अभी एक सप्ताह और झेलना होगा स्मॉग का कहर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Nov, 2017 11:42 AM

smogs havoc

पिछले एक सप्ताह से शहर का वातावरण प्रदूषण व धुंध के कारण बेहद धुंधला और विषैला बना हुआ है जोकि मानव जीवन के लिए बेहद घातक है। इस वातावरण को स्मॉग कहा जाता है। जालंधर में आज सुबह स्मॉग की मोटी परत छाई रहने के कारण वायु प्रदूषण निर्धारित मानकों से कई...

जालंधर(राहुल): पिछले एक सप्ताह से शहर का वातावरण प्रदूषण व धुंध के कारण बेहद धुंधला और विषैला बना हुआ है जोकि मानव जीवन के लिए बेहद घातक है। इस वातावरण को स्मॉग कहा जाता है। जालंधर में आज सुबह स्मॉग की मोटी परत छाई रहने के कारण वायु प्रदूषण निर्धारित मानकों से कई गुना अधिक था। मौसम विशेषज्ञों की मानें तो अभी एक सप्ताह तक इसी तरह स्मॉग का कहर झेलना पड़ सकता है। अगले सप्ताह बुधवार को बारिश होने के आसार हैं। उसके बाद ही स्मॉग से राहत मिल पाएगी। मौसम का पूर्वानुमान बताने वाली एक निजी एजैंसी स्काईमेट ने कहा है कि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने से कोहरे और धुंध की मोटी परत बन गई। राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल ने भी आज भारी धुंध और धुएं को देखते गहरी ङ्क्षचता प्रकट की है। 

क्या है यह स्मॉग और कैसे बनता है
स्मॉग विषैली व खतरनाक गैसों के धुएं व धुंध के मिश्रण से बना है। वर्तमान में खेतों में लगाई जा रही आग, गाडिय़ों और फैक्टरियों से निकलते धुएं में मौजूद राख, सल्फर, नाईट्रोजन, कार्बन डाईऑक्साईड और अन्य खतरनाक गैसें जब धुंध के सम्पर्क में आती हैं तो स्मॉग बनता है। इसका असर कई दिनों तक रह सकता है। तेज हवा चलने या बारिश के बाद ही स्मॉग का असर समाप्त होगा। जहां गर्मियों में वातावरण में पहुंचने वाला धुआं ऊपर की ओर उठ जाता है वहीं ठंड में ऐसा नहीं हो पाता और धुएं और धुंध का एक जहरीला मिश्रण तैयार होकर सांस के साथ शरीर के अंदर पहुंचने लगता है। स्मॉग मानव जीवन के लिए बहुत हानिकारक है।

ये रोग होते हैं उत्पन्न
-खांसी,फेफड़े की बीमारी।
-हृदय रोग।
-नाक, कान, गले में इन्फैक्शन
-त्वचा संबंधी रोग, छपाकी, खुजली, सोजिश।
- बाल झडऩा, आंखों में जलन
-ब्लड प्रैशर के रोगियों को बे्रन-स्ट्रोक होने की संभावना
-दमा के रोगियों को अटैक की संभावना बढ़ जाती है।

कैसे करें बचाव
-सुबह व शाम के समय कम ही बाहर निकलें। अगर निकलना भी पड़े तो नाक व मुंह ढक कर या मास्क लगाकर निकलें।
-सुबह 5-6 बजे की बजाय धूप निकलने पर सैर के लिए जाएं।
-दिन में कम से कम 4 से 5 लीटर तक साफ पानी अवश्य पिएं। प्यास लगने का इंतजार करने की बजाय कुछ समय बाद 1-2 घूंट पानी पीते रहें।
-नाक के भीतर के बाल हवा में मौजूद बड़े धूल के कणों को शरीर के भीतर जाने से रोक लेते हैं। हाईजीन के नाम पर बालों को पूरी तरह से ट्रिम न करें।
-बाहर से आने के बाद गुनगुने पानी से मुंह, आंखें और नाक साफ करें। हो सके तो भाप लें। अस्थमा और दिल के मरीज अपनी दवाएं वक्त पर और रैगुलर लें। कहीं बाहर जाने पर दवा या इन्हेलर साथ ले जाएं। 

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