Edited By Updated: 12 Nov, 2016 09:25 AM
सतलुज-यमुना लिंक नहर पर वीरवार को सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले से पंजाब में जल संकट और गहराता नजर आ रहा है।
रूपनगर/लुधियाना (विजय/सलूजा): सतलुज-यमुना लिंक नहर पर वीरवार को सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले से पंजाब में जल संकट और गहराता नजर आ रहा है। अगर एस.वाई.एल. नहर का निर्माण हो जाता है तो पंजाब के 6 जिले बंजर हो जाने की संभावना है। इन जिलों के कई क्षेत्रों में पहले ही वाटर बैड सूख रहे हैं और पानी काफी गहरा जा चुका है।
ये जिले जाएंगे डार्क जोन में
पंजाब के दोआबा जोन से 2 जिले नवांशहर और जालंधर तथा मालवा से 4 जिले रोपड़, फतेहगढ़ साहिब, पटियाला और भटिंडा इन 6 जिलों में पानी सतलुज से डिस्ट्रीब्यूट होता है। एस.वाई.एल. बनने से सतलुज का दो-तिहाई हिस्से का पानी हरियाणा में चला जाएगा। सतलुज नहर का डिस्चार्ज 10 हजार क्यूसिक है। इसमें से 7 हजार क्यूसिक हरियाणा के हिस्से चला जाएगा और पंजाब के हिस्से शेष पानी रहेगा। ऐसी स्थिति में जल संकट गहराना लाजिमी है। भटिंडा के लहरा मोहब्बत थर्मल प्लांट में सतलुज दरिया का पानी जाता है। सतलुज में पानी की कमी से निश्चय ही थर्मल प्लांट को जाने वाले पानी में भी कमी आएगी। इसका असर बिजली की प्रोडक्शन पर भी पड़ सकता है।
ऐसे होगी इन जिलों की जमीन बंजर
नहर में पानी छोडऩे का मकसद सिंचाई से तो है ही लेकिन बड़ा उद्देश्य ग्राऊंड वाटर लैवल को नियमित बनाए रखना होता है। यदि नहरों में पानी नहीं आएगा या पानी कम आएगा तो संकट और गहरा सकता है। इस समय एस.वाई.एल. नहर जोकि लोहंड साइफन तक आनंदपुर साहिब हाइडल चैनल के नाम से बनी हुई है एवं यह इस समय चल रही है जिसका पानी लोहंड नदी में से होकर दरिया सतलुज में गिरता है और सतलुज का यह पानी रूपनगर हैडवक्र्स से पहुंचकर सरहिंद नहर में मिलता है जो लगभग पंजाब के 60 प्रतिशत हिस्से को सिंचाई सुविधा देती है और उसका डिस्चार्ज 12 हजार क्यूसिक है।