Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Sep, 2017 11:41 AM
पंजाब सरकार द्वारा शराब के ठेकों को प्रतिबंधित स्थानों से दूर रखने के बावजूद इन ठेकों की समस्या दूर होने का नाम नहीं ले रही। पिछले महीने हाईकोर्ट के निर्देश के बाद उसने शराब के ठेकों को जी.टी. रोड से हटाने के निर्देश दिए थे। निर्देशों में कहा गया था...
अमृतसर (इन्द्रजीत): पंजाब सरकार द्वारा शराब के ठेकों को प्रतिबंधित स्थानों से दूर रखने के बावजूद इन ठेकों की समस्या दूर होने का नाम नहीं ले रही। पिछले महीने हाईकोर्ट के निर्देश के बाद उसने शराब के ठेकों को जी.टी. रोड से हटाने के निर्देश दिए थे। निर्देशों में कहा गया था कि इन ठेकों को मुख्य मार्ग से 500 मीटर की दूरी के बीच न खोलने दिया जाए।
इसमें जी.टी. रोड पर समस्या तो काफी हद तक हल हो चुकी है, किंतु अन्य नियम के अनुसार शराब के ठेकों को धार्मिक स्थलों और स्कूल कालेजों से भी दूरी बना कर खोला जाए। ‘पंजाब केसरी’ टीम द्वारा पिछले 2 दिनों से किए जा रहे सर्वेक्षण में पाया गया कि अमृतसर सर्कल के बीच आते शराब के दर्जनों ठेके ऐसे स्थानों पर हैं, जिनसे स्कूल और कालेज 100 मीटर की दूरी के भीतर ही हैं। इसमें मुख्य समस्या यह आती है कि शराब के ठेकों के साथ कुछ दूरी पर शराब के अहाते भी होते हैं, जिससे विद्यार्थियों पर बुरा असर पडऩे का अंदेशा बना रहता है।
कहां-कहां हैं स्कूलों के निकट शराब के ठेके
सर्वेक्षण में देखा गया कि अमृतसर के सिकंदरी गेट के निकट पी.बी.एन. स्कूल के सामने, बिजलीघर के मुख्य गेट के सामने ठेके के निकट, डी.ए.वी. कालेज, हिन्दुस्तानी बस्ती के सामने ठेके के पिछली ओर स्कूल, बेरी गेट के सामने स्कूल, लॉरैंस रोड ठेके के निकट कई स्कूल-कालेज हैं।
इसी प्रकार अमृतसर सर्कल में 300 के करीब शराब के ठेके हैं जहां पर अमृतसर सिटी के अतिरिक्त जंडियाला, अजनाला, राजासांसी, तरनतारन रोड आदि कई क्षेत्रों में शराब के ठेके स्कूलों व कालेजों के सामने खुले हुए हैं। शराब के ठेकों पर बैठे सेल्जमैनों से बात करने पर उन्होंने कहा कि वे मामूली नौकर हैं और 3500 से 4000 रुपए तनख्वाह लेते हैं। ठेके खोलना या न खोलना मालिकों के हाथ में है।
धार्मिक स्थानों के निकट से भी हटाए जाएं ठेके
प्रमुख समाज सेवक एवं ऑटो पार्ट्स व्यापारी संजय मेहरा ने कहा कि स्कूल और कालेजों के निकट ठेके हटाने के साथ-साथ धार्मिक स्थानों के निकट से भी ठेके हटाए जाएं, क्योंकि मांस व मछली की बदबू से श्रद्धालुओं को परेशानी होती है। शराब के ठेकों का समय भी निश्चित किया जाना चाहिए।
बोली भरी है इलाका नहीं वेखना
सर्वेक्षण के बीच पत्रकारों ने जब शराब के ठेके पर बैठे एक सेल्जमैन से रात के 10 बजे के करीब बातचीत की तो सेल्जमैन ने झूमते हुए कहा कि बोली भरी है भाजी इलाका नहीं वेखना। यह पूछे जाने पर कि यह ठेका स्कूल से कितनी दूरी पर है तो उसने कहा कि पीने की बात करो, दूरी को छोड़ो।
क्या कहते हैं ठेकेदार
इस संबंध में शराब के ठेकेदारों से बात करने पर उन्होंने अपना नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि जब शराब का ठेका अलाट किया जाता है तो उन्हें स्थान से कोई मतलब नहीं होता। स्थान का प्रबंधन विभागीय अधिकारियों को करना होता है, किंतु विभागीय अधिकारियों को चाहिए कि स्थान देने से पूर्व इसकी भौगोलिक स्थिति का आकलन कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि अधिकतर ठेकेदार शराब के बड़े ग्रुपों से संबंधित हैं और बाहर के हैं। उन्हें शहर की भौगोलिक स्थिति का कोई ज्ञान नहीं है।
दोनों सर्कलों को निर्देश दे दिए गए हैं : डी.सी.
डिप्टी कमिश्नर एक्साइज एंड टैक्सेशन हरिन्द्रपाल सिंह ने कहा कि शराब के ठेकों की स्थिति को लेकर उन्होंने दोनों सर्कलों के ए.ई.टी.सीज को निर्देश दिए हैं कि वे इस बात को सुनिश्चित करें कि कौन से ठेके स्कूल व कालेजों के निकट हैं। उन्होंने इस बात पर सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि शराब के ठेके ऐसे संवेदनशील स्थानों के निकट नहीं होने चाहिएं।
स्कूलों के निकट ठेके बंद हों
इस संबंध में महानगर के कपड़ा व्यापारी सेठ अनूप खन्ना ने कहा कि शराब के ठेके स्कूलों के निकट होने के कारण विद्यार्थियों के आचरण पर असर पड़ता है इसलिए इन ठेकों की दूरी को स्कूलों और कालेजों से अधिक बढ़ाया जाए।