Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Feb, 2018 04:43 PM
पुलिस प्रशासन द्वारा सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के किए जा रहे लाख दावे खोखले साबित हो रहे हैं। देशभर में फोर लेन व सिक्स लेन सड़कों का जाल बिछा हुआ है, लेकिन फिर भी दुर्घटनाएं कम होने की बजाय अधिक हो रही हैं। हाई स्पीड वाहन होने के कारण दुर्घटनाएं...
अमृतसर(इन्द्रजीत/वड़ैच) : पुलिस प्रशासन द्वारा सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के किए जा रहे लाख दावे खोखले साबित हो रहे हैं। देशभर में फोर लेन व सिक्स लेन सड़कों का जाल बिछा हुआ है, लेकिन फिर भी दुर्घटनाएं कम होने की बजाय अधिक हो रही हैं। हाई स्पीड वाहन होने के कारण दुर्घटनाएं पहले की अपेक्षा अधिक भयंकर हो रही हैं।
बड़ी बात यह है कि नवनिर्मित सड़कों पर आमने-सामने होने वाली दुर्घटनाएं लगभग शून्य हो चुकी हैं, जो पिछले समय में एक बहुत बड़ा खतरा थीं, तो फिर एक ही साइड पर चलने वाले वाहन आपस में क्यों टकरा जाते हैं। पुलिस व ट्रैफिक विभाग इस बात से बेफिक्र है कि आमने-सामने से वाहन नहीं टकराते, जिसके लिए पुलिस ने रांग साइड वाहन चलाने पर काफी अधिक फोकस किया है।
दूसरी ओर स्थान-स्थान पर लाइट वाले चौराहे भी इन्हें दिशा-निर्देश दे रहे हैं। ‘पंजाब केसरी’ द्वारा इस संबंध में किए सर्वेक्षण में कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जो संभवत: ट्रैफिक नियमों से दूर हटते हुए तकनीकी समस्याओं पर आकर खड़े हो चुके हैं, जिसके लिए गहन अध्ययन की आवश्यकता है।
ब्रेक ऑयल की खराबी ब्रेक लगाने पर चारों पहियों में डालती है निश्चित टाइम में कुछ अंतर
तेज रफ्तार वाहन का घूमना एक बड़ी समस्या बन चुकी है, जैसे ही वाहन चालक गाड़ी रोकने के लिए अचानक ब्रेक लगाता है तो वाहन एक साइड घूमकर टी-टर्न ले जाता है। इसमें पीछे से आने वाला वाहन अगले वाहन की साइड टो से टकरा जाता है, जिससे पीछे से आने वाले वाहन भी सामूहिक दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। इस संबंध में मोटर विशेषज्ञों का कहना है कि अचानक ब्रेक लगने से वाहन इसलिए घूम जाता है कि ब्रेक के सिस्टम को कंट्रोल करने वाले व्हील सिलैंडर में जब ब्रेक ऑयल तेजी से दौड़ता है, तभी ब्रेक लगती है, किन्तु ब्रेक आयल पुराना हो जाने के कारण यह तरल व्हील सिलैंडरों में समय के अनुसार एकसारता खो बैठता है। जैसे ही चालक ब्रेक लगाता है तो ब्रेक आयल एक सैकेंड के 10वें हिस्से में ही अपने स्थान पर पहुंच जाता है, किन्तु ब्रेक ऑयल की खराबी चारों पहियों में निश्चित टाइम में कुछ अंतर डाल देती है, जिससे 3 पहियों में ब्रेक पहले लग जाती है और चौथे पहिए में कुछ समय बाद।
सुझाव
*ब्रेक ऑयल निश्चित समय पर बदला जाए।
*ब्रेक ऑयल नकली नहीं होना चाहिए।
*पहियों की डिस्क ब्रेक व ब्रेक लैदर की घिसावट प्रति 15 दिन बाद चैक होनी चाहिए।
*ब्रेक लगाते समय साइड ग्लास पर तिरछी नजर भी होनी चाहिए।
टायर का फटना
