ईराक में फंसे 39 भारतीयों की मौत की पुष्टि से घर वालों पर टूटा दुखों का पहाड़

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Mar, 2018 01:42 PM

39 indians in iraq

ईराक में आई.एस.आई.एस. के हाथों मारे गए गए पंजाबी नौजवानों की मौत की पुष्टि होने के बाद हर दिल दुखी है और नौजवानों के घरों में मातम छा गया है, तो वहीं इस मामले में पंजाब व केन्द्र सरकार की एक बड़ी नालायकी भी सामने आई है।

अमृतसर(नीरज/ संजीव):  ईराक में आई.एस.आई.एस. के हाथों मारे गए गए पंजाबी नौजवानों की मौत की पुष्टि होने के बाद हर दिल दुखी है और नौजवानों के घरों में मातम छा गया है, तो वहीं इस मामले में पंजाब व केन्द्र सरकार की एक बड़ी नालायकी भी सामने आई है।
 

उक्त नालायकी और कुछ नहीं, बल्कि ट्रैवल एजैंटों के रूप में काम कर रहे अनरजिस्टर्ड मानव तस्करों के रूप में सामने आई है। कई वर्षों से अपने बच्चों के घर वापस आने की राह देख रही घर वालों की आंखें पत्थर हो चुकी थीं और आज जैसे ही केन्द्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उन 39 भारतीय युवकों जो ईराक में फंसे हुए थे, की मौत संबंधी पुष्टि की तो मानो जैसे उन पर मुसिबतों का पहाड़ टूट पड़ा हो, वे फबक-फबक कर रो पड़े।

 

गांव में मातम छा गया और मां-बाप, भाई-बहन हाथ उठा-उठा कर रोने लगे और वाहेगुरु से यह पूछने लगे कि उनके साथ यह जुल्म क्यों हुआ है। आज से पहले ईराक में फंसे 39 भारतीय युवकों के घर वाले इस आस में थे कि उनके बेटे एक दिन घर लौटेंगे। अपने जीवन की आखिरी घडिय़ां जी रहे मां-बाप विदेशों में फंसे अपने बच्चों का चेहरा देखने के लिए बेताब थे, मगर आज बच्चों की मौत की खबर ने उनकी हर आखिरी उम्मीद को भी तोड़ डाला। कई युवकों के मासूम बच्चों के लब ये पूछ-पूछ सूख चुके थे कि उनके पापा ईराक से कब आएंगे, मगर उन्हें यह पता नहीं था कि अब जहां उनके पापा गए हैं, वहां से कोई भी लौटा नहीं। बच्चे घर में यह जिद्द भी करते थे कि विदेश से लौटने के उपरांत वे कभी भी अपने पापा को वापस नहीं जाने देंगे। 

 

‘पंजाब केसरी’ टीम ने जब गांव संघोवाना निवासी नौजवान निशान सिंह के घर का दौरा किया तो उनके भाई सरवन सिंह ने बताया कि निशान सिंह व उसके साथियों को राजबीर नामक एजैंट ने अपने जाल में फंसाया था। निशान सिंह को दुबई भेजने के लिए 1.60 लाख रुपए लिए गए थे लेकिन उसको दुबई की बजाय आई.एस.आई.एस के गढ़ के नजदीक ईराक के मोसुल भेज दिया गया। निशान 2013 में मोसुल गया था, जहां 6 महीने के बाद उसका परिवार से कॉन्टैक्ट खत्म हो गया। इस अवधि के दौरान निशान की पत्नि ने भी दूसरी शादी कर ली। सरवन सिंह ने बताया कि निशान को अपने जाल में फंसाने वाले राजबीर के खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इतना ही नहीं केन्द्र सरकार ने भी निशान व उसके साथियों को छुड़ाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया।

सरवन के अनुसार आई.एस.आई.एस. ने जब निशान व उसके साथियों को बंधक बनाया तो इसके कुछ दिन बाद 44 भारतीय नर्सों को भी आई.एस.आई.एस. ने बंधक बनाया था, केन्द्र सरकार ने नर्सों को तो छुड़ा लिया लेकिन निशान व उसके साथियों को नहीं छुड़वाया, यहां तक कि आई.एस.आई.एस. ने भी निशान और उसके साथियों को अपनी एम्बैसी के साथ बात करने का मौका दिया था लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

राह देखते पत्थर हो चुकी थीं आंखें, मौत की खबर सुन फबक-फबक कर रो पड़े मां-बाप

ईराक में मारे गए जलाल ऊस्मा के रहने वाले गुरचरण सिंह का जन्म मार्च 1982 में हुआ था। 2013 में वह ईराक में अपने उज्ज्वल भविष्य के साथ-साथ घर वालों को सुख-सुविधा देने के लिए पैसे कमाने गया था। मगर उसे क्या पता था कि ईराक में आई.एस.आई.एस. के आतंकी उसे अपहरण कर मार डालेंगे। गुरचरण सिंह अपने पीछे वृद्ध पिता सरदारा सिंह, माता जोगिन्द्र कौर, पत्नी हरजीत कौर के साथ 2 मासूम बच्चे नवदीप कौर (12) व अमनजोत सिंह (8) को छोड़ गया है।
 

