Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Dec, 2017 11:42 AM
निगम चुनाव की घोषणा होने के पश्चात पंजाब में भाजपा का ही परचम फहराने का दावा करने वाले स्थानीय भाजपा नेताओं को करारी हार मिलने पर अपमानित होना पड़ा है। स्थानीय निगम में लगातार तीसरी बार भाजपा का ही मेयर बनने का दावा करने वाले स्थानीय भाजपा नेताओं को...
अमृतसर(महेन्द्र): निगम चुनाव की घोषणा होने के पश्चात पंजाब में भाजपा का ही परचम फहराने का दावा करने वाले स्थानीय भाजपा नेताओं को करारी हार मिलने पर अपमानित होना पड़ा है। स्थानीय निगम में लगातार तीसरी बार भाजपा का ही मेयर बनने का दावा करने वाले स्थानीय भाजपा नेताओं को भाजपा के कोटे की 50 सीटों में से मात्र 6 सीटों पर ही सिमटना पड़ा है।
5 वर्ष पहले हुए निगम चुनावों की तुलना में इस बार घोषित हुए चुनाव परिणामों से स्थानीय भाजपा कार्यालय शहीद हरबंस लाल खन्ना स्मारक में देर सायं सन्नाटा छाया रहा। स्थानीय निगम चुनावों में अमृतसर सहित प्रदेश के तीनों निगम चुनावों में मोदी का जादू नहीं चल पाया और शिअद-भाजपा गठबंधन को करारी पराजय का सामना करना पड़ा है।
खन्ना स्मारक के प्रांगण की बजाए आफिस में बैठे रहे भाजपा नेता
करीब 5 वर्ष पहले हुए निगम चुनावों में भाजपा गठबंधन को मिली शानदार जीत के चलते जब चुनाव परिणाम घोषित हो रहे थे तो खन्ना स्मारक के प्रांगण में ही नहीं, बल्कि कार्यालय की पहली मंजिल पर बने आफिस में भी पूरी चहल-पहल थी, लेकिन 5 वर्ष बाद हुए निगम चुनाव के चुनाव परिणाम पर स्थानीय खन्ना स्मारक के प्रांगण में कोई चहल-पहल दिखाई नहीं दी, बल्कि पूरी तरह से सन्नाटा छाया रहा, जबकि भाजपा के स्थानीय नेता खन्ना स्मारक की पहली मंजिल पर बने कमरों में सीमित रहे व टी.वी. चैनल पर आ रहे चुनाव परिणामों देखते हुए अंदर ही अंदर मायूस होते दिखाई दे रहे थे।
अकाली दल की भी अपनी जितनी सीट देख अंदर ही अंदर थे खुश
स्थानीय निगम चुनावों में कुल 85 सीटों में से भाजपा अपने कोटे की 50 तथा उनका सहयोगी दल अकाली दल (ब) 35 सीटों पर चुनाव लड़ रहा था। भाजपा को 50 में से मात्र 6 सीटें मिलना जहां भाजपा के लिए अपमानजनक स्थिति बनी, वहीं उनकी सहयोगी दल अकाली दल (ब) को भी 35 में से अपनी जितनी ही 6 सीटें मिलने पर स्थानीय भाजपा नेता अंदर ही अंदर खुश थे।
भाजपा के स्थानीय कुछ नेता यह मान कर चल रहे थे कि अगर उनके सहयोगी दल शिअद(ब) को भाजपा से कुछ ज्यादा सीटें मिल जाती तो भाजपा की राजनीतिक स्थिति और भी खराब हो सकती थी।