Edited By Updated: 29 Mar, 2017 08:07 AM
गातार घाटे में चल रही पंजाबी यूनिवर्सिटी इस बार भी घाटे वाला बजट पेश करने जा रही है, पर इस बार घाटा पिछली बार से भी काफी ज्यादा है। पी.यू. इस बार 200 करोड़ रुपए के करीब का घाटे वाला बजट पेश करने जा रही है।
पटियाला(प्रतिभा विरदी) : लगातार घाटे में चल रही पंजाबी यूनिवर्सिटी इस बार भी घाटे वाला बजट पेश करने जा रही है, पर इस बार घाटा पिछली बार से भी काफी ज्यादा है। पी.यू. इस बार 200 करोड़ रुपए के करीब का घाटे वाला बजट पेश करने जा रही है। वहीं इस बार घाटे वाले बजट पर मोहर एक्साइज एंड टैक्सेशन कमिश्रर रह चुके आई.ए.एस. अनुराग वर्मा लगाएंगे। अनुराग वर्मा ने 28 मार्च को वी.सी. का टैंपरेरी तौर पर कार्यभार संभालना था लेकिन वो यूनिवर्सिटी नहीं पहुंचे। उम्मीद है कि वो 29 मार्च को यूनिवर्सिटी में कार्यभार संभाल लेंगे।
पिछली बार से कहीं ज्यादा घाटा
वहीं 2016-17 के लिए यूनिवर्सिटी ने जो बजट पेश किया था, वो 131 करोड़ रुपए के घाटे वाला था। पर इस बार जो जानकारी है वो 200 करोड़ रुपए के करीब घाटे वाले बजट की है। यूनिवर्सिटी ने 530 करोड़ रुपए का बजट पिछली बार पास किया था। इसमें घाटा 131 करोड़ रुपए का था। पर इस बार कहीं ज्यादा घाटा बजट में दिखाया गया है। क्योंकि बजट अभी तक पास नहीं हुआ है, इसलिए अभी यूनिवर्सिटी के अफसर इस बारे में ज्यादा कुछ कह नहीं रहे हैं। पर इस बार का बजट 580 करोड़ या इससे ज्यादा का बनेगा। इस बजट में से 80 फीसदी बजट टीचिंग और नॉन-टीचिंग स्टाफ की सैलरी में ही जाता है। यूनिवर्सिटी में इस समय 2500 से 3000 के करीब स्टाफ काम कर रहा है।
इंकम के सोर्स वही, खर्चे बढ़ते जा रहे
हर बार यूनिवर्सिटी के घाटे वाला बजट आने का कारण है कि इंकम के सोर्स वही हैं। इस बार फिर से सैलरी, टी.ए. और डी.ए. के खर्च पहले से ज्यादा बढ़ चुके हैं। वहीं पी.यू. की इंकम की बात करें तो इसमें फीस, सैंट्रल ग्रांट और यू.जी.सी. की ग्रांट शामिल हैं। फीस से 222 करोड़ रुपए के करीब इंकम यूनिवर्सिटी को होती है। जबकि सैंट्रल ग्रांट 1 करोड़ रुपए के करीब है और स्कॉलरशिप के लिए 5 करोड़ मिलते हैं। राज्य सरकार ने 83 करोड़ रुपए के करीब ग्रांट यूनिवर्सिटी के लिए तय की है। जोकि ठीक समय पर नहीं मिलती है। किसी न किसी तकनीकी वजह से सरकार से मिलने वाली ग्रांट मिलने में देर सवेर हो जाती है। वहीं यू.जी.सी. की 7 करोड़ रुपए के करीब मिलती है। अगर राज्य सरकार ग्रांट में इजाफा करे तो यूनिवर्सिटी को राहत मिल सकती है या फिर यूनिवर्सिटी अपने खर्चों में कटौती करे।