Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Jul, 2017 01:28 PM
गढ़शंकर शहर हो या आसपास के गांव, आपको आवारा कुत्तों के इतने ज्यादा समूह मिल जाएंगे कि यदि आप पर हमला कर दें तो अकेले व्यक्ति का इनसे मुकाबला करना बेहद जटिल कार्य दिखता है।
गढ़शंकर(शोरी): गढ़शंकर शहर हो या आसपास के गांव, आपको आवारा कुत्तों के इतने ज्यादा समूह मिल जाएंगे कि यदि आप पर हमला कर दें तो अकेले व्यक्ति का इनसे मुकाबला करना बेहद जटिल कार्य दिखता है।
गत दो-तीन दिन में जिस प्रकार आवारा कुत्तों के हमले से यहां के गांव पिंपलीवाल व वीरमपुर में 5 व्यक्तियों, जिनमें बच्चे व महिलाएं शामिल हैं, के घायल होने का समाचार है, यह स्थानीय प्रशासन व प्रदेश सरकार की लोगों के प्रति बेरुखी वाली छवि को प्रमाणित कर रहा है।गढ़शंकर शहर की बात की जाए तो यहां की हर गली में 10 से 15 कुत्तों का झुंड होना आम-सी बात है। इन आवारा कुत्तों कारण बच्चों व महिलाओं का घर से अकेले निकलना खतरनाक काम लगता है और खुदा न खास्ता यदि देर-सवेर किसी व्यक्ति को घर से अकेले काम पर निकलना पड़े तो यह आवारा कुत्ते ऐसे पीछे भागते हैं कि जान जोखिम में डालने वाला काम हो जाता है।
एक बच्चे की जा चुकी है जान, हमले जारी
गांव रामगढ़ (समुंदड़ा) में कुछ वर्ष पूर्व एक बच्चे को आवारा कुत्ते ने काटा था जिसके कुछ समय पश्चात उसकी मौत हो गई थी। इसी गांव के कमलदीप (16) को कुछ दिन पहले आवारा कुत्तों ने तब काट लिया था जब वह खेलने के लिए ग्राऊंड में जा रहा था।
गांव चक्क गुरु के प्यारा सिंह (80) को भी आवारा कुत्तों ने हमले का शिकार बनाया। तीन दिन पहले एक पांचवीं कक्षा के बच्चे को गांव पिपलीवाल (बीट क्षेत्र) में काट लिया। बीनेवाल में बने सरकारी अस्पताल में उसका इलाज नहीं हुआ परिजन उसे सरकारी अस्पताल गढ़शंकर लेकर आए। इस बच्चे की माता ने बताया था कि उसके पास इलाज के लिए कोई पैसा नहीं था व मजबूरन किसी से उधार मांग कर 200 रुपए लाई थी। ऐसे न जाने और कितने किस्से हैं जिनकी गहराई पर जाने से पता चलता है कि प्रशासन के किसी अधिकारी ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया।
लोग लाठियां लेकर जाते हैं बच्चों को स्कूल छोडऩे
यहां के भीतरी क्षेत्र में आवारा कुत्तों का आतंक इस कदर है कि बच्चों को स्कूल छोडऩे उनके परिजनों को स्वयं जाना पड़ता है वह भी हाथ में लाठी लेकर। यहां के वार्ड नं. 3 में 7 वर्षीय बच्ची को गत दिनों आवारा कुत्ते ने हमला कर उसका मांस नोच खाया था। इसके अतिरिक्त आधा दर्जन के करीब बच्चे इन्हीं कुत्तों के हमले के शिकार हो चुके हैं।