Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Jan, 2018 09:13 AM
बिजली मंत्री राणा गुरजीत सिंह के बेटे को मनी लांङ्क्षड्रग के मामले में ई.डी. द्वारा सम्मन भेजने के बाद उन्हें कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखाए जाने की अटकलें तेज हो गई हैं।
जालंधर (चोपड़ा): बिजली मंत्री राणा गुरजीत सिंह के बेटे को मनी लांङ्क्षड्रग के मामले में ई.डी. द्वारा सम्मन भेजने के बाद उन्हें कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखाए जाने की अटकलें तेज हो गई हैं। कांग्रेस गलियारों से पुष्ट सूत्रों के अनुसार खनन सौदों में ई.डी. की तरफ से जारी सम्मन के बाद कै. अमरेन्द्र पर भी राणा गुरजीत के मामले में जल्द ही कोई फैसला लेने का दबाव बढ़ा है। विपक्ष के लगातार हो रहे हमलों को झेल रही सरकार व पार्टी की छवि के नुक्सान को कम करने के लिए मुख्यमंत्री ने मन बना लिया है कि मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान राणा गुरजीत की कैबिनेट से छुट्टी कर दी जाए।
जिक्रयोग्य है कि राणा गुरजीत का खनन सौदों में नाम आने का विवाद अभी थमा भी नहीं था कि अब उनके पुत्र राणा इंद्र प्रताप द्वारा अपनी कम्पनी के लिए विदेश से 100 करोड़ रुपए जुटाने के मामले में ई.डी. के राडार पर आ गए हैं और उन्हें ई.डी. ने सम्मन भी जारी कर दिया है।
कै. अमरेन्द्र अगले सप्ताह ऑल इंडिया कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ दिल्ली में मीटिंग करने वाले हैं जिसमें मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर चर्चा होगी। इसी दौरान राणा गुरजीत के मामले पर अंतिम फैसला भी लिया जाएगा।
पिछले दिनों विधानसभा में विपक्ष के नेता सुखपाल खैहरा ने कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को एक आरोप पत्र भेज कर रेत माफिया के संबंध में सी.बी.आई जांच करवाने की मांग की है। खैहरा ने कहा है कि मुख्यमंत्री राणा गुरजीत को मंत्री पद से हटाएं क्योंकि वह जांच में साक्ष्यों को प्रभावित कर सकते हैं। इन मामलों में राणा गुरजीत अन्य विपक्षी दलों के भी सीधे टारगेट पर हैं। उनका आरोप है किखनन सौदों में हुए घोटाले की जांच कर रहे रिटायर्ड जस्टिस जे.एस. नारंग आयोग को भी कैबिनेट मंत्री प्रभावित कर रहे हैं क्योंकि जस्टिस नारंग के पुत्र ही राणा गुरजीत के नजदीकी रिश्तेदार के मामले में मोहाली की अदालत में उनकी तरफ से पेश हुए थे।