Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Jul, 2017 01:06 PM
क्षेत्र के गांवों में भोली-भाली ग्रामीण महिलाओं को योजनाओं के नाम पर साहूकारों द्वारा 10 या 20 हजार रुपए का कर्जा दिया जा रहा है, जिससे बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाएं साहूकारों के जाल में फंस रही हैं व ऐसी योजनाओं के लिए सदस्य बनकर कर्जा ले रही हैं।
श्री मुक्तसर साहिब (तनेजा): क्षेत्र के गांवों में भोली-भाली ग्रामीण महिलाओं को योजनाओं के नाम पर साहूकारों द्वारा 10 या 20 हजार रुपए का कर्जा दिया जा रहा है, जिससे बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाएं साहूकारों के जाल में फंस रही हैं व ऐसी योजनाओं के लिए सदस्य बनकर कर्जा ले रही हैं। उल्लेखनीय है कि महिलाओं को कर्जा शहरों में बैठे साहूकार दे रहे हैं।
साहूकार ने इन योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए महिलाओं को काम पर रखा है जो अधिक से अधिक प्रचार करती हैं। फिर 10-10 या 20-20 महिलाओं का ग्रुप बनाया जाता है व इन महिलाओं को शहरों में ले जाकर वहीं पैसे दिलाए जाते हैं तथा उनसे कार्ड, वोटर कार्ड या राशन कार्ड की कापियां ली जाती हैं।
बाद में दिए गए पैसों की वसूली व किस्तें लेने के लिए ग्रुप लीडर बना दी जाती हैं, जिनमें महिलाओं को ही शामिल किया जाता है तथा ये महिलाएं घरों में जाकर पैसे वसूलती हैं। कई महिलाएं ऐसी भी हैं जो एक से अधिक ग्रुपों में शामिल होकर दो-दो बार भी पैसे ले लेती हैं परंतु कर्जे की किस्तें वापस करते समय उन्हें भारी परेशानी आती है। कर्जे की वसूली के लिए लड़ाई-झगड़ा शुरू हो जाता है तथा कई बार बात पुलिस तक भी पहुंच जाती है क्योंकि जो महिला कर्जे की किस्त नहीं देती उसे बाकी महिलाएं जो उसके ग्रुप में शामिल होती हैं परेशान व जलील करती हैं।
अविवाहित लड़कियों को नहीं दिया जा रहा कर्जा
ज्यादातर गरीब व मध्य वर्ग परिवारों की महिलाएं इस मकडज़ाल में फंस रही हैं, जबकि पुरुषों को इन योजनाओं के तहत पैसा नहीं दिया जा रहा। इससे भी बड़ी बात है कि अविवाहित लड़कियों या पढ़े-लिखे नौजवानों को भी कर्जा नहीं दिया जा रहा। सिर्फ विवाहित महिलाओं को ही कमेटी का सदस्य बनाया जा रहा है।