामोश’ हो गई। सियासत तब से लेकर अब तक चुप है।

शताब्दी समारोह में शहीदी कुएं पर चले हथौड़े
यह संयोग की बात है कि जब जलियांवाला बाग के शहीदों की शहादत के 100 साल मनाए जा रहे थे, देश-दुनिया के सैलानी वहां शहीदों को नमन करने आ रहे थे तभी शहीदी कुएं पर चलने वाले हथौड़ों की आहट से सैलानी खफा भी दिखे। मुंबई से मनीष शिंदे कहते हैं कि जब सरकार को पता था कि 100 साल पूरे हो रहे हैं तो पहले ही मुरम्मत का काम करवा लिया जाता, 13 अप्रैल 2019 से यहां रोज मेला लगता लेकिन यहां तो सब उल्टा है। शहीदी कुआं बंद है, देखने को कुछ नहीं, कोई बंदोबस्त नहीं है। इसी तरह का कहना पुणे के राधा-रमण परिवार का है। परिवार कहता है कि सियासत नहीं होनी चाहिए, शहीद कौम के थे। जलियांवाला बाग को और सुंदर बनाना चाहिए।

आर.टी.आई. में नहीं दिया जा रहा बही खातों का हिसाब
एड. पी.सी. शर्मा कहते हैं कि मैंने आर.टी.आई. के जरिए 105 से अधिक बार जलियांवाला बाग के शहीदों को लेकर सरकार से जवाब मांगे हैं, जलियांवाला बाग के बही खातों का हिसाब नहीं दिया जा रहा है। खूनी कुएं के चढ़ावे पर संशय है। एक ही परिवार का कब्जा रहा है, ऐसे में शहीदों के नाम पर छलावे न हों, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी जांच के लिए कई बार पत्र लिख चुके हैं।

शहीदी कुआं तोडऩा शहीदों का अपमान : डा. वेरका
कांग्रेस के विधायक डा. राज कुमार वेरका कहते हैं कि जलियांवाला बाग के शहीदों का अपमान करते हुए शहीदी कुएं पर हथौड़ा चलवाया गया। किसी भी मर्यादा का ख्याल नहीं रखा गया। जहां लोग नतमस्तक होते हैं वहां आम इमारत की तरह शहीदी कुएं को गिरा दिया गया। यह भाजपा की घिनौनी साजिश है, पंजाब सरकार या जिला प्रशासन को विरासत की इस इमारत को गिराने के लिए कोई दस्तावेज नहीं लिया गया, पुलिस जांच करे, एफ.आई.आर. दर्ज हो। 

कांग्रेस ने कुछ संवारा नहीं : मलिक
राज्यसभा सांसद श्वेत मलिक ने जलियांवाला बाग के दौरे के बाद मीडिया से जलियांवाला बाग के खूनी कुएं पर कहा कि कांग्रेस ने कुछ संवारा नहीं, भाजपा संवार रही है तो सियासत हो रही है। विरासती कुएं को गिराया नहीं गया है, मुरम्मत व सौंदर्यीकरण के लिए पहले चरण का काम शुरू हुआ है। गुजरात की कंपनी काम कर रही है। सभी मापदंड पूरे हैं। 

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