Edited By Updated: 20 May, 2017 03:11 PM
कहते हैं बुलंद हौसलों के आगे बड़े-बड़े पहाड़ झुक जाते हैं। बस आगे बढ़ने की हिम्मत के साथ चुनौतियों से लड़ने का जज्बा होना चाहिए।
चंडीगढ़ः कहते हैं बुलंद हौसलों के आगे बड़े-बड़े पहाड़ झुक जाते हैं। बस आगे बढ़ने की हिम्मत के साथ चुनौतियों से लड़ने का जज्बा होना चाहिए। कुछ ऐसा ही कर दिखाया मूलरूप से पंजाब के अमृतसर की रहने वाली रूपिंदर कौर संधू ने, जिसने अपने जूनून और बुलंद हौसले की बदौलत पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना ली है।
रेसलिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मैडल किया हासिल
जानकारी के अनुसार सिडनी में हुई ऑस्ट्रेलियन रेसलिंग चैंपियनशिप में रूपिंदर ने गोल्ड मैडल हासिल किया है। साथ ही 2018 में होने वाले गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए अपनी दावेदारी भी पेश की है। करीब 10 साल पहले पंजाब से ऑस्ट्रेलिया शिफ्ट हुई रुपिंदर ने एक निजी चैनल से बातचीत के दौरान बताया कि 2014 के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स में ऑस्ट्रेलिया का प्रतिनिधित्व किया था। वह 48 किलोग्राम में खेलती थीं लेकिन वजन 200 ग्राम अधिक होने के कारण 53 किलोग्राम में खेलने के लिए उतरना पड़ा।
कामयाबी का श्रेय पति और कोच को दिया
उसने बताया कि बेटी के जन्म के बाद रिंग में लौटना आसान नहीं था लेकिन इस मैडल के लिए 2 साल बाद रिंग में वापसी की। यहां पर 150 रेसलर्स थे और उसमें चैंपियन बनकर काफी अच्छा लग रहा है। रुपिंदर ने अपनी कामयाबी का श्रेय पति के साथ- कोच को भी दिया हैं। उसका कहना है कि पति और पूरे परिवार ने हर समय उन्हें गेम में आने के लिए मोटीवेट किया और सपने पूरे करने में मदद की।