एक ही बैंक खाते से 4 वर्षों में हुआ 58 करोड़ का लेन-देन!

Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Aug, 2017 10:36 AM

transaction of 58 crores in 4 years from the same bank account

सुर्खियों में चल रहे इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट कार्यालय के करोड़ों के घोटाले में उस समय नए पहलू सामने आए जब जांच के दौरान ट्रस्ट कार्यालय के चेयरमैन के नाम पर गुप्त .............

अमृतसर(महेन्द्र): सुर्खियों में चल रहे इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट कार्यालय के करोड़ों के घोटाले में उस समय नए पहलू सामने आए जब जांच के दौरान ट्रस्ट कार्यालय के चेयरमैन के नाम पर गुप्त तौर पर खोले गए एक ऐसे बैंक खाते का खुलासा हुआ जिसमें 2013 से 2017 तक 4 वर्षों में बिना ऑडिट के करीब 58 करोड़ रुपए का गलत तरीके से लेन-देन होता रहा। इसमें न सिर्फ स्थानीय ग्रीन एवेन्यू में स्थित एच.डी.एफ.सी. बैंक और ट्रस्ट कार्यालय में डी.सी.एफ.ए. के पद पर रहे दमन भल्ला की मिलीभगत सामने आ रही है, बल्कि ऑडिट करने वाले ट्रस्ट के सी.ए. संजय कपूर की भी भूमिका कहीं न कहीं संदिग्ध दिखाई दे रही है।

गुप्त तरीके से 4 वर्षों तक चलते रहे इस बैंक खाते में आखिर किन लोगों द्वारा रुपए जमा करवाए जाते रहे और प्राइवेट लोगों एवं प्राइवेट फर्मों के नाम पर कैसे भारी-भरकम राशि वाले चैक व पे-आर्डर जारी होते रहे, यह फिलहाल जांच का विषय है लेकिन करोड़ों के इस बड़े घोटाले में संलिप्त लोगों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करने के लिए पुलिस स्थानीय निकाय विभाग के सी.वी.ओ. (चीफ विजीलैंस आफिस) के अधिकारियों द्वारा की जा रही विभागीय जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।

इस विवादित बैंक खाते को खंगाले जाने पर ऐसी बातें सामने आ रही हैं कि डी.सी.एफ.ए. रहे दमन भल्ला न सिर्फ खुद, बल्कि अपने पिता व अन्य पारिवारिक सदस्यों के नाम पर ट्रस्ट के इस बैंक खाते से भारी-भरकम राशि ट्रांसफर करवाते रहे हैं। यही नहीं इसी बैंक खाते से उन्होंने एक महंगे मोबाइल की कीमत का भुगतान भी किया था। 

कौन हैं सी.ए. संजय कपूर और कौन हैं दमन भल्ला?
स्थानीय इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट कार्यालय में हुआ करोड़ों का घोटाला सामने आने पर सारे शहर में सी.ए. संजय कपूर तथा ट्रस्ट कार्यालय में डी.सी.एफ.ए. रहे दमन भल्ला के नजदीकी संबंधों को लेकर भी चर्चा का विषय बना हुआ है। शहर में छिड़ी चर्चा के अनुसार सी.ए. संजय कपूर की भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं तक सीधी पहुंच बताई जाती है। जोकि ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स के डायरैक्टर होने के साथ-साथ सी.ए. सैल के नैशनल को-कन्वीनर भी बताए जाते हैं।

इसके अलावा स्थानीय इन्कम टैक्स की बार के वे प्रधान/चेयरमैन भी बताए जा रहे हैं जिनके बारे यह भी बताया जा रहा है कि वे भाजपा के वरिष्ठ नेता बलराम जी दास टंडन के भाई के दोहते भी हैं। दूसरी तरफ दमन भल्ला बारे इस बात की चर्चा है कि बलराम जी दास टंडन जब स्थानीय निकाय मंत्री थे तब उनके कार्यकाल के दौरान ही वे ट्रस्ट कार्यालय में भर्ती हुए थे। यही कारण है कि दमन भल्ला तथा सी.ए. संजय कपूर के निकट संबंध भी हैं। 

बड़े-बड़े अधिकारी दमन भल्ला पर करते थे आंखें मूंद कर विश्वास
पिछले कुछ दिनों से सुॢखयों में चल रहे करोड़ों के घोटाले को लेकर अभी तक विभाग के लिए कहीं न कहीं असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि आखिर इतना बड़ा घोटाला इतने वर्षों तक लगातार कैसे होता रहा और बड़े-बड़े ऑडिटर आंखें मूंदे ऑडिट करते हुए ऐसे घोटालों को नजरअंदाज करते रहे हैं? इससे भी ज्यादा ट्रस्ट कार्यालय से जुड़े तथा जुड़े रहे बड़े-बड़े अधिकारी इस घोटाले के सामने आने पर इतने स्तब्ध हो रहे हैं कि उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा कि ट्रस्ट के डी.सी.एफ.ए. के पद पर रहा दमन भल्ला इस तरह के बड़े घोटाले को अंजाम दे सकता है।

