Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Aug, 2017 09:20 AM
पंजाब में सत्ता हासिल करने के लिए राजनीतिक पार्टियों में डेरा मुखी का आशीर्वाद लेने के लिए एक होड़-सी लगी रहती थी। डेरे का कोई धर्म न होने के
भटिंडा(विजय): पंजाब में सत्ता हासिल करने के लिए राजनीतिक पार्टियों में डेरा मुखी का आशीर्वाद लेने के लिए एक होड़-सी लगी रहती थी। डेरे का कोई धर्म न होने के बावजूद सरकार व राजनेताओं के इशारे पर पुलिस लोगों पर डेरे की धार्मिक भावनाएं आहत करने पर डेरा प्रेमियों की शिकायत पर धारा 295-ए के तहत मामले दर्ज करती रही। वर्ष 2000 के बाद डेरे का प्रभाव बढऩे लगा और 2002 में डेरे द्वारा एक राजनीतिक विंग की स्थापना की गई जो राजनेताओं को ब्लैकमेल करने लगी।
डेरा मुखी को खुश करने के लिए बदलें गांवों के नाम
2002 में राज्य में कांग्रेस सरकार डेरे के समर्थन से बनी, तब से लेकर आज तक राजनेता डेरे का गुणगान करते रहे। बाद में डेरे का प्रभाव इस कदर बढ़ा कि सरकार ने 2 गांवों के नाम ही प्रेमियों के कहने पर डेरा मुखी को खुश करने के लिए बदल डाले। 2003 से लेकर 2005 के दौरान प्रेमियों के कहने पर गांव कैलेवांदर का नाम बदल कर नसीबपुरा रख दिया गया और इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी। यहां तक कि वहां एक नाम चर्चा घर भी स्थापित करवा दिया गया। डेरा मुखी गुरमीत राम रहीम की माता का नाम नसीब कौर जिसके नाम पर इस गांव का नाम रखा गया। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि इस गांव में कभी डेरा के संत शाह मस्ताना जी आए थे, जिन्होंने खुश होकर कहा था कि आपका गांव नसीबों वाला है। गांव के सरपंच गुरतेज सिंह ने बताया कि वह गांव की पृष्ठभूमि के बारे में नहीं जानते लेकिन जब गांव का नाम बदला गया तो बांदर गौत्र के लोगों ने इस पर ऐतराज भी किया था। गांव की कुल आबादी 3200 है जबकि यहां के 65 लोग डेरा प्रेमी हैं।
2017 के चुनावों में डेरे ने अकाली-भाजपा सरकार का किया था ऐलान
गांव की पूर्व सरपंच मलकीत कौर ने बताया कि गांव के लोग डेरा मुखी से इस गांव का नाम निकलवा कर लाए थे जिसे सरकार ने पूरा कर दिया। ऐसा ही कुछ पूर्व अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार ने किया, जिन्होंने 2 वर्ष पूर्व भटिंडा के गांव कोटली खुर्द का नाम बदल कर प्रेम कोटली रख दिया। गांव के लोगों ने इसका विरोध किया तथा जिला प्रशासन को लिखित शिकायत भी दी गई परन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई। गांव के हरजिंद्र सिंह ने बताया कि केवल प्रेमियों को खुश करने के लिए इस गांव का नाम बदला गया था। यहीं बस नहीं अकाली-भाजपा सरकार ने डेरा मुखी को मिली जैड श्रेणी की सुरक्षा में पंजाब पुलिस के 5 कर्मचारी भी दिए थे। 2017 के चुनावों में डेरे की ओर से अकाली-भाजपा के समर्थन का ऐलान किया गया था जिससे कांग्रेस खफा थी और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने सत्ता में आते ही डेरा मुखी को दी गई पुलिस सुरक्षा वापस मंगवा ली। डेरे का झुकाव लगातार भाजपा की ओर बढ़ता रहा जिसे अन्य राजनीतिक पार्टियों नाखुश थीं।