प्रशासन की लापरवाही के कारण जनता हो रही लूट की शिकार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jul, 2017 07:47 AM

public robbery victim due to administration  s negligence

आधार कार्ड का टैग ‘आधार आम आदमी का अधिकार’ को केन्द्र सरकार ने बदलकर ‘मेरा आधार मेरी पहचान’ कर दिया लेकिन जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते सामान्यजन को अपना आधार कार्ड बनवाने के लिए प्राइवेट इंस्टीच्यूट्स की लूट का शिकार होना पड़ रहा है।

अमृतसर (नीरज): आधार कार्ड का टैग ‘आधार आम आदमी का अधिकार’ को केन्द्र सरकार ने बदलकर ‘मेरा आधार मेरी पहचान’ कर दिया लेकिन जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते सामान्यजन को अपना आधार कार्ड बनवाने के लिए प्राइवेट इंस्टीच्यूट्स की लूट का शिकार होना पड़ रहा है। सरकार ने सुविधा केन्द्रों जिनको बदलकर सेवा केन्द्र बना दिया गया है, में आधार कार्ड बनाने की मशीनों को उठा लिया गया है। इसके चलते लोग डी.सी. दफ्तर स्थित सेवा केन्द्र व अन्य केन्द्रों में धक्के खाते फिर रहे हैं लेकिन उनका आधार कार्ड नहीं बनता है।

हार कर प्राइवेट इंस्टीच्यूट्स में जाकर आधार कार्ड बनवाने के लिए मजबूर हो रहे हैं और कार्ड बनवाने के लिए 100 रुपए से लेकर 150 रुपए या फिर इससे भी अधिक रुपए खर्च कर अपना आधार कार्ड बनवाने को मजबूर हो रहे हैं। पूर्व अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के कार्यकाल के दौरान पंजाब सरकार द्वारा बनाए गए सभी सुविधा केन्द्रों में आधार कार्ड बनाने की मशीनें लगाई गई थीं जिसमें लोगों के आई.डी. प्रूफ लेने के बाद बकायदा आधार कार्ड बनाने वाली मशीन में फोटो खींचकर उसकी आंखों की पुतलियों की स्कैनिंग व फिंगर प्रिंट्स की स्कैनिंग करके आधार कार्ड बनाया जाता था। इसके लिए कोई फीस भी नहीं ली जाती थी लेकिन मौजूदा समय में जिला प्रशासन ने आधार कार्ड बनाने वाली कोई मशीन नहीं लगाई है जिसके चलते लोग परेशान तो हो ही रहे हैं वहीं आर्थिक लूट का भी शिकार भी हो रहे हैं।

वोटर कार्ड-आधार कार्ड लिंक न होने से देश में बनी लाखों जाली वोट
केन्द्र व राज्य सरकार के कुछ नेताओं ने आधार कार्ड को सभी योजनाओं के साथ तो जोड़ दिया लेकिन अपने राजनीतिक भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए आधार कार्ड को ठंडे बस्ते में रखा है। वोटर कार्ड को आधार कार्ड के साथ लिंक नहीं किया जा रहा है जबकि यह एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला होगा जिससे सत्ता के गलियारे में परिवर्तन आना भी तय है। आज देश भर में अलग-अलग राजनीतिक दलों द्वारा जाली वोटर कार्ड इस लिए बना दिए जाते हैं क्योंकि इनको आधार कार्ड के साथ नहीं जोड़ा गया है। 

पंजाब की ही बात कर लें तो केन्द्र के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने अमृतसर में आकर एक पत्रकार वार्ता में खुलासा किया था कि पंजाब में 7.80 लाख जाली वोट काटी गई हैं जबकि अमृतसर जिले में भी एक लाख के करीब जाली वोट काटी गई थीं जो प्रत्यक्ष प्रमाण है कि मतदान के दौरान लाखों जाली मतों का प्रयोग किया जाता है जबकि जीतने के लिए एक ही वोट काफी होता है। मुख्य चुनाव आयुक्त से जब यह पूछा गया था कि आधार कार्ड को वोटर कार्ड के साथ लिंक क्यों नहीं किया जा रहा है तो वह भी इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए थे जो साबित करता है कि जाली मतों को काटने के लिए बड़े नेता भी सकारात्मक सोच नहीं रखते हैं जबकि देश में एक मजबूत लोकतंत्र की स्थापना करने के लिए वोटर कार्ड को आधार कार्ड के साथ जोडऩा जरूरी है। 

केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह आधार कार्ड को वोटर कार्ड के साथ लिंक करने के लिए सख्त कार्रवाई शुरू करे। इतना ही नहीं, आधार कार्ड को वोटर कार्ड के साथ जोडऩे से जम्मू-कश्मीर में नागरिकों के वेश में छुपे आतंकवादियों, पंजाब, यू.पी., हरियाणा, दिल्ली व अन्य प्रदेशों में रहने वाले बंगलादेशियों व माओवादियों को भी ट्रेस किया जा सकता है जो हमारे देश में गलत पहचान पत्र बनाकर घूम रहे हैं। ऐसे लाखों लोगों की वोट बनी हुई हैं जो आधार कार्ड के साथ लिंक करने पर कट जाएंगी।

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