Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Dec, 2017 10:18 PM
गले में सोने के दो-दो तमगे लेकिन दिन में दो वक्त की रोटी के लिए मजदूरी करने की मजबूरी, ऐसीं तस्वीरें और हालात भारत में ही आसानी से देखने को मिल सकते हैं। ये है लुधियाना के अधीन पड़ते गांव सियाड़ का वह खिलाड़ी जिसने आम लोगों की अपेक्षा कम दिमाग होने...
लुधियाना: गले में सोने के दो-दो तमगे लेकिन दिन में दो वक्त की रोटी के लिए मजदूरी करने की मजबूरी, ऐसीं तस्वीरें और हालात भारत में ही आसानी से देखने को मिल सकते हैं। ये है लुधियाना के अधीन पड़ते गांव सियाड़ का वह खिलाड़ी जिसने आम लोगों की अपेक्षा कम दिमाग होने के बावजूद अमेरिका में हुई स्पैशल पैरालम्पिक के दौरान साइकलिंग में दो गोल्ड मैडल जीत कर भारत और पंजाब का नाम रौशन किया। परन्तु आज यह खिलाड़ी सरकार की गलत नीतियों की बदौलत मजदूरी करने को मजबूर है।
सवाल हर बार खड़े होते हैं के आखिरकार क्यों खिलाडिय़ों के जज्बे और जुनून की सरकारों की तरफ से कदर नहीं की जाती। फिर क्यों तमगों की अंक तालिका में भारत को पिछड़ा देख कर टी.वी. पर नेता झूठा अफ सोस करते हैं। इस व्यवहार की देखकर तो यही लगता है कि खिलाडिय़ों और खेल का अपमान करके सरकारें अच्छे खिलाड़ी पैदा करने के लिए मुंगेरी लाल के सपने देख रही हैं। वहीं यह मामला जब मीडिया में आया तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने इस मामले की तरफ ध्यान देने का भरोसा दिया। मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया कि मेरे नोटिस में मामला आया है और स्पोर्ट्स सचिव को डिटेल लेने के लिए कहा है। जो भी जरूरी कदम उठाने की जरूरत होगी हम जरूर उठाएंगे।