भाजपा भी कांग्रेस की राह पर ,दोआबा में जितने टिकट के चाहवान उतने बागी

Edited By Updated: 11 Dec, 2016 03:50 PM

punjab election 2017

प्रदेश भाजपा में सीटों को लेकर लड़ाई चरम सीमा पर पहुंच गई है। इस लड़ाई के चलते भाजपा चुनावी तैयारियों में काफी पिछड़ गई है। भाजपा 117 में से 23 सीटों पर चुनाव लड़ती है।

जालंधर(राकेश बहल): प्रदेश भाजपा में सीटों को लेकर लड़ाई चरम सीमा पर पहुंच गई है। इस लड़ाई के चलते भाजपा चुनावी तैयारियों में काफी पिछड़ गई है। भाजपा 117 में से 23 सीटों पर चुनाव लड़ती है। पिछली बार 2012 में भाजपा ने 12 सीटें जीती थीं। दोआबा में भाजपा का एक गुट इस बार नए चेहरों को चुनाव मैदान में उतारना चाहता है, जिससे भाजपा के कई वर्तमान विधायकों की टिकट खतरे में पड़ गई है और ये नेता टिकट के जुगाड़ के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। वहीं दोआबा में भाजपा का यह हाल है कि हर सीट पर बगावत के आसार बन गए हैं क्योंकि एक-एक टिकट के लिए कई-कई दावेदार हैं। भाजपा सूत्रों का कहना है कि वर्तमान विधायकों को बदलने के पीछे इन नेताओं का तर्क है कि चेहरों को बदलने से सत्ता विरोधी वोटों को रोका जा सकता है। इन नेताओं ने केंद्रीय नेताओं को  कहा है कि वर्तमान विधायकों को बदल कर भाजपा अपनी सीटें बचा सकती है। ये नेता ऐसे तर्क देकर अंदरखाते अपने विरोधियों को निपटाना चाहते हैं क्योंकि वर्तमान में प्रदेश भाजपा पर काबिज कई नेताओं का कई वर्तमान विधायकों से छत्तीस का आंकड़ा है।  

हंस के आने से समीकरण बदले
हंसराज हंस के भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा का एक नेता अपना हिसाब चुकता करने के लिए हंस को जालंधर वैस्ट से चुनाव लड़वा सकता है। हालांकि जालंधर वैस्ट सीट पर भगत समुदाय का वोट बैंक ज्यादा है और हंस वाल्मीकि समुदाय से संबंध रखते हैं। ऐसे में यह दाव उलटा भी पड़ सकता है। इससे पहले भी 2009 में जब हंसराज हंस लोकसभा चुनाव हार गए थे तो उन्होंने आरोप लगाया था कि अविनाश चंद्र ने उनका साथ नहीं दिया था। हंस को जालन्धर वैस्ट सीट से मैदान में उतारे जाने की चर्चा है लेकिन जातीय समुदाय हंस के हक में नहीं जाता। 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी हंस राज हंस इस सीट पर अपने विरोधी उम्मीदवार महेन्द्र सिंह के.पी. से करीब 13000 वोट से पिछड़ गए थे। हंस को 32108 वोट मिले थे जबकि महेन्द्र सिंह के.पी. को वैस्ट सीट पर 45066 वोट मिले थे। 

भगत और मित्तल चाहते हैं बेटों के लिए टिकट 
जालंधर वैस्ट से भाजपा विधायक और वन मंत्री भगत चूनी लाल तो अपने बेटे महिन्द्र भगत को टिकट दिलाना चाहते हैं। इसी तरह से उद्योग मंत्री मदन मोहन मित्तल अपने बेटे अरविन्द्र मित्तल को टिकट दिलाने के लिए लॉङ्क्षबग कर रहे हैं। फगवाड़ा में तो भाजपा के एक बड़े नेता के खासम-खास ने खुलेआम यह ऐलान कर दिया है कि वह वर्तमान विधायक सोम प्रकाश को टिकट देने का विरोध करेंगे। सूत्रों का कहना है कि इस सीट पर एक नेता के रिश्तेदार की नजर है। लुधियाना से सतपाल गोसाईं अपने नजदीकी रिश्तेदार को टिकट दिलाना चाहते हैं।

 बादल और बड़े बादल की स्ट्रैटजी
सूत्रों के अनुसार सुखबीर सिंह बादल और मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल दोआबा में अपने निकटतम भाजपाइयों को भाजपा की टिकट दिलवाना चाहते हैं। 
उनकी यह भी स्ट्रैटजी है कि जो नेता 60 की उम्र पार कर चुके हैं उनकी जगह उनके नजदीकियों को टिकट मिले जिससे भाजपा में भी उनके लोग ही हावी रहें। इसलिए वे कुछ ङ्क्षहदू नेताओं की बैकडोर से भाजपा में एंट्री करवा रहे हैं। 

 

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