Edited By Updated: 06 Apr, 2016 03:49 PM
सरकारी स्कूलों के हालातों के बारे में तो अापने अक्सर सुना ही होगा लेकिन सरकारी स्कूल में एडमिशन को लेकर लाइनें लग जाएं ये नहीं सुना होगा।
संगरूरः सरकारी स्कूलों के हालातों के बारे में तो अापने अक्सर सुना ही होगा लेकिन सरकारी स्कूल में एडमिशन को लेकर लाइनें लग जाएं ये नहीं सुना होगा।
संगरूर में एक एेसा स्कूल सामने अाया है जहां एडमिशन करवानी हो तो पहले बुकिंग करवानी पड़ती है। कहा जाता है कि इस स्कूल में सुबह से देर शाम तक पढ़ाई करवाई जाती है । अौर तो अौर किसी दिन छुट्टी नहीं होती।
सरकारी स्कूलों का नाम आते ही बदतर हालात, खराब रिजल्ट और कई तरह की बातें जहन में आती हैं लेकिन संगरूर के गांव "रत्तोके" के सरकारी प्राइमरी स्कुल को देख आपका ख्याल बदल जाएगा। "रत्तोके" सरकारी प्राइमरी स्कुल के हालात वर्ष 2002 में बदले जब सुरिंदर बंसल ने मुख्य अध्यापक के रूप में यहां अपना काम शुरू किया और तब स्कुल में सिर्फ 30 छात्र थे जिसके बाद अब हालत ये हैं कि बच्चों को एडमिशन के लिए यहां पर दो वर्ष पहले बुकिंग करवानी पड़ती है । इस स्कूल में निजी स्कूलों से ज्यादा सुविधाएं मिलती है बच्चों की पढ़ाई पर इतना ध्यान दिया जाता है कि बच्चे अव्वल अाते हैं।
स्कूल के मुख्य अध्यापक ने बताया कि इस स्कुल में कभी छु्ट्टी नहीं होती। रविवार को पढ़ाई में कमजोर बच्चों को बुलाया जाता है। बच्चों की ट्यूशन मुफ्त में लगाई जाती है। गांव निवासी यहां पर अपने बच्चों को पढ़ाकर गर्व महसूस करते हैं। ऐसा नहीं कि गांव का स्कुल है तो यहां के बच्चे इंग्लिश या फिर गणित में पीछे हों बल्कि यहां पर इंग्लिश की खासतौर पर तयारी करवाई जाती है ।