नेत्रहीन होने के बावजूद दुनिया को मुट्ठी में करने की जिद्द

Edited By Updated: 16 Jan, 2017 10:32 AM

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अगर इंसान के इरादे नेक व हौसलों में इच्छाशक्ति कूट-कूटकर भरी हो तो उसे आसमान की ऊंचाई छूने के लिए पंखों की जरूरत नहीं पड़ती।

लुधियाना(खुराना): अगर इंसान के इरादे नेक व हौसलों में इच्छाशक्ति कूट-कूटकर भरी हो तो उसे आसमान की ऊंचाई छूने के लिए पंखों की जरूरत नहीं पड़ती। वह बिना पंखों के ही आजाद परिंदों की तरह बादलों को चीरते हुए गगन में उड़ान भर सकता है। जन्म से ही नेत्रहीन अंकित कपूर, जिन्होंने ब्लाइंड होने के बावजूद अपनी पहचान को समाज की ठोकरों में खोने नहीं दिया, बल्कि अपने अधिकारों व हुनर के बल पर ऐसा मुकाम प्राप्त किया, जोकि समाज के उस वर्ग के लिए प्रेरणास्रोत बन गया। यहां बताना अनिवार्य होगा कि नेत्रहीन (दिव्यांग) होने के बावजूद अंकित कपूर ने एम.ए. इतिहास की शिक्षा का ज्ञान पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से प्राप्त करने के साथ ही संगीत  डिप्लोमा (5 वर्षीय तालीम) प्राचीन कला केन्द्र चंडीगढ़ से सीखकर अपने मिशन को सपनों के पंख लगाए। 

इंटरनैट, फेसबुक, व्हाट्स एप जैसी हर तकनीक में माहिर  
अंकित ने अपनी कमी को कमजोरी नहीं बनने दिया, बल्कि वह पढ़ाई-लिखाई, खेल-कूद के साथ ही इंटरनैशनल गेम्स में हाथ आजमाने के साथ ही इंटरनैट, फेसबुक, व्हाट्स एप जैसी अन्य अत्याधुनिक तकनीकों में भी किसी नॉर्मल इंसान से कहीं कम नहीं है। 

12वीं में पूरे पंजाब में अव्वल दर्जे से किया टॉप  
 उनके खास सहयोगी विनय खुराना ने बताया कि अंकित कपूर ने मिलरगंज इलाके में पड़ते रामगढिय़ा गल्र्स कालेज में जहां 12वीं कक्षा के इम्तिहान में पहला स्थान हासिल किया, वहीं उन्होंने वर्ष 2003 में पूरे पंजाब भर में पेपर दे रहे ब्लाइंड कैटेगरी के करीब अढ़ाई-तीन हजार छात्रों में से भी अव्वल दर्जे पर टॉप किया है। 

300 बच्चों में बांट रहे संगीत कला का ज्ञान 
अंकित ने बताया कि वह बस्ती जोधेवाल इलाके में पड़ते सरकारी प्राइमरी स्कूल में पहली से 5वीं कक्षा में पढऩे वाले 300 बच्चों में संगीत की कला का खजाना बांटते हुए बच्चों को धार्मिक शब्द, गुरबाणी, देशभक्ति के गीत व प्रार्थना सभाओं का ज्ञान बांट रहे हैं। 

शतरंज व क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी हैं अंकित 
अंकित कपूर शतरंज, क्रिकेट, ताश के पत्तों की बाजी, कबड्डी, एथलैटिक व लॉन्ग जम्प आदि के बहुत मंझे हुए खिलाड़ी भी हैं, जिसका शायद उनके चेहरे पर साफ मलाल झलक रहा था कि पंजाब सरकार द्वारा नेत्रहीन व अपाहिज वर्ग को किसी प्रकार की आर्थिरक सहायता प्रदान नहीं की जा रही है।

 
 

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