Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Sep, 2017 01:36 PM
आज से तकरीबन 2-3 माह पूर्व शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने पार्टी की सारी इकाइयों को भंग करके नई इकाइयों के गठन के लिए अलग-अलग कमेटियां बनाई थीं।
जालंधर (बुलंद) : आज से तकरीबन 2-3 माह पूर्व शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने पार्टी की सारी इकाइयों को भंग करके नई इकाइयों के गठन के लिए अलग-अलग कमेटियां बनाई थीं। जालंधर के लिए 3 सदस्यों की कमेटी में दलजीत चीमा, बहाउदीपुर और परमजीत सिधवां शामिल थे, इन नेताओं ने 3 माह पूर्व जालंधर में बैठक करके अकाली वर्करों और नेताओं की नई कमेटी बारे राय जानी थी।
इसके बाद तीनों नेताओं ने अपनी-अपनी रिपोर्ट भी हाईकमान को सौंपी थी कि जालंधर की इकाई के लिए किन नेताओं का नाम प्रधान के तौर पर पसंद किया जा रहा है। इस समय मीडिया से बात करते हुए कमेटी के सदस्य दलजीत सिंह चीमा ने कहा था कि जल्द ही इस रिपोर्ट के आधार पर जिला इकाइयों का गठन कर दिया जाएगा पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। जिससे शिअद की जिला इकाइयों के गठन का मामला ठंडे बस्ते में गया प्रतीत हो रहा है ऐसे में पंजाब भर में जिला स्तर पर अकाली दल कमजोर होता दिखाई दे रहा है। पंजाब के कई मुद्दों पर अकाली दल पिछड़ता दिखाई दे रहा है।
बात अगर कांग्रेसी नेता राणा गुरजीत सिंह के रेत स्कैम में नाम आने की करें तो इस सारे मामले को भी बजाय अकाली दल द्वारा सामने लाए जाने के उल्टा आम आदमी पार्टी द्वारा उजागर किया गया। इसके बाद भी पंजाब के कई अहम मुद्दों पर ‘आप’ अकाली दल को पछाड़ती दिखाई दी।
इस मामले बारे खुद अकाली दल के वर्कर कहते दिखाई देते हैं कि पार्टी पिछले 6 महीने से अपनी इकाइयां ही गठित नहीं कर पाई तो किस आधार पर नेता आगे आएं और काम करें। ऐसे में अकाली दल की ढीली पड़ी कार्यप्रणाली का सीधा फायदा जहां कांग्रेस पार्टी को हो रहा है, वहीं पंजाब में अपना आधार मजबूत बनाने के लिए ‘आप’ पंजाब के मुद्दों को उठाने में पहल कर रही है।
ऐसे में जालंधर में तो अकाली दल का हाल और भी बुरा है क्योंकि यहां प्रधानगी के लिए गुरचरण सिंह चन्नी, सर्बजीत मक्कड़, बलजीत सिंह नीलामहल और कुलवंत सिंह मन्नण जैसे नाम आगे आ रहे हैं जो हाईकमान से कोई फैसला न आने के चलते अधर में हैं। ऐसे में अब देखना होगा कि कब जिला इकाइयों का गठन होता है और कब अकाली दल के कार्यकत्र्ता दोबारा एक्टिव होकर जनता में भ्रमण करते हैं।