इस दौरान ये बातें भी चर्चा का विषय बनी हुई हैं कि दमन भल्ला ने ट्रस्ट के सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों में इतना विश्वास बना रखा था कि हर कोई उस पर आंखें मूंदे विश्वास कर कई चैकों व अन्य कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों पर ब्लैंक हस्ताक्षर तक कर दिया करते थे। हालांकि वे किसी भी प्रकार के घोटाले में शामिल भी नहीं रहे हैं। ट्रस्ट कार्यालय में छिड़ी चर्चाओं के चलते यह बात सामने आ रही है कि दमन भल्ला पर हद से ज्यादा विश्वास ही विश्वासघात का कारण बना हुआ था। 

कई चैकों पर ई.ओ. के प्रतीत हो रहे हैं जाली हस्ताक्षर!
विवादित इस गुप्त बैंक खाते से संबंधित कई ऐसे चैक कैश/ट्रांसफर होते रहे हैं जिन पर समय-समय पर रहे ई.ओज के जाली हस्ताक्षर प्रतीत हो रहे हैं। हालांकि यह सब जांच का विषय है कि चैकों पर संबंधित ई.ओज के हस्ताक्षर जाली हैं या असली, लेकिन फिर भी अगर वाकयी में ही ई.ओज के हस्ताक्षर जाली पाए जाते हैं तो यह मामला और भी गंभीर बन सकता है। क्योंकि यह सब बैंक अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव ही नहीं है। 

नोटबंदी के दौरान बैंक खाते में हुआ बड़ा गोलमाल
नोटबंदी से पहले 1 नवम्बर को इस विवादित बैंक खाते से 35 लाख रुपए निकलवाए गए थे और उसके 9 दिनों बाद 10 नवम्बर को 85 लाख रुपए इसी बैंक खाते में जमा भी करवाए गए थे जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि नोटबंदी के दौरान लाखों का काला धन सफेद करने के लिए कोई बड़ा गोलमाल भी किया गया है। कुछ भी हो यह भी अभी जांच का विषय है कि आखिर बैंक से 35 लाख रुपए क्यों निकलवाए गए और बाद में 85 लाख रुपए कहां से लाकर इस विवादित बैंक खाते में जमा करवाए गए थे। 

दमन भल्ला का स्थानांतरण होते ही बंद करवा दिया गया था बैंक खाता
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ग्रीन एवेन्यू में स्थित एच.डी.एफ.सी. बैंक में यह विवादित बैंक खाता वर्ष 2013 में खोला गया था। इस बैंक खाते में अभी यह बात सामने नहीं आई है कि आखिर ट्रस्ट के चेयरमैन के नाम पर खोले गए इस विवादित गुप्त बैंक खाते में किन लोगों के रुपए जमा होते रहे हैं? लेकिन यह बात जरूर सामने आ रही है कि दमन भल्ला के यहां से जालंधर स्थानांतरण होते ही इस बैंक खाते को बंद करवा दिया गया था।

कुछ भी हो जिस तरह से इस बैंक खाते से गलत तरीके से प्राइवेट फर्मों तथा प्राइवेट लोगों के नाम पर बड़ी-बड़ी राशियां ट्रांसफर करवाने के साथ-साथ चैक व पे-ऑर्डर तक जारी होते रहे हैं, यह सब बैंक अधिकारियों की साठ-गांठ के बिना संभव ही नहीं है। 

कई एफ.डी.आर्ज के ब्याज को लेकर सी.ए. की भूमिका बनी संदिग्ध
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस गुप्त बैंक खाते में बड़ी-बड़ी राशि वाली कुछ एफ.डी.आर्ज भी करवाई गई थीं जिनकी मैच्योरिटी पर उसका ब्याज ट्रस्ट कार्यालय के खाते में आने के साथ-साथ उस पर टी.डी.एस. भी लगता रहा है।

जोकि आयकर विभाग की ऑनलाइन में उपलब्ध रहता है लेकिन हैरत की बात है कि ट्रस्ट के इस बैंक खाते से एफ.डी.आर्ज पर मिलने वाले ब्याज संबंधी आयकर विभाग के ऑनलाइन रिकार्ड में तो सारी जानकारी उपलब्ध होने के बावजूद संबंधित सी.ए. संजय कपूर का ध्यान क्यों नहीं गया और उन्हें इस बैंक खाते का पता क्यों नहीं चला? इन सभी बातों को लेकर उनकी भूमिका भी कहीं न कहीं संदिग्ध दिखाई दे रही है। हालांकि सी.ए. संजय कपूर का यही कहना है कि उन्हें जो पेपर पेश किए जाते रहे हैं, उन्हीं के आधार पर ऑडिट किया जाता रहा है जिस दौरान उन्हें इस बैंक खाते से संबंधित जानकारी नहीं दी जाती थी। 

विभाग के सी.वी.ओ. की जांच रिपोर्ट का कर रहे हैं इंतजार : ए.डी.सी.पी.
इस संबंधी ए.डी.सी.पी. परमजीत सिंह से जब संपर्क कर यह पूछा गया कि अभी तक इस मामले को लेकर एफ.आई.आर. दर्ज क्यों नहीं की गई है? तो उन्होंने कहा कि स्थानीय निकाय विभाग की चंडीगढ़ स्थित सी.वी.ओ. टीम द्वारा की जा रही विभागीय जांच संबंधी उनकी रिपोर्ट का वह इंतजार कर रहे हैं। उनकी जांच रिपोर्ट के आधार पर घोटाले में संलिप्त लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। 

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