Edited By Updated: 18 Jan, 2017 03:59 PM
इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ई.वी.एम.) के प्रयोग ने पूरी निर्वाचन प्रणाली में एक क्रांति ला दी है और हाल ही में शुरू किए गए वोटर वैरिफाइबल आडिट
जालंधर (अमित): इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ई.वी.एम.) के प्रयोग ने पूरी निर्वाचन प्रणाली में एक क्रांति ला दी है और हाल ही में शुरू किए गए वोटर वैरिफाइबल आडिट ट्रेल सिस्टम (वी.वी.पी.ए.टी.) से निर्वाचन प्रक्रिया में अत्यधिक पारदर्शिता आएगी। जालंधर के जिला चुनाव अफसर कमल किशोर यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि ई.वी.एम. निर्वाचन प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण भाग है और निर्वाचन आयोग की तरफ से 1977 में पहली बार इसकी संकल्पना तैयार की गई थी। इलैक्ट्रोनिक्स कार्पोरेशन आफ इंडिया लिमिटिड (ई.सी.आई.एल.) हैदराबाद को इसका डिजाइन तैयार और विकसित करने का कार्य सौंपा गया था। पहली बार इसका इस्तेमाल मई, 1982 में केरल के एक उप-निर्वाचन में किया गया। इसके बाद 1998 में इसे लेकर साधारण सहमति बनने के बाद 3 राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं दिल्ली में 25 विधानसभा हलकों में इसका इस्तेमाल किया गया। 2004 में लोकसभा के साधारण निर्वाचन में देश के सभी 543 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में ई.वी.एम. (एक मिलियन से अधिक) का इस्तेमाल किया गया। पिछले काफी लंबे समय से ई.वी.एम. को लेकर चल रही कई तरह की बातों और माननीय सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका के पश्चात वी.वी.पी.ए.टी. नामक एक डिवाइस का डिजाइन तैयार किया गया, जिससे वोटरों में उनके द्वारा डाली गई वोट को लेकर किसी प्रकार के संशय की स्थिति न बाकी रहे। फिलहाल चुनाव मतदान के अनुभव को उच्च-स्तर पर लेकर जाने के लिए चुनिंदा विधानसभा हलकों में ई.वी.एम. के साथ वी.वी.पी.ए.टी. का प्रयोग शुरू किया गया है।
क्या है वी.वी.पी.ए.टी. और कैसे होगा इसका इस्तेमाल: वी.वी.पी.ए.टी. एक ऐसी मशीन है जिसे मूल रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले ई.वी.एम. मतदान यूनिट के साथ जोड़ा जाता है। इसके अंदर एक ड्राप बाक्स के साथ प्रिंटर भी रहता है। जैसे ही कोई मतदाता अपने मत का इस्तेमाल करते हुए मतदान यूनिट में अपने पसंदीदा प्रत्याशी के नाम और चुनाव चिन्ह वाला बटन दबाता है तो मतदान यूनिट के साथ रखे गए वी.वी.पी.ए.टी. यूनिट में एक पारदर्शी खिड़की से एक कागज की पर्ची सामने आता है जिसमें उम्मीदवार की क्रम संख्या, उनका नाम और चुनाव चिन्ह व उसकी फोटो जिसे उसने अपना वोट दिया है, प्रिंट किया होता है। उक्त प्रिंट यूनिट के अंदर लगभग 7 सैकेंड के लिए नजर आता है और उसके बाद पर्ची अपने आप कटकर वी.वी.पी.ए.टी. यूनिट के अंदर चली जाती है। मतदाता को अपने वोट की सही जानकारी मिलने से उसे इस बात की तसल्ली हो जाती है कि उसका वोट उसके पसंदीदा उम्मीदवार को ही गया है। इसके अलावा चुनावों के उपरांत गिनती के समय अगर किसी मशीन में किसी कारणवश कोई तकनीकी खराबी आ जाती है या किसी उम्मीदवार को मशीन के ऊपर कोई संशय होता है तो उस सूरत में वी.वी.पी.ए.टी. यूनिट को संबंधित अधिकारियों की उपस्थिति में खोलकर उसमें पड़ी पॢचयों से भी मतगणना की जा सकती है।