करोड़ों का निगम नहीं चला पाया शहीद के नाम शुरु की स्कीम

Edited By Updated: 20 Jan, 2017 12:12 PM

shahed raman dada memorial scheme

आज से 20-21 साल पहले जालंधर इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट ने जब कपूरथला चौक के बिल्कुल निकट 3.71 एकड़ स्कीम काटी थी और उसे शहीद रमन दादा

जालंधर (खुराना): आज से 20-21 साल पहले जालंधर इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट ने जब कपूरथला चौक के बिल्कुल निकट 3.71 एकड़ स्कीम काटी थी और उसे शहीद रमन दादा मैमोरियल स्कीम का नाम दिया था तो एक बार लगा था कि यह स्कीम अत्यंत सफल सिद्ध होगी क्योंकि यह शहर के मुख्य चौराहे और मेन महावीर मार्ग पर स्थित है। इस स्कीम के तहत ट्रस्ट ने एक ब्लाक में 64 दुकानें बनाईं और बाकी प्लाट काट कर अत्यंत महंगे दामों पर बेचे गए। 2011 तक इस स्कीम की देखभाल का जिम्मा इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट ने उठाया परंतु बाद में यह स्कीम जालंधर नगर निगम को ट्रांसफर कर दी गई। करोड़ों की संपत्ति होने के बावजूद नगर निगम ने इस स्कीम की ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया और आज तक इस पर 5 पैसे भी खर्च नहीं किए जिस कारण ट्रस्ट द्वारा 20 साल पहले बनाई गई मार्कीट गिरने की कगार पर पहुंच गई है। 

करोड़ों में बिक सकती हैं 50 दुकानें
कपूरथला चौक स्थित शहीद रमन दादा मार्कीट में इस समय 50 के करीब दुकानें खाली पड़ी हैं जिनकी कीमत करोड़ों रुपए में आंकी जा रही है परंतु इन दुकानों की जो हालत है उसके हिसाब से इन दुकानों की कीमत कौडिय़ो के भाव रह गई है। ज्यादातर दुकानों के शटर टूटे हैं। अंदर कूड़ा भरा है और लैंटर तथा पिल्लरों में दरारें आ गई हैं। इस स्थिति के कारण जिन दुकानों में कामकाज चल रहा है वहां भी दहशत का माहौल है परंतु न ट्रस्ट और न ही नगर निगम को इसकी फिक्र है। 

स्मार्ट सिटी में छिपाई जाएगी नालायकी
कपूरथला चौक स्थित रमन दादा मार्कीट की खस्ता हाल स्थिति बारे जब निगम अधिकारियों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि स्मार्ट सिटी प्रोजैक्ट में इस मार्कीट को लिया गया है जिसके तहत यहां विकास तथा अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। अब प्रश्र यह है कि स्मार्ट सिटी न जाने कब बनेगी और हो सकता है तब तक खस्ता हाल मार्कीट गिरनी शुरू हो जाए। नगर निगम अपनी नालायकी स्मार्ट सिटी प्रोजैक्ट के मत्थे मढऩा चाह रहा है जबकि उसे चाहिए कि इस मार्कीट की साफ-सफाई और रिपेयर की ओर जल्दी ध्यान दे ताकि कोई जानी नुक्सान न हो। 

मार्कीट में चल रही हैं केवल 15-16 दुकानें
मार्कीट में फिलहाल 15-16 दुकानें ही चल रही हैं और बाकी सभी खाली पड़ी हैं परंतु खाली पड़ी दुकानों की ओर नगर निगम बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा जिस कारण उनकी हालत बद से बदतर होती जा रही है। पूरे काम्प्लैक्स में सफाई हेतु एक भी कर्मचारी तैनात नहीं जिस कारण जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं। मार्कीट में चहल-पहल होने के बावजूद सरकार की ओर से शौचालय का कोई प्रबंध नहीं और सारा प्रबंध दुकानदार ही मिल कर कर रहे हैं। 

प्रापर्टी टैक्स वसूल रहा है नगर निगम
ट्रस्ट ने 2011 में इस स्कीम को नगर निगम को ट्रांसफर कर दिया था परंतु निगम ने आज तक कोई ध्यान नहीं दिया। मार्कीट में दर्जनों दुकानदार निगम को प्रापर्टी टैक्स तथा अन्य कर दे रहे हैं और सरकार को भी वैट तथा अन्य टैक्सों के नाम पर करोड़ों रुपए इस मार्कीट से जा रहे हैं परंतु सुविधा के नाम पर दुकानदारों को कुछ भी प्राप्त नहीं हो रहा। पानी की पाइप तक ठीक करवाने के लिए दुकानदारों को पैसे इकट्ठे करने पड़ते हैं और शौचालयों की सफाई का प्रबंध भी खुद करना पड़ता है। 
 

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