स्पीड में चलते वाहन का टायर फट जाना दुर्भाग्यपूर्ण कहा जाता है। इसका ट्रैफिक विभाग और पुलिस के पास कोई हल नहीं है। टायर फटते ही वाहन एकदम बेकाबू हो जाता है और अक्सर वाहन एक ओर पलट जाता है। अक्सर लोग यह अनुमान लगाते हैं कि टॉयर में हवा अधिक होगी, किन्तु इसके अतिरिक्त भी कई कारण होते हैं।
टायर फटने के कारण
*व्हील अलाइनमैंट का आऊट होना।
*पुराने मॉडल के व्हील रिम में बैलेंस न होना।
*शॉक एब्जॉर्वर वीक होना।
*वाहन चलाते समय स्टीयरिंग का डगमगाना।
*रफ्तार के कम या अधिक होने पर व्हील बैलेंस आऊट होना।
सुझाव
*5 हजार कि.मी. चलने के उपरांत व्हील अलाइनमैंट चैक की जाए।
*व्हील डगमगाने पर बैलेंस के मैटल लगाए जाएं।
*पुराने मॉडल के लोहे के रिम हर 3 माह बाद सीधे करवाएं।
*अलॉय व्हील का इस्तेमाल करें।
*टॉयर में 40 पौंड से अधिक हवा न रखें।
*65 प्रतिशत से अधिक चले हुए टायर को जी.टी. रोड पर प्रयोग न करें।
वाहन सीज होना
चलते हुए वाहन के सीज होने का पूर्व में अनुमान लगाना मुश्किल है। ऐसी स्थिति में वाहन का इंजन अपने निर्धारित टैंपरेचर से अधिक गर्म हो जाता है और चलते वाहन का इंजन जाम हो जाता है। इसका मुख्य कारण बताया जाता है कि जब वाहन के रेडिएटर में पानी अथवा कूलैंट लीक हो जाता है तो इसका पंखा चलना बंद हो जाता है, क्योंकि रेडिएटर में लगा हुआ ऑटोमैटिक प्लग पानी के गर्म होने पर उसके स्पर्श से चलता है जिससे गर्म वाहन का पंखा ठंडी वायु देकर उसके टैंपरेचर को नार्मल करता है, किन्तु कई बार रेडिएटर लीक होने के कारण इंजन जाम हो जाता है और यह इतनी भीषण स्थिति पैदा कर देता है कि ब्रेक से कई गुना ज्यादा शक्ति से वाहन को तुरंत सड़क पर खड़ा कर देता है।
सुझाव
*यदि वाहन एकदम चलते-चलते जाम होने की स्थिति पर आ जाए तो क्लच दबा लेना चाहिए।
*ब्रेक का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
*सुबह वाहन चलाने से पहले रेडिएटर में पानी का लैवल चैक करना चाहिए।
*वाहन चलाते समय टैंपरेचर मीटर पर हर आधे मिनट बाद देखने की आदत बनाएं।
रांग साइड ओवर टेकिंग
आम तौर पर देखा जाता है कि जी.टी. रोड पर वाहनों की ओवर टेकिंग गलत साइड से होती है। फोर लेन रोड पर चलने वाले ट्रक हमेशा दाईं ओर चलते हैं, जबकि नियम के अनुसार आगे चलने वाले किसी भी वाहन को ओवर टेक करने के लिए उसके दाईं ओर से गुजरना होता है, किन्तु दाईं ओर की साइड ट्रक चालकों ने कवर की होती है। पीछे से आने वाला वाहन हमेशा ही गलत साइड लेकर उसके बाईं ओर से गुजरता है, जबकि उसके पीछे तेज रफ्तार से आने वाला अन्य वाहन तीसरी लाइन बना लेता है, वहीं सबसे बाईं तरफ बाईव्हीलर जिनमें स्कूटर, मोटरसाइकिल और ऑटो शामिल होते हैं, हमेशा बाईं तरफ चलते हैं। ऐसी स्थिति में चार लाइन बन जाती हैं और बड़ी दुर्घटनाएं इसी रांग ओवर टेकिंग से होती हैं क्योंकि रांग ओवर टेकिंग लेने के उपरांत वाहन चालक यह निश्चित नहीं कर पाता कि वह किस ओर जाकर ड्राइव करे।
सुझाव
*जहां तक हो सके रांग ओवर टेकिंग न की जाए। यदि ट्रक चालक दाईं साइड नहीं छोड़ता तो इसकी सूचना पुलिस को दी जाए।