विरोध दबाने के लिए बढ़ रहा ‘आप’ पदाधिकारियों का कुनबा

Edited By Updated: 03 Jan, 2017 02:22 AM

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आम आदमी पार्टी ‘नेताओं’ के संकट से उबरने के लिए लगातार प्रयासरत है और विभिन्न तरीकों से इसके हल ढूंढे जा रहे हैं। प्रत्याशियों के नाम घोषित होने के साथ ही बढ़े विरोध को दबाने-सुलझाने के लिए पार्टी द्वारा कुछ लोगों को पार्टी से बाहर निकालने, कुछ को...

चंडीगढ़(रमनजीत): आम आदमी पार्टी ‘नेताओं’ के संकट से उबरने के लिए लगातार प्रयासरत है और विभिन्न तरीकों से इसके हल ढूंढे जा रहे हैं। प्रत्याशियों के नाम घोषित होने के साथ ही बढ़े विरोध को दबाने-सुलझाने के लिए पार्टी द्वारा कुछ लोगों को पार्टी से बाहर निकालने, कुछ को मनाने का काम किया गया लेकिन लगातार चलते रहे विरोध का ही नतीजा रहा कि आम आदमी पार्टी को पिछले करीबन एक माह के समय दौरान ही 170 नए पदाधिकारियों की फौज खड़ी करनी पड़ी है। 

 

यह ऐसी फौज है, जिसकी मिसाल इससे पहले आम आदमी पार्टी की किसी भी स्टेट यूनिट में दिखाई नहीं पड़ती। साफ जाहिर है कि पंजाब में ‘ओहदेदारी’ में शरीक करके वालंटियर्स की ‘नेता’ बनने की चाह को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसा इसलिए भी जरूरी समझा गया था क्योंकि चुनाव से पहले पार्टी में मची ‘टूट की लहर’ बड़े नुक्सान की तरफ इशारा कर रही थी। 

 

राजनीतिक माहिरों का कहना है कि आम आदमी पार्टी की सत्तासीन होने की संभावनाओं को देख ‘क्रांतिकारी व जोशीले’ वालंटियर्स में भी सत्ता में भागीदारी की ललक बढ़ी और वालंटियर, जिसका शाब्दिक अर्थ स्वयंसेवक होता है, ही ‘सेवा’ का मौका मांगने लग गए। टिकट किसी एक को ही मिलती है और यही कारण है कि टिकटें घोषित होते ही विरोध तीखा हुआ और लगातार बना भी रहा। 

 

ऐसा भी नहीं है कि अपने कार्यकत्र्ताओं के विरोध को दबाने के लिए ऐसा करने वाली आम आदमी पार्टी अकेली ही है, बल्कि कांग्रेस पार्टी द्वारा भी ऐसे ही विरोध को देखते हुए कुछ ही माह पहले लंबी-चौड़ी राज्य कार्यकारिणी की घोषणा की गई थी और थोक में कार्यकत्र्ताओं में पदों की बांट हुई थी। वहीं, राज्य की सत्ता पर काबिज शिअद-भाजपा सरकार द्वारा अपने कार्यकत्र्ताओं को अपने साथ जोड़े रखने व चुनावी फायदे के लिए वर्ष के आखिरी 2 महीनों में बोर्ड-कार्पोरेशनों व कमीशनों में चेयरमैन, उप-चेयरमैन, सदस्य व कमिश्नर वगैरह के तौर पर नियुक्त करके ऐसा ही प्रयास किया है। 

 

आम आदमी पार्टी के पंजाब मामलों के प्रभारी संजय सिंह ने कहा कि पंजाब में पार्टी के ढांचे व पदाधिकारियों का विस्तार जरूरत और पार्टी संविधान के मुताबिक किया गया है। गतिविधियां चलाने के लिए साथियों की जरूरत सभी को होती है। 

 

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