गुरचरण सिंह का एक छोटा भाई गुरजीत सिंह, जो बहरीन में कारपेंटर का काम करता है, आजकल अपने गांव आया हुआ था जिसने बताया कि 2 माह पूर्व उसने जसबीर कौर के साथ विवाह किया था। ईराक से भाई की कोई खबर न आने के कारण वह लगातार विदेश मंत्रालय के सम्पर्क में था, मगर उसे किसी तरह की भी जानकारी उपलब्ध नहीं कर्रवाई जा रही थी जिस कारण वह वापस नहीं जा रहा था। आखिरी बार 17 जून 2015 को गुरचरण सिंह की फोन पर अपने छोटे भाई गुरजीत सिंह से बात हुई थी। गुरचरण सिंह ने उसे कहा था कि उन्हें आई.एस.आई.एस. द्वारा अगवा कर लिया गया है और वे कह रहे हैं कि जब बगदाद उनके कब्जे में आ जाएगा तो वे उन्हें छोड़ देंगे। उन्हें किसी कम्बल की फैक्टरी में रखा जा रहा है और आई.एस.आई.एस. वाले उन्हें खाने के लिए रोटी दे रहे हैं।

 

सरकार ने उनके साथ धोखा किया : सरदारा सिंह
‘सानू तूं लारेया च न रख, असीं 12 वारी तेरे कोल आए हां सानूं सच्च-सच्च साडे बच्चे बारे दस दे’, यह कहना था गुरचरण सिंह के वृद्ध पिता सरदारा सिंह का। दोनों आंखों से आंसू बह रहे थे और सरदारा सिंह भावुक होकर यही कहते जा रहे थे कि सरकार ने उनके साथ धोखा किया है। मोदी कितने देश घूम आया, मगर उनके बच्चों को नहीं लेकर आया। उसने उनकी औलाद के बारे में कुछ नहीं सोचा।

 

पिता विदेश से कभी नहीं लौटेंगे, बच्चें को नहीं पता
गुरचरण सिंह की मासूम बेटी नवदीप कौर व बेटा अमनजोत सिंह आज अपने पिता की मौत की खबर के उपरांत भी यह नहीं समझ पा रहे थे कि अब उनके पिता विदेश से कभी नहीं लौटेंगे। कल तक दोनों बच्चे इस आस में थे कि उनके पिता जब घर आएंगे तो उनके लिए विदेशी खिलौने व कपड़े लेकर आएंगे। मगर आज उनकी माता हरजीत कौर बार-बार दोनों बच्चों को यह बता रही थीं कि उनके पिता अब कभी भी घर वापस नहीं आएंगे।  

 

कॉटन फैक्टरी में 10 दिन तक बनाए रखा बंधक
मोसुल में निशान के फैक्टरी मालिक जब अपनी फैक्टरी छोड़कर चले गए तो निशान ने अपने साथियों के साथ बगदाद स्थित एम्बैसी को भी सूचना दी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, जब आई.एस.आई.एस. ने मोसुल पर कब्जा कर लिया तो उनको एक कॉटन की फैक्टरी में ले गए, लेकिन वहां पर भी एम्बैसी के किसी भी अधिकारी ने उनके साथ संपर्क नहीं किया।

 

2 बहनों का इकलौता भाई था सिमरनजीत सिंह
दुबई से हरजीत मसीह लेकर गया था मोसुल आई.एस.आई.एस. के हाथों मारे गए नौजवानों में गांव बबोवाल का नौजवान सिमरनजीत सिंह भी था, जो 2 बहनों का इकलौता भाई था। सिमरनजीत सिंह की माता हरभजन कौर, बहन रिंपी व ज्योति ने नम आंखों से बताया कि सिमरनजीत सिंह व उसके साथियों को हरजीत मसीह दुबई से मोसुल लेकर गया था हरजीत मसीह, वहां से कैसे बचकर आ गया, इसकी जांच होनी चाहिए। गांव संघोवाना के मृतक नौजवान निशान सिंह के भाई सरवन सिंह ने भी यही आरोप लगाया है कि हरजीत मसीह के खिलाफ पुलिस ने कोई सख्त कार्रवाई नहीं की, जबकि हरजीत मसीह एजैंट राजबीर का भतीजा है।

 

जतिंद्र सिंह के परिवार में छाया मातम
स्यालका निवासी जङ्क्षतद्र सिंह की मौत की खबर की पुष्टि होने के बाद जङ्क्षतद्र के परिवार में भी शोक की लहर है। परिवार वालों का कहना है कि उनके बेटे के साथ धोखा हुआ है। केन्द्र सरकार की तरफ से भी उनके बेटे को बचाने के लिए कोई सकारात्मक प्रयास नहीं किया गया है।

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